खरीफ फसलों का बीमा (Fasal Bima) कराने का काम जारी है. अगर आप भी किसान हैं और अपनी फसलों का बीमा कराना चाहते हैं, तो तुरंत करा लें क्योंकि इसकी अंतिम तारीख 31 जुलाई है. 31 जुलाई के बाद सरकार अगर फसल बीमा की तारीख बढ़ाती है, तो ठीक वर्ना उसके बाद किसानों को मौका नहीं मिलेगा. फसल बीमा का नियम है कि किसान ने जिस बैंक और बीमा कंपनी के जरिये फसल का इंश्योरेंस कराया है, वह बैंक इंश्योरेंस काटकर बीमा कंपनी के खाते में भेज देता है. यह बीमा फसल के हिसाब से कराया जाता है. ऐसे में अगर कोई किसान बीमा कराने के बाद अपनी फसल बदलना चाहता है तो उसे बैंक में लिखित में इसकी जानकारी देनी होती है. ऐसी कई जरूरी बातें हैं जो किसानों को फसल बीमा (PMFBY) कराने से पहले जान लेनी चाहिए. आइए इन सभी बातों को पांच सवाल-जवाब में समझते हैं.
1-क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और कब तक करा सकते हैं इंश्योरेंस?
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना यानी कि PMFBY केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त स्कीम है जिसमें सब्सिडी रेट पर फसलों का प्रीमियम दिया जाता है. इसमें किसान को फसल बीमा का डेढ़ से दो परसेंट पैसा देना होता है. बाकी पैसा केंद्र और राज्य सरकारें देती हैं. केंद्र और राज्य प्रीमियम का 50-50 परसेंट हिस्सा देती हैं. उत्तर पूर्व राज्यों में केंद्र प्रीमियम का 90 परसेंट पैसा देती है. अभी 31 जुलाई तक बीमा कराने की अंतिम तारीख है.
2- फसल बीमा कराने के लिए कौन-कौन से कागज देने होते हैं, कौन फसल होगी शामिल?
PMFBY के तहत फसल बीमा कराने के लिए बस सामान्य से दस्तावेज़ ही चाहिए होते हैं, जैसे- आधार कार्ड की कॉपी, बैंक पासबुक के पहले पेज की कॉपी, भूमि संबंधित दस्तावेज़ की कॉपी और राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए अन्य दस्तावेज़ आदि.
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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत राज्य द्वारा अधिसूचित की गई सभी फसलों का बीमा कराया जा सकता है. ख़रीफ़ फसलों में सोयाबीन, धन, ज्वार, मक्का, कपास, मूंगफली, दालें इत्यादि का बीमा कराया जा सकता है.
3- किसान कब और किस परिस्थिति में उठा सकते हैं फसल बीमा का लाभ?
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना यानी कि PMFBY बेमौसम बारिश, सूखा और अन्य प्राकृतिक या स्थानीय आपदाओं की वजह से फसल बुआई से पहले, खड़ी फसल या कटाई के 14 दिन बाद तक फसलों को होने वाले नुक़सान से बचाती है. राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित ख़रीफ़ फसलों को PMFBY से सुरक्षा कवच मिलता है. इसमें फसल के नुकसान का पैसा राज्य सरकार के निर्देश पर बीमा कंपनियां किसानों को जारी करती हैं.
4-प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान को बीमा का कितना प्रीमियम देना होगा?
फसल बीमा का पैसा किसान के अलावा केंद्र और राज्य सरकार मिलजुल कर देते हैं. किसान को सामान्य तौर पर फसल बीमा का डेढ़ से दो परसेंट तक पैसा देना होता है. इसके बाद बाकी प्रीमियम की दर को केंद्र और राज्य सरकार 50-50 परसेंट के हिसाब से चुकाती हैं. अगर कोई किसान उत्तर-पूर्व का है, तो केंद्र सरकार 90 परसेंट तक अपनी हिस्सेदारी देती है.
प्रीमियम की दर राज्य सरकारें अपने हिसाब से तय करती हैं. उदाहरण के लिए, राजस्थान में कृषि विभाग ने प्रदेशभर के किसानों के लिए फसल बीमा योजना की नई गाइडलाइन जारी की है. इसके तहत 31 जुलाई तक खरीफ फसल का बीमा किया जाना है. बीमा की प्रीमियम राशि 5 से 10 प्रतिशत है, जिसका 2 से 4 प्रतिशत किसान और बाकी केंद्र और राज्य सरकार वहन करेगी.
5-फसल नुकसान होने पर किसान को कितना क्लेम मिलेगा? क्या है नियम
गाइडलाइन के अनुसार बीमित फसल का नुक़सान होने पर किसान को नुक़सान का 80 प्रतिशत तक दावा मिल सकेगा. फसल नुकसान होने की स्थिति में निर्धारित बीमित राशि से आनुपातिक आधार पर दावा क्लेम का भुगतान किया जाता है. इस योजना में फसल उपज और हानि का सही आकलन करने के लिए YES-Tech, Winds and Cropic जैसी टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है. साथ ही, किसानों को बीमा क्लेम का समय पर और पूरा पैसा मिले, इसके लिए डिजिक्लेम पोर्टल की शुरुआत की गई है.
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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भारत सरकार की किसान कल्याणकारी योजना है, जो आधुनिक तकनीकी के साथ जुड़कर किसानों को फसल सुरक्षा दे रही है. पिछले सात सालों में इस योजना के अंतर्गत अब तक लगभग 48.46 करोड़ रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं और लगभग 14.75 करोड़ आवेदनों को इस योजना का लाभ मिल चुका है. फसल बीमा का रजिस्ट्रेशन कराने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है.
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