Soil degradation: मिट्टी की सेहत सुधारेगा सॉइल हेल्थ कार्ड, इस्तेमाल का सही तरीक़ा जान लें

Soil degradation: मिट्टी की सेहत सुधारेगा सॉइल हेल्थ कार्ड, इस्तेमाल का सही तरीक़ा जान लें

मिट्टी की सेहत सुधारने में केंद्र सरकार की योजना सॉयल हेल्थ कार्ड की मदद ले सकते हैं. इस योजना में किसानों को उनके हर खेत के लिए एक कार्ड दिया जाता है जिसका नाम है सॉइल हेल्थ कार्ड. इस कार्ड में किसान के खेती की 12 मुख्य जानकारी दी गई रहती है. इस जानकारी के आधार पर किसान अपने खेत में पोषक तत्वों की कमी और अधिकता के बारे में जान सकते हैं.

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मिट्टी की सेहत सुधारेगा सॉइल हेल्थ कार्ड, इस्तेमाल का सही तरीक़ा जान लेंसॉइल हेल्थ कार्ड स्कीम

सॉइल डिग्रेडेशन यानी कि मिट्टी का खराब होना बड़ी समस्या बन गई है. इसमें मिट्टी इतनी जर्जर हो जाती है कि वह फसल उगा तो देती है, लेकिन बहुत मशक्कत के बाद. यूं कहें कि मिट्टी बूढ़ी हो जाती है जिससे आप अधिक श्रम नहीं करा सकते. अभी देश की करोड़ों आबादी का पेट भरने के लिए खेती की मिट्टी और उसमें होने वाली खेती पर निर्भर रहना पड़ता है. आबादी दिनों दिन बढ़ रही है जबकि मिट्टी जस की तस है. उसी बीमार मिट्टी से उपज लेने के लिए किसान खाद पर खाद डाल रहे हैं जिसमें कई तरह के केमिकल मिले हैं. ये केमिकल मिट्टी को और बीमार कर रहे हैं. सॉइल डिग्रेडेशन की दर अभी 30 परसेंट बताई जा रही है. ऐसे में हमें उन उपायों के बारे में जानना होगा जो जर्जर मिट्टी को स्वस्थ बना सकें.

मिट्टी की सेहत सुधारने में केंद्र सरकार की योजना सॉयल हेल्थ कार्ड की मदद ले सकते हैं. इस योजना में किसानों को उनके हर खेत के लिए एक कार्ड दिया जाता है जिसका नाम है सॉइल हेल्थ कार्ड. इस कार्ड में किसान के खेती की 12 मुख्य जानकारी दी गई रहती है. इस जानकारी के आधार पर किसान अपने खेत में पोषक तत्वों की कमी और अधिकता के बारे में जान सकते हैं. 

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इसी आधार पर किसान अपने खेतों में पोषक तत्वों का प्रबंधन कर मिट्टी को सेहतमंद बना सकते हैं. इस कार्ड में किसान को एनपीके, सल्फर, जिंक, फास्फोरस, मैग्नीशियम, बोरोन और पीएच की जानकारी दी जाती है. इसके आधार पर किसान को बताया जाता है कि उसके खेत की मिट्टी में किस पोषक तत्व की मात्रा बढ़ानी या घटानी है.

 SHC का कैसे करें इस्तेमाल

सॉइल हेल्थ कार्ड में जोत के आधार पर किसानों को पोषक तत्व के बारे में सलाह दी जाती है. कार्ड में लिखा जाता है कि फलां खेत में किस पोषक तत्व की कमी है और उसमें उस पोषक तत्व की कितनी मात्रा डालनी है. इसके अलावा किसानों को खेत में डाली जाने वाली खाद की मात्रा के बारे में भी बताया जाता है. किसानों को इस कार्ड के जरिये बताया जाता है कि वे अपनी बीमारी मिट्टी को कैसे सुधार सकते हैं और उसके लिए कौन से पोषक तत्व और खाद का प्रयोग करना जरूरी है. कार्ड में दी गई सलाह के आधार पर किसान मिट्टी की सेहत को सुधार सकते हैं.

मिट्टी का नमूना लेने का नियम

हर तीन साल के अंतराल पर खेत से मिट्टी का सैंपल यानी नमूना लेने का नियम है. इसके लिए राज्य सरकारों ने अपने स्टाफ रखे हैं या सरकार की तरफ से किसी आउटसोर्सिंग एजेंसी को यह काम दिया जाता है. सरकार क्षेत्रीय कृषि महाविद्यालयों और साइंस कॉलेजों के विद्यार्थियों को भी इस काम में लगाती है. रबी और खरीफ फसल की कटाई के बाद साल में दो बार मिट्टी के नमूने लिए जाते हैं. इसके लिए खेत में वी आकार में मिट्टी की कटाई के बाद 15-20 सेमी की गहराई से एक्सपर्ट लोगों के जरिये नमूना लिया जाता है. ये नमून खेत के चारों कोनों और बीच में से लिए जाते हैं और उन सबको मिला दिया जाएगा. फिर उसी का एक हिस्सा फाइनल नमूने के लिए लिया जाता है. फिर उसे छाया वाले क्षेत्र में छोड़ दिया जाता है. बाद में उसी नमूने को लैब में भेजा जाता है.

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