मॉनसून की शुरुआत होने वाली है. इसके साथ की खरीफ फसल की खेती की तैयारी भी शुरू हो जाएगी. देश में खरीफ सीजन में मुख्य तौर पर धान की खेती की जाती है. झारखंड में धान के अलावा मकई की खेती मुख्य तौर पर की जाती है. धान की अच्छी उपज किसानों को मिले इसके लिए किसानों को भी जागरूक किया जा रहा है और किसानों के लिए धान की रोपाई से संबंधित सलाह भी जारी किया गया है. इन सलाह का पालन करके किसान धान की अच्छी उपज पा सकते हैं. मसलन, किसान धान की खेती से पहले बीजों का उपचार जरूर करें, इससे बेहतर उत्पादन प्राप्त होगा.
गौरतलब है कि धान झारखंड राज्य की प्रमुख फसल है. यहां के अधिकांश भागों में रोहिणी नक्षत्र के साथ ही बिचड़ा तैयार करने का कार्य शुरू हो जाता है.अच्छी पैदावार हासिल करने के लिए अच्छा और स्वस्थ बिचड़ा का होना जरूरी होता है. इसलिए किसानों को सही समय पर बिचड़ा तैयार करना चाहिए और किसानों को जानना चाहिए की क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए ताकि वह स्वस्थ बिचड़ा तैयार कर सकें. बिचड़ा तैयार करने के लिए किसानों को सबसे पहले अपने क्षेत्र के वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए उन्नत किस्म के बीज का ही इस्तेमाल करें.
किसानों को नर्सरी तैयार करने से पहले बीजोपचार जरूर करना चाहिए. किसान बाजार से खरीदे गए बीजों का इस्तेमाल करें. इसके साथ ही नर्सरी समय पर डालें और नर्सरी तैयार करते समय जैविक खाद, गोबर खाद या केंचुआ खाद का इस्तेमाल जरूर करें. अगर सभंव हो तो श्रीविधि से नर्सरी में धान की बुवाई करें. किसान खेती करने के लिए पुराने बीज का इस्तेमाल नहीं करें. रासायनिक खाद, कीटनाशक और फफूंदनाशक का अधिक प्रयोग नहीं करें. बिना बीजोपचार के नर्सरी नहीं डालें.
सबसे पहले धान के बीज को निकाल कर उसकी छंटाई करें. इसके बाद 10 लीटर पानी में 200 ग्राम नमक डालकर उसे अच्छी तरह से मिलाएं. फिर धान को नमक के घोल में डालें. इसके बाद उसे डंडे से अच्छी तरह हिलाएं फिर जब पानी शांत हो जाए तो ऊपर तैरते हुए बीजों को छन्नी के सहारे छान कर अलग कर दें. इस प्रक्रिया को तब तक करें, जब तक पूरी तरीके से बीज तैरना खत्म नहीं हो जाए. इसके बाद बाकी बचे हुए बीज को अच्छी तरह से निकाल कर सुखा दें. इसके बाद बीज को जीवाणु कल्चर और फफूंदनाशी से उपचार करें. इस तरह से बुवाई करने पर बिचड़ा अच्छे तरीके से तैयार होता है.
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