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मई-जून में क्यों करना चाह‍िए चूहों का कंट्रोल, क‍िसानों के ल‍िए बहुत काम की है यह जानकारी

मई-जून में क्यों करना चाह‍िए चूहों का कंट्रोल, क‍िसानों के ल‍िए बहुत काम की है यह जानकारी

कृष‍ि वैज्ञान‍िकों के अनुसार खुले हुए अनाज पर कीटनाशी नहीं रखना चाहिए. चूहा शंकालु प्रवृत्ति का होता है. इसलिए बदल-बदल कर विष चारा, चूहेदानी एवं टिकिया को रखना चाहिए. दवा का अनाज में प्रयोग करने के बाद हाथ साबुन से अच्छी तरह धो लेना चाहिए. 

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 जानिए चूहों से फसलों को बचाने के लिए क्या करना चाहिए जानिए चूहों से फसलों को बचाने के लिए क्या करना चाहिए

खेती-क‍िसानी के ल‍िए चूहे बड़ा संकट बनकर उभर रहे हैं. यह क‍िसानों की मेहनत पर पानी फेर देते हैं. फसलों का खेतों में भी नुकसान करते हैं और अगर मौका म‍िले तो खेत से घर में आई उपज को भी खा जाते हैं. इसल‍िए इनका न‍ियंत्रण बहुत जरूरी है. भारतीय कृष‍ि अनुसंधान संस्थान (ICAR) के वैज्ञान‍िकों ने अपनी एक पत्र‍िका में सलाह दी है क‍ि चूहा नियंत्रण पूरे घर व आसपास के क्षेत्रों में मई व जून में करना चाहिए. क्योंक‍ि इस समय खेत में अन्य कोई खाद्यान्न नहीं होता है. इसलिए चूहा आपकी कोई रखी हुई चीज आसानी से खा लेता है. चूहों से बचाने के लिए एक ग्राम जिंक फॉस्फाइड और 19 ग्राम सत्तू या आटे में थोड़ा सरसों का तेल मिलाकर लगभग 10 ग्राम की गोली बनाकर चूहों के आने-जाने के रास्ते पर रख देनी चाहिए. 

वैज्ञान‍िकों के अनुसार खुले हुए अनाज पर कीटनाशी नहीं रखना चाहिए. चूहा शंकालु प्रवृत्ति का होता है. इसलिए बदल-बदल कर विष चारा, चूहेदानी एवं टिकिया को रखना चाहिए. दवा का अनाज में प्रयोग करने के बाद हाथ साबुन से अच्छी तरह धो लेना चाहिए. चूहों को नियंत्रित करने के लिए 2 से 3 प्रतिशत जिंक सल्फाइड उपयुक्त माना गया है. विष चुग्गा देने से पूर्व दो-तीन दिनों तक बिना जहर वाला चुग्गा चूहों को देना चाहिए, ताकि चूहों की नई वस्तु स्वीकार करने की आदत कम की जा सके.

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चूहा कंट्रोल करने का तरीका 

कृष‍ि वैज्ञान‍िकों के अनुसार विष चुग्गा बनाने के लिए बाजरा या किसी अन्य अनाज में हल्का सा मूंगफली का तेल लगा लें. इसके बाद 1 क‍िलोग्राम बाजरे में 15 से 20 ग्राम जिंक फॉस्फाइड पाउडर डालकर एक लकड़ी से अच्छी तरह हिला लें. चुग्गा बनाते समय बच्चों को दूर रखें व बनाने वाला व्यक्ति अपने मुंह पर मास्क लगा ले. इस चुग्गे को खेत में उस जगह डालें, जहां चूहों की आवाजाही हो. 
इसके अलावा भंडारघरों में दीवार के किनारे-किनारे डाल दें. अगले दिन सुबह बचे हुए अनाज के दानों को अच्छी तरह इकट्ठा करके नष्ट कर दें. आवासीय जगहों के लिए एंटी कोअगुलेंट कृतक नियंत्रण दवाइयां, जो कम जहरीली हों, का प्रयोग किया जाता है. यह कार्य विशेषज्ञ की सहायता से ही करना चाहिए. 

चूहों और कीटों से खाद्यान्न का क‍ितना नुकसान 

कृष‍ि वैज्ञान‍िक रश्मि यादव, बृज विकास सिंह, अंकुर झा और अनंत कुमार ने बताया है क‍ि भारत में वार्षिक भंडारण हानि 7000 करोड़ रुपये कीमत के साथ लगभग 14 मिलियन टन खाद्यान्न की है. इससे अकेले कीटों से हानि लगभग 1300 करोड़ रुपये के बराबर के खाद्यान्न की है. भंडारण कीट द्वारा प्रमुख हानि न केवल उनके द्वारा अनाज को खाने से होती है, बल्कि संदूषण (अशुद्धता) से भी होती है. ऐसा नुकसान करने में कीटों की लगभग 600 किस्में सक्रिय हैं. 

भंडारित उत्पादों के कीटों की लगभग 100 किस्में आर्थिक हानि पहुंचाती हैं. विश्व बैंक की रिपोर्ट (वर्ष 1999) के अनुसार भारत में फसलोत्तर हानि प्रत्येक वर्ष 12 से 16 मिलियन टन खाद्यान्न है, जो भारत की एक तिहाई गरीब आबादी का पेट भर सकती है.  फसलोत्तर हानि में से भंडारण कीट द्वारा हानि ही 2.0 से 4.2 प्रतिशत है. इसके बाद चूहों द्वारा क्षति 2.50 प्रतिशत, पक्षियों द्वारा 0.85 प्रतिशत और नमी के कारण 0.68 प्रतिशत है.

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