उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के किसानों के लिए अच्छी खबर है. अब यहां के किसान गेहूं की नई जैव संवर्धित (बायोफोर्टिफाइड) किस्में उगा सकते हैं. भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान ने ये किस्में विशेष रूप से सिंचित परिस्थितियों में अगेती बुआई के लिए तैयार की हैं. केंद्रीय उप–समिति ने वर्ष 2023 में इन किस्मों- करन वैदेही (डीबीडब्ल्यू 370), करन वृंदा (डीबीडब्ल्यू 371) और करन वरुणा (डीबीडब्ल्यू 372) को अधिसूचित किया था. ये किस्में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजन को छोड़कर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर (जम्मू और कठुआ), हिमाचल प्रदेश (ऊना और पॉंटा घाटी) तथा उत्तराखंड (तराई क्षेत्र) के लिए उपयुक्त पाई गई हैं.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इन नई किस्मों से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए उन्नत कृषि तकनीकों का प्रयोग अनिवार्य है. किसानों से बीज उपचार के लिए टेज़कोनाजोल 2% डीएस @ 1 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज का इस्तेमाल करने की सिफारिश की गई है. वहीं, इन किस्मों की बुआई के लिए उपयुक्त समय 20 अक्टूबर से 5 नवंबर तक माना गया है. किसानों को बीज दर 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखने की सलाह दी जाती है.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, किसानों को बेहतर उत्पादन के लिए 150% एनपीके उर्वरक के साथ 15 टन प्रति हेक्टेयर देशी खाद देने की सलाह दी गई है. साथ ही वृद्धि नियंत्रकों जैसे क्लोरामक्वेट क्लोराइड (CCC) @ 0.2% और टेज़कोनाजोल 250 EC @ 0.1% का दो बार छिड़काव- पहले नोड बनने पर और फ्लैग लीफ स्टेज पर करने से पौधों की वृद्धि नियंत्रित रहती है और दाने का विकास बेहतर होता है.
करन वैदेही (डीबीडब्ल्यू 370) गेहूं किस्म की औसत उपज 74.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और अधिकतम उपज क्षमता 86.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इसकी बाली निकलने की अवधि 102 दिन और पकने की अवधि 151 दिन रहती है. इसके पौधे की ऊंचाई 99 सेंटीमीटर और 1000 दानों का वजन 41 ग्राम है. इसका चपाती गुणवत्ता स्कोर 8.3, हेक्टोलिटर भार 78.2 है. वहीं, इसमें 12.0% प्रोटीन, लौह तत्व 37.9 पीपीएम और जिंक तत्व 37.8 पीपीएम पाए गए हैं.
करन वृंदा (डीबीडब्ल्यू 371) किस्म की औसत उपज 75.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि उपज क्षमता 87.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच सकती है. इसकी बाली निकलने की अवधि 102 दिन और पकने की अवधि 150 दिन है. पौधे की ऊंचाई औसतन 100 सेंटीमीटर और 1000 दानों का वजन 46 ग्राम है. इसमें चपाती गुणवत्ता स्कोर 7.7, हेक्टोलिटर भार 81.0, प्रोटीन 12.2%, लौह तत्व 44.9 पीपीएम और जिंक तत्व 39.9 पीपीएम हैं.
करन वरुणा (डीबीडब्ल्यू 372) किस्म की औसत उपज 75.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और उपज क्षमता 84.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इसकी बाली निकलने की अवधि 106 दिन और पकने की अवधि 151 दिन है. पौधे की ऊंचाई 96 सेंटीमीटर और 1000 दानों का वजन 42 ग्राम पाया गया है. इसकी चपाती गुणवत्ता स्कोर 7.6, हेक्टोलिटर भार 80.8, प्रोटीन 12.7%, लौह तत्व 37.7 पीपीएम और जिंक तत्व 40.8 पीपीएम हैं.
इन तीनों बायोफोर्टिफाइड किस्मों की खासियत यह है कि इनमें लौह और जिंक की मात्रा अधिक है, जिससे पोषण मूल्य में वृद्धि होती है. विशेषज्ञों का कहना है कि उचित कृषि प्रबंधन अपनाने से ये किस्में न केवल उत्पादन में वृद्धि करेंगी, बल्कि क्षेत्रीय खाद्य और पोषण सुरक्षा को भी मजबूत बनाएंगी.
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