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फरवरी महीने में क्या करें किसान? सरकार ने जारी की एडवाइजरी

फरवरी महीने में क्या करें किसान? सरकार ने जारी की एडवाइजरी

गन्ने की फसल को लेकर भी क‍िसानों को कुछ सलाह दी गई है. ज‍िसमें कहा गया है क‍ि मोढ़ी फसल में यदि अच्छी फूट आ गई हो तो फरवरी माह में पहली जुताई-गुड़ाई के समय 30 किलोग्राम शुद्ध नाइट्रोजन (66 किलोग्राम यूरिया) प्रति एकड़ डालें. 

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 फसलों के लिए सरकार ने जारी की एडवाइजरी फसलों के लिए सरकार ने जारी की एडवाइजरी

खेती-क‍िसानी के ल‍िए फरवरी का महीना बहुत महत्वपूर्ण है. क्योंक‍ि इसमें रबी सीजन वाली फसलें पकनी शुरू हो जाती हैं. सब्ज‍ियों की फसलों की बुवाई भी होती है. फ‍िलहाल, कृषि वैज्ञान‍िकों ने इस महीने चारा फसलों और गन्ना को लेकर क‍िसानों को सलाह दी है क‍ि वो इन्हें लेकर क्या कर सकते हैं. कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने कहा है क‍ि बरसीम, रिजका एवं जई जैसी चारा फसलों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें. सही अवस्था पर चारे की कटाई करते रहें. चारे की कटाई ओस सूखने के बाद करें. फालतू बरसीम एवं रिजका की 'हे' तथा जई की 'साइलेज' बना लें. साइलेज अधिक पाचक व पौष्टिक होने की वजह से पशुओं को अधिक स्वस्थ एवं अधिक दूध देने में सहायक होती है. 

गन्ने की फसल को लेकर भी क‍िसानों को कुछ सलाह दी गई है. ज‍िसमें कहा गया है क‍ि मोढ़ी फसल में यदि अच्छी फूट आ गई हो तो फरवरी माह में पहली जुताई-गुड़ाई के समय 30 किलोग्राम शुद्ध नाइट्रोजन (66 किलोग्राम यूरिया) प्रति एकड़ डालें. इसी तरह यदि ज़मीन में फास्फोरस कम है और बीजी फसल में फास्फोरस की कमी दिखाई दे तो नाइट्रोजन उर्वरक के साथ 20 किलोग्राम शुद्ध फास्फोरस (125 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट या 44 किलोग्राम डीएपी या टीएसपी) भी अवश्य डालें. 

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गेहूं की फसल की देखरेख करें 

फसलों की बेहतर पैदावार के लिए उनकी देखभाल करना बेहद जरूरी है. ऐसे में हर माह खेती में क्या करना चाह‍िए इसकी जानकारी होनी चाह‍िए. गेहूं की फसल में करनाल बंट रोग की रोकथाम के लिए बाली आने की अवस्था पर 0.1 प्रतिशत (एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) प्रोपीकोनाजोल के घोल का छिड़काव करें. स्प्रे को दो सप्ताह बाद दोहराएं. यही नहीं गेहूं की फसल में गांठ बनते समय यानी बुवाई के 65 द‍िन बाद और बालियां आने के समय यानी बुवाई के 80 दिन बाद व जौ में दूधिया अवस्था में सिंचाई जरूर करें. इस महीने गेहूं की फसल में रतुआ की निगरानी करते रहें. काला, भूरा अथवा पीला रतुआ आने पर फसल में डाइथेन एम-45 (2.5 ग्राम/लीटर पानी) का छिड़काव करें.

सब्जी फसलों में क्या करें 

सब्जियों में बैंगन, टमाटर व भिंड़ी में मकड़ी, थ्रिप्स, सफेद व हरा तेला पत्तियों व तने का रस चूसकर पौधों को रोगग्रस्त बनाते हैं.  इससे बचाव के लिए डायमिथोएट 30 ईसी एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें. बैंगन और टमाटर की फसल में फल एवं तना छेदक कीट के नियंत्रण के लिए प्रभावित शाखाओं एवं फलों को तोडक़र नष्ट कर दें. फल बनने की अवस्था पर एसीफेट 75 एसपी दवा 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से स्प्रे करें. भिंडी की अगेती बुवाई के ल‍िए ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि किस्मों की बुवाई करें. बुवाई से पूर्व खेतों में पर्याप्त नमी का ध्यान रखें. बीज की मात्रा 10-15 कि.ग्रा./एकड़ रखें.

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