Okra Farming: फरवरी में करें अगेती भिंडी की खेती, एक एकड़ में हो सकता है 3 लाख तक मुनाफा

Okra Farming: फरवरी में करें अगेती भिंडी की खेती, एक एकड़ में हो सकता है 3 लाख तक मुनाफा

जायद सीजन में अगेती भिंडी की खेती कर किसान अच्‍छा मुनाफा हासिल कर सकते हैं. ऐसे में जानिए आपको कौन-सी किस्‍म का चयन करना चाहिए और किन उपायों को अपनाकर अच्‍छा उत्‍पादन ले सकते हैं. भिंडी की खेती न केवल आर्थिक नजरिये से फायदेमंद है, बल्कि यह पोषण और स्वास्थ्य के नजरि‍ए से भी अहम है.

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Okra Farming: फरवरी में करें अगेती भिंडी की खेती, एक एकड़ में हो सकता है 3 लाख तक मुनाफाभिंडी की खेती

जायद में भिंडी की खेती कम समय में तैयार हो जाती है और इसकी अच्छी उपज से किसान को अपेक्षाकृत कम लागत में अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है. भिंडी की फसल को पानी की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती, जिससे यह सूखा क्षेत्रों में भी आसानी से उगाई जा सकती है. भिंडी की फसल में अन्य फसलों की तुलना में कीटों और रोगों का प्रकोप कम होता है दूसरी खास बात यह है कि भिंडी की मांग हमेशा बाजार में बनी रहती है, खासकर शहरों में, जिससे किसानों को अच्छी कीमत मिलती है. किसान इस सीजन में भिंडी की खेती से एक एकड़ में 3 लाख रुपये तक मुनाफा कमा सकते हैं. इस प्रकार, भिंडी की खेती न केवल आर्थिक नजरिये से फायदेमंद है, बल्कि यह पोषण और स्वास्थ्य के नजरि‍ए से भी अहम है.

कब करें भिंडी की खेती

भारत में भिंडी की खेती मुख्य रूप से दो बार की जाती है - गर्मी और बरसात के मौसम में. पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी एक ही फसल होती है, जिसकी बुआई मार्च-अप्रैल में की जाती है. गर्मियों में भिंडी की खेती के लिए असम, बंगाल, ओडिशा और बिहार के कुछ हिस्सों में फरवरी के अंत तक बुआई कर दी जाती है. उत्तर भारत के राज्यों में भी भिंडी की अगेती फसल लेने के लिए फरवरी में ही खेतों में मल्चिंग कर या पुआल बिछाकर आसानी से खेती की जा सकती है. अगर ऐसा मुमकिन ना हो तो उत्तरी राज्यों में मार्च के पहले सप्ताह तक इसकी बुआई कर देनी चाहिए.

भिंडी की उन्नत किस्में और बुवाई का तरीका

अगर किस्मों की बात करें तो पूसा मखमली, पंजाब पद्मनी, परभनी क्रांति, पंजाब-7 और अर्का अनामिका जैसी उन्नत किस्मों का चुनाव कर सकते हैं. एक हेक्टेयर में बुआई के लिए 20 किलो भिंडी के बीज की ज़रूरत होगी. भिंडी के बीजों के जमाव में ज्यादा समय लगता है, ऐसे में बुआई के पहले बीज को 24 घंटे पानी में भिगो लें.

तत्पश्चात बीजों को निकालकर कपड़े की थैली में बांधकर गर्म स्थान में रख दें तथा अंकुरण होने लगे तभी बुआई करें. बीजजनित रोगों की रोकथाम के लिए बुआई से पहले थायरम या कैप्टॉन (2 से 3 ग्राम दवा प्रति कि.ग्रा.) से बीज को उपचारित कर लेना चाहिए. जायद की फसल के लिए लाइन टू लाइन की दूरी 30 सें.मी. व पौधे से पौधे दूरी 15 सें.मी. रखनी चाहिए.

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भिंडी की खेती का तरीका

भिंडी की खेती के लिए मिट्टी खूब भुरभुरी होनी चाहिए. खेत को 1 बार गहराई से मिट्टी पलटने वाले हल से और 2-3 बार हैरो या देसी हल से जोत कर ठीक तरह से तैयार कर लेना चाहिए. एक हेक्टेयर खेत में 30 टन गोबर की खाद बुआई से 2 सप्ताह पहले खेत में मिला देना चाहिए. रासायनिक उर्वरकों को खेत की मिट्टी की जांच के अनुसार ही प्रयोग करना चाहिए.

इसके अतिरिक्त 40 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 40 कि.ग्रा. फास्फोरस व 40 कि.ग्रा. पोटाश को प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई से पूर्व आखिरी जुताई के समय देना चाहिए. खड़ी फसल में 40 से 60 कि.ग्रा. नाइट्रोजन को दो बराबर भागों में बांटकर पहली मात्रा बुआई के 3-4 सप्ताह बाद पहली निराई-गुड़ाई के समय तथा दूसरी मात्रा फसल में फूल बनने की अवस्था में  देना  फायदेमंद होता है.   

अगेती भिंडी की खेती से कमाई

भिंडी में 45-60 दिनों में फल लगने लगते हैं और लगभग 5-6 महीने तक निरंतर मिलते रहते हैं. हर 4-5 दिन में एक बार भिंडी की तुड़ाई करनी चाहिए, इसके अलावा, हर 5-6 दिन में या हफ्ते में एक बार सिंचाई भी करनी चाहिए, ताकि पानी की कमी न हो. उन्नत किस्म के बीज से एक हेक्टेयर में लगभग 60-70 क्विंटल भिंडी की पैदावार हो सकती है. यह भिंडी रिटेल मार्केट में आराम से 30 से लेकर 50 रुपये प्रति किलो की औसत कीमत पर बिक सकती है. अगर भिंडी की लागत को निकाल दें तो 3 से 4 महीने प्रति हेक्टेयर करीब 3 लाख रुपये की कमाई हो सकती है.

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