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पति ने छोड़ा साथ पर नहीं मानी हार, लीज पर जमीन लेकर गुड़िया ने शुरू किया मछली पालन, आज कमा रहीं 3 लाख रुपये

पति ने छोड़ा साथ पर नहीं मानी हार, लीज पर जमीन लेकर गुड़िया ने शुरू किया मछली पालन, आज कमा रहीं 3 लाख रुपये

गुड़िया ने बताया कि उसकी शादी साल 2002 में रायबरेली जनपद के महाराजगंज तहसील क्षेत्र अंतर्गत सलेथु गांव के रहने वाले अशोक कुमार से हुई थी. लेकिन यह रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं चल सका.

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 गुड़िया मुख्य रूप से तीन प्रकार की मछलियों का पालन करती है. (Photo-Kisan Tak) गुड़िया मुख्य रूप से तीन प्रकार की मछलियों का पालन करती है. (Photo-Kisan Tak)

Fish Farming: अगर आपको कठिन परिस्थितियों से लड़ना आता है. तो आप दूसरे को भी आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणा बन सकते हैं. कुछ इसी तरह का मामला रायबरेली की रहने वाली गुड़िया में देखने को मिला है. क्योंकि उन्होंने अपनी मेहनत व लगन से अपनी तकदीर बदल दी. वह उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो निराश्रित व बेसहारा हो गई हैं. गुड़िया आज एक बीघा जमीन लीज पर लेकर मछली पालन से सालाना 2 से 3 लाख रुपये की कमाई कर रही हैं.

शादी के बाद पति ने दिया तलाक

किसान तक से बातचीत में गुड़िया ने बताया कि उसकी शादी साल 2002 में रायबरेली जनपद के महाराजगंज तहसील क्षेत्र अंतर्गत सलेथु गांव के रहने वाले अशोक कुमार से हुई थी. लेकिन यह रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं चल सका. साल 2005 में उनके पति ने उन्हें तलाक दे दिया. वह बताती हैं कि पति से तलाक मिलने के बाद उनके सर पर मानो गमों का पहाड़ टूट पड़ा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. पति का साथ छूटने के बाद वह अपने बेटे देव आकाश के साथ अपने पिता के घर रहने लगी. 

बुआ और फूफा दोनों की अचानक मौत

कुछ समय तक अपने पिता के घर रहने के बाद वह अपने फूफा जागेश्वर के घर गंगा खेड़ा गांव आकर रहने लगी. क्योंकि उनकी बुआ फूफा की कोई संतान नहीं थी. तो वह अपने बुआ-फूफा के बुढ़ापे का सहारा बनकर यहां रहने लगी और उनकी सेवा करने लगी. गुड़िया बताती हैं कि उनके फूफा लीज पर जमीन लेकर मछली पालन का काम करते थे. जिसमें वह भी उनके कार्य में हाथ बटाने लगी. इसी बीच साल 2022 में उनके बुआ और फूफा दोनों की अचानक मौत हो गई. दोनों की मौत के बाद वह फिर से बेसहारा हो गई. लेकिन उन्होंने अपने जीवन की कठिनाइयों को अपनी सफलता में बदलने के लिए अपने फूफा के कार्य को संभाला और मछली पालन के काम में लग गई. 

लखनऊ और गोरखपुर मछलियों की बिक्री 

वह बीते 4 वर्षों से 10 हजार रुपए सालाना की दर से लीज पर एक बीघा जमीन लेकर तालाब बनाकर मछली पालन का काम कर रही है. जिससे वह सालाना 1.5 से 2 लाख रुपये का मुनाफा कमा रही है. उन्होंने बताया कि तालाब में पालने के लिए मछलियों के बच्चे वह लखनऊ के गोसाईगंज से लाती है. वहीं तैयार मछलियों को गोरखपुर और लखनऊ में बेचती है. 

साल में दो बार मछलियों की बिक्री

रायबरेली जिले के शिवगढ़ थाना क्षेत्र अंतर्गत बैंती गांव की रहने वाली गुड़िया ने बताया कि वह मुख्य रूप से तीन प्रकार की मछलियों का पालन करती है, जिनमें रोहू, ग्रास कटर ,कॉमन प्रजाति की मछलियां हैं. क्योंकि इनकी बाजारों में मांग अधिक होती है. जहां से उन्हें मछलियों के अच्छे दाम मिल जाते हैं. आगे की जानकारी देते हुए वह बताती है कि वह साल में दो बार मछलियों की बिक्री करती है. वहीं मछली पालन के काम में 40 से 50 हजार रूपए की लागत आती है, तो लागत के सापेक्ष सालाना 2 से 3 लाख रुपए तक की आसानी से कमाई भी हो जाती है.

मछली पालन के साथ सब्जियों की खेती
मछली पालन के साथ सब्जियों की खेती

गुड़िया ने आगे बताया कि इसके साथ ही वह तालाब के चारों ओर सब्जी की खेती भी कर रही है. जिसमें वह मुख्य रूप से खीरा, कद्दू, तोरई की फसल भी तैयार कर रही है. जिन्हें वह स्थानीय बाजारों से लेकर रायबरेली की बाजारों में बिक्री के लिए भेजती है. इस कार्य से भी वह अच्छा मुनाफा कमा लेती है.

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