रबी फसलों की बुवाई से पहले भारत को उर्वरक बाजार में झटका लग सकता है. चीन ने 15 अक्टूबर से यूरिया और स्पेशियलिटी फर्टिलाइज़र (विशेष उर्वरक) के निर्यात पर रोक लगा दी है, जिसके बाद वैश्विक बाजारों में कीमतों में उछाल की आशंका बढ़ गई है. चीन ने हाल ही में भारत को इन खादों की सप्लाई शुरू की थी, लेकिन एक बार फिर उसके फैसले ने भारत को 'धोखे' की स्थिति में डाल दिया है. यह स्थिति ऐसे समय में और गंभीर है, जब भारत-अमेरिका के व्यापार को लेकर रिश्ते तल्ख बने हुए हैं. ऐसे में भारत-चीन के शीर्ष नेताओं की मुलाकात में व्यापार को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई थी.
इससे पहले, अगस्त में ही भारत दौरे पर आए चीन के विदेश मंत्री ने भारत को रेयर अर्थ मिनरल, स्पेशयलिटी फर्टिलाइजर जैसी वस्तुओं की सप्लाई सुचारू रूप से बनाए रखने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब भारत में जब रबी सीजन की बुवाई का समय हो चला है. चीन का यह कदम और उसका भारत को छूट न देना 'धोखा' साबित होता दिख रहा है.
बता दें कि चीन ने मई से अक्टूबर के बीच सीमित मात्रा में खादों के निर्यात की अनुमति दी थी, लेकिन अब उसने 15 अक्टूबर से दोबारा निर्यात पूरी तरह रोक दिया है. यह रोक फिलहाल अनिश्चितकाल के लिए है. इसमें यूरिया और डीएपी जैसे पारंपरिक उर्वरकों के साथ टीएमएपी (Technical Monoammonium Phosphate) और यूरिया सॉल्यूशन प्रॉडक्ट्स जैसे एडब्लू (AdBlue) भी शामिल हैं.
सॉल्यूबल फर्टिलाइजर इंडस्ट्री एसोसिएशन (SFIA) के अध्यक्ष राजीव चक्रवर्ती ने बताया कि चीन ने यह निर्यात रोक केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए लागू की है. चक्रवर्ती के मुताबिक, यह रोक अगले 5-6 महीने तक जारी रह सकती है.
भारत अपनी लगभग 95 प्रतिशत स्पेशियलिटी फर्टिलाइजर की जरूरत चीन से पूरी करता है. इनमें टीएमएपी और AdBlue जैसे उत्पाद शामिल हैं. चक्रवर्ती ने कहा, “कीमतें पहले से ही असामान्य रूप से ऊंची हैं, लेकिन अब इन पर 10-15 प्रतिशत की और वृद्धि हो सकती है.”
भारत में हर साल करीब 2.5 लाख टन स्पेशियलिटी फर्टिलाइजर की खपत होती है, जिसमें से 60-65 प्रतिशत रबी सीजन में इस्तेमाल होता है. फिलहाल, व्यापारियों ने पहले से स्टॉक और ग्लोबल एजेंसियों से सप्लाई तय कर रखी है, इसलिए रबी सीजन की मांग पूरी होने में परेशानी नहीं होगी.
हालांकि, चक्रवर्ती ने चेतावनी दी कि अगर चीन की यह पाबंदी मार्च 2026 के बाद भी जारी रही तो हालात गंभीर हो सकते हैं. हालांकि, भारत के पास दक्षिण अफ्रीका, चिली और क्रोएशिया जैसे देशों से कुछ उत्पादों के लिए वैकल्पिक आपूर्ति के विकल्प हैं, लेकिन ये बेहद सीमित हैं.
स्पेशियलिटी फर्टिलाइज़र वे विशेष उर्वरक होते हैं, जिनका इस्तेमाल फलों, सब्जियों और उच्च मूल्य वाली फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया जाता है. इनका मुख्य उद्देश्य मिट्टी की गुणवत्ता सुधाकर पौधों को संतुलित पोषण देना होता है. चीन इस तरह के उर्वरकों का दुनिया का प्रमुख निर्यातक देश है. पिछले कुछ वर्षों से उसने इनके निर्यात पर सख्त नियंत्रण लगाए हुए है, जिसके कारण भारत समेत कई देशों की सप्लाई प्रभावित हुई है.
इन उर्वरकों का इस्तेमाल पारंपरिक खादों की तुलना में अधिक सटीक और प्रभावी माना जाता है, क्योंकि ये पौधों को पोषक तत्व धीरे-धीरे और लंबे समय तक उपलब्ध कराते हैं. (पीटीआई के इनपुट के साथ)
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