गेहूं के खेत में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार हैं तो ये खाद डालें किसान, भूरे रतुआ की निगरानी भी जरूरी

गेहूं के खेत में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार हैं तो ये खाद डालें किसान, भूरे रतुआ की निगरानी भी जरूरी

यदि गेहूं के खेत में संकरी और चौड़ी पत्ती वाले दोनों प्रकार के खरपतवार हैं तो सल्फोसल्फ्यूरॉन 75 डब्ल्यूजी 13.5 ग्राम/एकड़ या सल्फोसल्फ्यूरॉन मेटसल्फ्यूरॉन 80 डब्ल्यूजी 16 ग्राम एकड़ को 120-150 लीटर पानी में मिलाकर पहली सिंचाई से पहले या सिंचाई के 10-15 दिन बाद इस्तेमाल करें. वैकल्पिक रूप से, गेहूं में विविध खरपतवारों के नियंत्रण के लिए मेसोसल्फ्यूरॉन आयोडोसल्फ्यूरॉन 3.6% डब्ल्यूडीजी 160 ग्राम प्रति एकड़ का भी इस्तेमाल किया जा सकता है

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गेहूं के खेत में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार हैं तो ये खाद डालें किसान, भूरे रतुआ की निगरानी भी जरूरीगेहूं की फसल में खरपतवार प्रबंधन

आईसीएआर, भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने गेहूं की फसल को लेकर एडवाइजरी जारी की है.  इसमें गेहूं की खेती से जुड़ी सलाह 16-28 फरवरी तक के लिए जारी की गई है. भारत के सभी क्षेत्रों में गेहूं की बुआई और अन्य पद्धतियों के मुताबिक फसल मौसम 2024-25 के लिए सामान्य सुझाव जारी किया गया है. आइए जान लेते हैं कि इसमें क्या कहा गया है.

  • पानी बचाने और लागत कम करने के लिए खेतों की समय पर और विवेकपूर्ण तरीके से सिंचाई करें.
  • इस अवस्था में उचित खरपतवार प्रबंधन का पालन किया जाना चाहिए.
  • सिंचाई से पहले मौसम पर नजर रखें और बारिश का पूर्वानुमान होने पर सिंचाई से बचें ताकि अधिक पानी की स्थिति से बचा जा सके.
  • यदि फसल में पीलापन है, तो अत्यधिक नाइट्रोजन (यूरिया) का उपयोग न करें. इसके अलावा, कोहरे या बादल वाली स्थिति में नाइट्रोजन के उपयोग से बचें.
  • पीले, भूरे और काले रतुआ संक्रमण के लिए फसल की नियमित निगरानी करें और नजदीकी संस्थान, एसएयू या केवीके से परामर्श करें.
  • संरक्षण कृषि में, सिंचाई से ठीक पहले यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करनी चाहिए.

खरपतवार प्रबंधन

देर से बोई गई गेहूं में संकीर्ण पत्ती वाले खरपतवारी को नियंत्रित करने के लिए क्लोडिनाॉप 15 WP @ 160 ग्राम प्रति एकड़ या पिनोक्साडेन 5 EC @ 400 मिली प्रति एकड़ डालें. चौड़ी पती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए 2,4-डी 500 मिली/एकड़ या भेटसल्फ्यूरॉन 20 डब्ल्यूपी 8 ग्राम प्रति एकड या काफैट्राजोन 40 डीएफ 20 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें.

यदि गेहूं के खेत में संकरी और चौड़ी पत्ती वाले दोनों प्रकार के खरपतवार हैं तो सल्फोसल्फ्यूरॉन 75 डब्ल्यूजी 13.5 ग्राम/एकड़ या सल्फोसल्फ्यूरॉन मेटसल्फ्यूरॉन 80 डब्ल्यूजी 16 ग्राम एकड़ को 120-150 लीटर पानी में मिलाकर पहली सिंचाई से पहले या सिंचाई के 10-15 दिन बाद इस्तेमाल करें. वैकल्पिक रूप से, गेहूं में विविध खरपतवारों के नियंत्रण के लिए मेसोसल्फ्यूरॉन आयोडोसल्फ्यूरॉन 3.6% डब्ल्यूडीजी 160 ग्राम प्रति एकड़ का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

बहु-शाकनाशी प्रतिरोधी फलारिस माइनर (कनकी/गुल्ली डंडा) के नियंत्रण के लिए, बुवाई के 0-3 दिन बाद 60 ग्राम प्रति एकड़ की दर से पायरोक्सासल्फोन 85 डबल्यू‌जी का छिड़काव करें या क्लोडिनाफॉप मेट्रिब्यूजिन 12+42% डब्ल्यूपी के तैयार मिश्रण को 200 ग्राम एकड़ की दर से पहली सिंचाई के 10-15 दिन बाद 120-150 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें. 

यदि बुवाई के समय पायरोक्सासल्फोन 85 डब्ल्यूजी का छिडकाव नहीं किया गया है, तो बुवाई के 20 दिन बाद यानी पहली सिंचाई से 1-2 दिन पहले 60 ग्राम एकड़ की दर से भी छिड़काव किया जा सकता है.

सिंचाई प्रबंधन

  • गेहूं की फसल को गिरने से बचाने के लिए हवा की गति कम होने पर जरूरत के अनुसार सिंचाई करें.
  • यदि तापमान में वृद्धि (30 डिग्री सेल्सियस से अधिक) हो तो 0.2% (200 लीटर पानी में 400 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश) या 2% (200 लीटर पानी में 4 किलोग्राम पोटैशियम नाइट्रेट) की दर से पोटैशियम नाइट्रेट का छिड़काव करें.
  • दक्षिणी हरियाणा और राजस्थान के उतरी भागों में, उच्च तापमान वाले दिन दोपहर 2 से 2.30 बजे के आसपास एक घंटे के लिए छिड़काव और सिंचाई की जा सकती है.

रतुआ के लिए सलाह

किसानों को की सलाह दी जाती है कि वे धारीदार रतुआ (पीला रतुआ), भूरा या काला रतुआ का कोई भी प्रकोप होने पर नियमित रूप से अपनी फसल का निरीक्षण करें. यदि किसान अपने गेहूं के खेतों में रतुआ का प्रकोप देखते हैं और इसकी पुष्टि करते हैं, तो प्रोपिकोनाजोल 25इसी का एक छिड़काव करने की सलाह दी जाती है. 

एक लीटर पानी में एक मिली रसायन मिलाया जाना चाहिए और इस प्रकार 200 मिली फफूंदनाशक को 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ गेहूं की फसल में छिड़काव किया जाना चाहिए. किसानों को फसल पर तब छिड़काव करना चाहिए जब मौसम साफ हो, यानी बारिश न हो, कोहरा ओस आदि न हो.

एफिड के लिए सलाह

गेहूं में लीफ एफिड (चेपा) पर लगातार नजर रखें. अगर लीफ एकिड की संख्या आर्थिक नुकसान के स्तर (ईटीएलः 10-15 एफिड/टिलर) को पार कर जाती है, तो क्विनालफॉस 25% इसी का इस्तेमाल करें. 400 मिली क्विनालफॉस को 200-250 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव करें.

 

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