सामान्यता देश में लौकी यानी Bottle gourd की लंबाई 2 से 3 फुट ही होती थी. आचार्य नरेंद्र देव विश्वविद्यालय में लौकी सब्जी पर शोध करके एक ऐसी किस्म का विकास प्रोफेसर शिवपूजन सिंह ने किया, जो आज देश की सबसे बड़ी किस्म बन गई है. किसानों ने प्रोफेसर शिवपूजन सिंह को लौकी पुरुष के नाम से पुकारना शुरू किया. उन्होंने आचार्य नरेंद्र देव विश्वविद्यालय में अपने सेवा कार्य के दौरान कुल 9 किस्मों का विकास किया. अब उन्होंने लौकी से ही हेलमेट और शंख का निर्माण किया है. लौकी से बनाया हुआ हेलमेट काफी आकर्षक और सर को ठंडा रखने का काम करता है. वहीं लौकी से बने हुए शंख को बजाने से फेफड़े मजबूत ही नहीं बल्कि शरीर को कई और फायदे भी होते हैं.
प्रो.शिवपूजन सिंह भले ही आचार्य नरेंद्र देव विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन उनके लौकी को लेकर शोध कार्य अभी भी जारी है.
प्रोफेसर शिवपूजन सिंह ने किसान तक से बात करते हुए बताया कि उन्होंने घर के ऊपरी हिस्से में लौकी का एक मंदिर बनाया है, जिसमें अलग-अलग आकार की लौकी का संग्रह है. लौकी से बने वाद्य यंत्रों के बारे में पढ़ रहे थे तो उन्हें यह विचार आया की पकने के बाद लौकी से अलग-अलग तरह के उपयोगी वाद्य यंत्र बनाए जा सकते हैं. सपेरे जिस बीन का इस्तेमाल करते हैं, उसका निर्माण भी लौकी से ही होता है. इसीलिए उन्होंने बड़े आकार की गोल लौकी से हेलमेट बना डाला. हालांकि यह हेलमेट उन्होंने अपने उपयोग के लिए बनाया है. आम व्यक्ति के लिए यह उपलब्ध नहीं है. वहीं इस हेलमेट के उपयोग से हमारा मस्तिष्क ठंडा रहता है. यहां तक की सिर के बालों को भी इससे फायदा होता है.
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प्रोफ़ेसर शिवपूजन सिंह ने लौकी की एक से बढ़कर एक किस्म को विकसित किया है. लौकी की सबसे लंबी किस्म शिवानी से ही उन्होंने एक शंख को बनाया है, जो आम शंख की तरह ही ध्वनि देती है. लौकी का बना हुआ शंख बजाने से हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं. यहां तक कि पाचन तंत्र और नर्वस सिस्टम वह फायदा होता है और चेहरे पर निखार भी आता है. इसी साल फरवरी महीने में ही उनके बनाए हुए इस शंख का उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लोकार्पण किया है. उनकी कोशिश है कि इस शंख को जन-जन तक पहुंचाया जाए. जिस पर वह काम कर रहे हैं.
प्रोफ़ेसर शिवपूजन सिंह बताते हैं कि लौकी में एक किस्म होती है, जिसका स्वाद कड़वा होता है. इसे तितलौकि कहते हैं. इस से बनाई हुई तुम्भी में पानी भरकर पीने से हमारी पाचन तंत्र, नर्वस सिस्टम और यहां तक कि पीलिया रोग में इसके बड़े फायदे होते हैं. आज भी साधु संत लौकी के बने हुए तुम्भी का उपयोग पानी पीने के लिए करते हैं.
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