नैनो यूर‍िया पर उठ रहे सवालों के बीच केंद्र सरकार ने द‍िया बड़ा बयान

नैनो यूर‍िया पर उठ रहे सवालों के बीच केंद्र सरकार ने द‍िया बड़ा बयान

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में कहा क‍ि नैनो यूरिया के इस्तेमाल से विभिन्न फसलों में 3-8 फीसदी तक की पैदावार बढ़ी है. यही नहीं 25-50 फीसदी तक यूरिया बचत भी हुई. जान‍िए, क‍ितनी जगहों पर हुआ था नैनो यूर‍िया का टेस्ट.

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नैनो यूर‍िया पर उठ रहे सवालों के बीच केंद्र सरकार ने द‍िया बड़ा बयाननैनो यूर‍िया का स्प्रे करता एक क‍िसान. (Photo-IFFCO)

कृष‍ि क्षेत्र में बड़े पर‍िवर्तन के ल‍िए नैनो यूर‍िया बनाने और उसे क‍िसानों तक पहुंचाने का काम जोर शोर से चल रहा है. लेक‍िन, कुछ लोग इसे लेकर सवाल उठा रहे हैं. आरोप लगा रहे हैं क‍ि नैनो यूर‍िया कारगर नहीं है. उसे ठीक से जांचे ब‍िना ही जमीन पर उतार द‍िया गया. लेक‍िन, इफको का दावा है क‍ि ऐसे आरोप बेबुन‍ियाद हैं. प्रॉपर जांच-पड़ताल के बाद ही इसे शुरू क‍िया गया है. नैनो यूर‍िया पर सवाल उठाने वालों को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी जवाब दे द‍िया है. उन्होंने संसद में कहा क‍ि इससे उपज भी बढ़ी है और क‍िसानों के खर्च में बचत भी हुई है. 

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई के एक सवाल पर तोमर ने 13 द‍िसंबर को नैनो यूर‍िया को लेकर ल‍िख‍ित में जवाब द‍िया है. उन्होंने कहा क‍ि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने इफको के सहयोग से दो जलवायु वाले मौसमों (रबी एवं खरीफ) में इफको द्वारा बनाई गई नैनो यूरिया का सस्य विज्ञान यानी एग्रोनोमिक मूल्यांकन किया है. नैनो यूरिया से क‍िसानों की बचत होगी. नाइट्रोजन की अनुशंसित प्रारंभिक खुराक (बेसल डोज) के साथ टॉप ड्रेसिंग के रूप में नैनो यूरिया के दो छिड़काव (स्प्रे) से उपज बढ़ी है. विभिन्न फसलों में 3-8 फीसदी तक की पैदावार का लाभ हुआ और 25-50 फीसदी की यूरिया बचत हुई. 

फसलों के ल‍िए सामान्य यूर‍िया भी जरूरी

हालां‍क‍ि, केंद्रीय कृष‍ि मंत्री ने एक और गौर करने वाली बात कही है. उन्होंने कहा क‍ि नैनो यूरिया जिसका टॉप ड्रेसिंग के रूप में खड़ी फसलों पर छिड़काव किया जाता है, के उपयोग के बावजूद फसल विकास के प्रारंभिक चरण में बेसल खुराक के रूप में सामान्य पैकेज्ड यूरिया आवश्यक है. बता दें क‍ि नैनो यूर‍िया के तीन करोड़ से अध‍िक बोतलों का न‍िर्माण हो चुका है. फ‍िलहाल, इसे बनाने का काम इफको के कलोल प्लांट, गुजरात में हो रहा है. लेक‍िन, अब दूसरे प्लांट भी इसके ल‍िए तैयार हो रहे हैं. नैनो डीएपी की भी शुरुआत करने का काम चल रहा है. 

क‍ितनी जगहों पर हुआ टेस्ट 

सामान्य यूर‍िया ठोस होता है जबक‍ि नैनो यूर‍िया तरल यानी ल‍िक्व‍िड होता है. इसल‍िए इसका स्प्रे क‍िया जाता है. इफको का दावा है क‍ि इसके 500 मिली की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन प्रदान करता है. आईसीएआर के 20 संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों में 43 फसलों पर बहु-स्थानीय और बहु-फसली परीक्षण हुआ है. इसके बाद इसे फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर-1985 में शामिल क‍िया गया. 

यही नहीं इसकी प्रभावशीलता को जांचने के ल‍िए देश भर में 94 से अधिक फसलों पर लगभग 11,000 कृषि क्षेत्र परीक्षण भी किए गए थे. इसके बाद दावा क‍िया गया था क‍ि इसके इस्तेमाल से उपज में औसतन 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 

नैनो यूर‍िया पर उठ रहे हैं सवाल 

किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट नैनो यूर‍िया को लेकर लगातार सवाल उठा रहे हैं. उनका दावा है क‍ि नैनो यूरिया लेने से किसान मना कर रहे हैं. क‍िसानों को जबरन नैनो यूरिया द‍िया जा रहा है. जबक‍ि इसके इस्तेमाल से क‍िसान घाटा उठा रहे हैं. ऐसे में उन्होंने किसानों से अपील की है क‍ि नैनो यूरिया जब तक राजस्थान सरकार के रिसर्च ट्रायल में पास न हो जाए तब तक वो इसका इस्तेमाल नहीं करें. नैनो यूर‍िया जबरन देने की बात यूपी और ब‍िहार से भी सामने आई है. 

सरकार ने क्या कहा? 

अगर नैनो यूर‍िया जबरन देने की रामपाल जाट की बात सच है तो फ‍िर यह जरूर पूछा जाना चाह‍िए क‍ि ऐसा ऑर्डर क‍िसने द‍िया. लोकसभा में 9 द‍िसंबर को रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख भाई मांडव‍िया ने कहा क‍ि, "नैनो यूरिया को राज्यों को जारी मासिक आपूर्ति योजनाओं में शामिल किया गया है. इसके अतिरिक्त, कंपनियों से किसानों को परंपरागत यूरिया के साथ-साथ नैनो यूरिया खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने का अनुरोध किया गया है." 

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