आईसीएआर, भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने गेहूं की फसल को लेकर एडवाइजरी जारी की है. इसमें गेहूं की खेती से जुड़ी सलाह 16-28 फरवरी तक के लिए जारी की गई है. भारत के सभी क्षेत्रों में गेहूं की बुआई और अन्य पद्धतियों के मुताबिक फसल मौसम 2024-25 के लिए सामान्य सुझाव जारी किया गया है. आइए जान लेते हैं कि इसमें क्या कहा गया है.
देर से बोई गई गेहूं में संकीर्ण पत्ती वाले खरपतवारी को नियंत्रित करने के लिए क्लोडिनाॉप 15 WP @ 160 ग्राम प्रति एकड़ या पिनोक्साडेन 5 EC @ 400 मिली प्रति एकड़ डालें. चौड़ी पती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए 2,4-डी 500 मिली/एकड़ या भेटसल्फ्यूरॉन 20 डब्ल्यूपी 8 ग्राम प्रति एकड या काफैट्राजोन 40 डीएफ 20 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें.
यदि गेहूं के खेत में संकरी और चौड़ी पत्ती वाले दोनों प्रकार के खरपतवार हैं तो सल्फोसल्फ्यूरॉन 75 डब्ल्यूजी 13.5 ग्राम/एकड़ या सल्फोसल्फ्यूरॉन मेटसल्फ्यूरॉन 80 डब्ल्यूजी 16 ग्राम एकड़ को 120-150 लीटर पानी में मिलाकर पहली सिंचाई से पहले या सिंचाई के 10-15 दिन बाद इस्तेमाल करें. वैकल्पिक रूप से, गेहूं में विविध खरपतवारों के नियंत्रण के लिए मेसोसल्फ्यूरॉन आयोडोसल्फ्यूरॉन 3.6% डब्ल्यूडीजी 160 ग्राम प्रति एकड़ का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
बहु-शाकनाशी प्रतिरोधी फलारिस माइनर (कनकी/गुल्ली डंडा) के नियंत्रण के लिए, बुवाई के 0-3 दिन बाद 60 ग्राम प्रति एकड़ की दर से पायरोक्सासल्फोन 85 डबल्यूजी का छिड़काव करें या क्लोडिनाफॉप मेट्रिब्यूजिन 12+42% डब्ल्यूपी के तैयार मिश्रण को 200 ग्राम एकड़ की दर से पहली सिंचाई के 10-15 दिन बाद 120-150 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें.
यदि बुवाई के समय पायरोक्सासल्फोन 85 डब्ल्यूजी का छिडकाव नहीं किया गया है, तो बुवाई के 20 दिन बाद यानी पहली सिंचाई से 1-2 दिन पहले 60 ग्राम एकड़ की दर से भी छिड़काव किया जा सकता है.
किसानों को की सलाह दी जाती है कि वे धारीदार रतुआ (पीला रतुआ), भूरा या काला रतुआ का कोई भी प्रकोप होने पर नियमित रूप से अपनी फसल का निरीक्षण करें. यदि किसान अपने गेहूं के खेतों में रतुआ का प्रकोप देखते हैं और इसकी पुष्टि करते हैं, तो प्रोपिकोनाजोल 25इसी का एक छिड़काव करने की सलाह दी जाती है.
एक लीटर पानी में एक मिली रसायन मिलाया जाना चाहिए और इस प्रकार 200 मिली फफूंदनाशक को 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ गेहूं की फसल में छिड़काव किया जाना चाहिए. किसानों को फसल पर तब छिड़काव करना चाहिए जब मौसम साफ हो, यानी बारिश न हो, कोहरा ओस आदि न हो.
गेहूं में लीफ एफिड (चेपा) पर लगातार नजर रखें. अगर लीफ एकिड की संख्या आर्थिक नुकसान के स्तर (ईटीएलः 10-15 एफिड/टिलर) को पार कर जाती है, तो क्विनालफॉस 25% इसी का इस्तेमाल करें. 400 मिली क्विनालफॉस को 200-250 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव करें.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today