देशभर में रबी सीजन में गेहूं की बंपर स्पीड में बुवाई जारी है. जबकि, कुछ इलाकों में गेहूं के बीज से अंकुर भी निकलने शुरू हो गए हैं. गेहूं बुवाई में तेजी की बड़ी वजह केंद्र की ओर से एमएसपी में 150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी का ऐलान है. गेहूं का उत्पादन बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने किसानों को फसल में उचित समय पर सही मात्रा में पानी लगाने की सलाह दी है. कृषि एक्सपर्ट ने किसानों को बताया है कि गेहूं की फसल में कब-कब और कितना पानी देना चाहिए.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 2024-25 के लिए खाद्यान्न के उत्पादन का राष्ट्रीय लक्ष्य 3415.5 लाख टन (341.55 मिलियन) तय किया है. इसमें से चावल का कुल उत्पादन टारगेट 1363 लाख टन रखा है. जबकि, गेहूं के लिए 1150 लाख टन उत्पादन लक्ष्य रखा है. हालांकि, कृषि एक्सपर्ट ने मौसम स्थितियों को देखते हुए फसल को फायदा पहुंचने की संभावना जताई है, जिससे टारगेट से अधिक उत्पादन की संभावना को बल मिला है.
उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग ने किसानों को गेहूं फसल में किस समय पानी देना चाहिए. इसके बारे में पूरी प्रक्रिया बताई है.
कुछ इलाकों और गेहूं किस्मों में 3 पानी की ही जरूरत होती है. ऐसे इलाकों के किसान 3 सिंचाई करने के लिए बुवाई के 20 -25 दिन ताजमूल अवस्था पर सिंचाई करें. इसके बाद 80 दिन बाद बाली निकलने के पहले और फिर तीसरी सिंचाई 115 दिन बाद दाना मजबूत होने के दौरान करना चाहिए.
कृषि एक्सपर्ट ने दिसंबर और जनवरी महीने में सिंचाई पर खास ध्यान देने की सलाह दी है. अधिक पानी पौधे की ग्रोथ को प्रभावित कर सकता है. इसलिए खेत में पानी के भराव को जड़ के डूबने से अधिक नहीं रखें. वहीं, गेहूं फसल के लिए मौसम स्थितियां अनुकूल रहने के संकेत कृषि एक्सपर्ट ने दिए हैं. कहा कि खरीफ सीजन में अच्छी बारिश ने इस बार शीत अधिक रहने के स्पष्ट संकेत दिए हैं. कोहरा ठीक ठाक रहने वाला और ठंड भी पड़ेगी, जो गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद होगी. उन्होंने कहा कि दिसंबर मध्य से कोहरे और शीतलहर का प्रकोप देखने को मिलेगा.
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