रबी फसलों की बुवाई की शुरुआत के साथ ही जालसाज नकली खाद बाजारों में खपा रहे हैं. किसानों को नक्कालों से सावधान करते हुए यूपी सरकार ने असली और नकली डीएपी खाद की पहचान के तरीके बताए हैं. डीएपी खाद के दाने का आकार, उसकी सुगंध और रंग से भी असली-नकली की पहचान करने का तरीका किसानों को बताया जा रहा है. बता दें कि बीते माह पंजाब, हरियाणा समेत कुछ अन्य राज्यों में मिलावटी खाद के नमूने पाए गए हैं, जिसके बाद कुछ कंपनियों पर कार्रवाई भी हुई है.
अब अक्टूबर में रबी फसलों गेहूं, चना, जौ, दाल और सरसों समेत कुछ प्रमुख फसलों की बुवाई किसानों ने शुरू कर दी है. फसल बुवाई के वक्त किसानों को बीज अंकुरण में तेजी लाने के लिए डीएपी खाद की जरूरत पड़ती है. इसके चलते सहकारी खाद केंद्रों पर किसानों की कतारें लगी हुई हैं. सरकारी दावों को बावजूद कुछ इलाकों में किसानों को खाद हासिल करने में मुश्किल हो रही है. इसका फायदा उठाकर कुछ विक्रेता अधिक दाम वसूल रहे हैं तो कुछ जगहों पर खाद के साथ मनमाने उत्पाद भी बेचे जा रहे हैं. जबकि, ठग मौके का फायदा उठाकर नकली या मिलवाटी खाद किसानों को थमा दे रहे हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के तहत प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण ब्यूरो ने किसानों को असली नकली खाद की पहचान के घरेलू तरीके बताए हैं. इन उपायों को अपनाकर किसान घर बैठे बिना पैसा खर्च किए असली और नकली खाद की पहचान कर सकते हैं.
राजस्थान समेत कुछ राज्यों में किसानों की खाद जरूरत का गलत फायदा उठाकर कुछ विक्रेता खाद की बोरियों के साथ टैगिंग करके दूसरे प्रोडक्ट बेच रहे हैं और किसानों पर खरीदने का दबाव बनाते हैं. राजस्थान की कृषि आयुक्त चिन्मयी गोपाल ने कहा कि उर्वरक विक्रेताओं की ओर से यूरिया, डीएपी, एसएसपी एवं एनपीके उर्वरकों के साथ अन्य प्रोडक्ट जैसे सल्फर, हर्बीसाईड, पेस्टीसाईड, सूक्ष्म तत्व मिश्रण, बायोफर्टिलाइजर आदि उत्पाद किसानों के नहीं चाहने पर भी टैगिंग कर बेचे जा रहे हैं, जो पूरी तरह गलत है. ऐसा करते पकड़े जाने पर उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के तहत कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी है.
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