राजस्‍थान के इस जिले में किसान DAP की कालाबाजारी से परेशान, खेती की लागत बढ़ने की कही बात

राजस्‍थान के इस जिले में किसान DAP की कालाबाजारी से परेशान, खेती की लागत बढ़ने की कही बात

राजस्‍थान के धौलपुर में किसान डीएपी खाद की किल्‍लत और कालाबाजारी से परेशान हैं. किसानों ने कहा कि कई जगहों पर खाद एक दिन में ही खत्‍म हो जा रही है. वहीं, जहां खाद उपलब्‍ध है, वहां ज्‍यादा कीमत चुकानी पड़ रही है. किसानों का कहना है कि जरूरी खाद के लिए ज्‍यादा पैसे चुकाने के कारण खेती की लागत बढ़ रही है.

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राजस्‍थान के इस जिले में किसान DAP की कालाबाजारी से परेशान, खेती की लागत बढ़ने की कही बातधौलपुर में डीएपी खाद की कालाबाजारी. (सांकेतिक तस्‍वीर)

देशभर में रबी फसल की बुवाई का समय चल रहा है. वहीं, बड़ी संख्‍या में ऐसे किसान भी हैं, जो अब तक खेत में फसल बो चुके हैं. इस बीच, राजस्थान के धौलपुर जिले के ग्रामीण अंचलों में किसान काफी परेशान दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि खेतों में बोई गई फसलों के लिए उन्‍हें खाद ब्लैक में खरीदनी पड़ रही है. धौलपुर जिले में ज्‍यादातर जगहों पर सरसों, गेहूं, चना और आलू फसल की बुवाई हो चुकी है, लेकिन फसलों में पहले पानी के दौरान लगने वाली डाई अमोनियम फॉस्‍फेट (डीएपी) खाद की कमी से किसान चिंत‍ित हैं. वहीं, खाद की कालाबाजारी से खेती की लागत भी बढ़ गई है.

एक‍ दिन में खत्‍म हो रहा स्‍टॉक

कई किसानों ने बताया कि उन्‍हें डीएपी, यूरिया और अमोनियम खाद ब्लैक में खरीदनी पड़ी और कई किसान अब भी ज्‍यादा दाम चुकाने को मजबूर हैं. जिले के बाड़ी, सरमथुरा और राजाखेड़ा में खाद की रैक आती है और एक दिन में ही खत्म हो जाती हैं, जहां स्टॉक रहता हैं वहां से किसान ब्लैक में खाद खरीद रहे हैं. खाद को लेकर आज तक की टीम से खेतों में काम कर रहे किसानों ने अपना दर्द बयां किया… 

किसान मुकेश, रामधार, मुरारी, रामनाथ, थान सिंह, रामदयाल, मदन गोपाल और अजय ने बताया कि वर्तमान में रबी फसलों  की बुवाई का सीजन चल रहा हैं. सरसों, गेंहू, चना और आलू की फसल की बुवाई करीब-करीब जिलेभर में पूरी हो चुकी है और खेतों में फसल उग रही है. खेतों में बोई गई फसलों में पहले पानी के दौरान लगने वाले डीएपी की कमी है और ब्लैक में खरीदनी पड़ रही है. डीएपी की सरकारी दर 1350 रुपये प्रति बैग है, जो 1700 से 1800 रुपये में मिल रही है. वहीं, यूरिया की दर 275 रुपये है और तीन सौ से लेकर सवा तीन सौ रुपये में मिल रही है. यूरिया भी ग्यारह सौ रुपये में खरीदना पड़ रहा है.

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आलू की फसल में बढ़ा खर्च

किसानों ने बताया कि डीएपी, यूरिया और अमोनियम पर कालाबाजारी की जा रही है, जिससे खेती में लागत खा लग रही है. नगदी फसल आलू की बुवाई की बात की जाए तो करीब 30 से 35 हजार रुपए प्रति बीघा खाद बीज, यूरिया, जिप्सम, कीटनाशक दवाओं की लागत का खर्च किसान को उठाना पड़ रहा है.

दोहरी मार झेल रहे किसान

सरसों फसल का खर्च आलू की तुलना में काफी कम है. सरसों फसल की लागत करीब 8 से 10 हजार प्रति बीघा के हिसाब से किसान बता रहे हैं. किसानों ने बताया कि ऊपर से महंगाई की मार और खाद ब्लैक में मिलने से उन पर दोहरा असर पड़ रहा है. किसानों ने सरकार से सुलभ रूप में खाद उपलब्‍ध कराने की मांग की है. किसानों ने कहा कि लंबी लाइनों में लगने के बाद भी खाद नहीं मिल पा रही है. (उमेश मिश्रा की रिपोर्ट)

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