पराली से ऐसे बनाएं चारा तो बढ़ जाएगा पशुओं का दूध, एक्सपर्ट ने बताया आसान तरीका

पराली से ऐसे बनाएं चारा तो बढ़ जाएगा पशुओं का दूध, एक्सपर्ट ने बताया आसान तरीका

किसान 30 लीटर पानी में 1 किलो यूरिया और 3 किलो गुड़ डालकर घोल तैयार कर सकते हैं. यूरिया और गुड़ के घोल को 1 क्विंटल धान के भूसे पर छिड़कें या स्प्रे करें और इसे टोटल मिक्स्ड राशन मशीन में इस तरह मिलाएं कि धान का पूरा भूसा यूरिया गुड़ के घोल से गीला हो जाए. मिश्रण के 15 मिनट बाद यह पशुओं को खिलाने के लिए तैयार हो जाएगा

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पराली से ऐसे बनाएं चारा तो बढ़ जाएगा पशुओं का दूध, एक्सपर्ट ने बताया आसान तरीकापराली प्रबंधन मशीन

पराली जलाना इन दिनों गंभीर चिंता का विषय है. पंजाब में हर साल बड़ी मात्रा में धान की पराली पैदा होती है, जिसका इस्तेमाल पशुओं के चारे में किया जा सकता है, जिससे डेयरी फार्मिंग की इनकम और उसका फायदा बढ़ सकता है. आम तौर पर धान की पराली का इस्तेमाल पशुओं के शेड और बिस्तर बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन इसे यूरिया और गुड़ के साथ उपचारित करके पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. यह जानकारी गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना के पशु पोषण विशेषज्ञ डॉ. जे एस लांबा ने साझा की.

उन्होंने बताया कि किसान 30 लीटर पानी में 1 किलो यूरिया और 3 किलो गुड़ डालकर घोल तैयार कर सकते हैं. यूरिया और गुड़ के घोल को 1 क्विंटल धान के भूसे पर छिड़कें या स्प्रे करें और इसे टोटल मिक्स्ड राशन मशीन में इस तरह मिलाएं कि धान का पूरा भूसा यूरिया गुड़ के घोल से गीला हो जाए. मिश्रण के 15 मिनट बाद यह पशुओं को खिलाने के लिए तैयार हो जाएगा. धान के भूसे में 25 ग्राम नमक और 50 ग्राम खनिज मिश्रण मिलाकर इसे दुधारू पशुओं को हरे चारे और सांद्र मिश्रण के साथ 2 किलोग्राम प्रतिदिन की दर से इस्तेमाल किया जा सकता है. सूखे पशुओं के लिए इसे हरे चारे के साथ 4-5 किलोग्राम प्रतिदिन की दर से खिलाया जा सकता है.

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धान की पराली के फायदे

धान की पराली के फायदे बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे धान की पराली की पौष्टिकता बढ़ती है क्योंकि इसमें प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है. उपचारित पराली मुलायम और अधिक स्वादिष्ट हो जाती है. धान की पराली गेहूं की पराली से सस्ती होती है जिससे चारे की लागत कम आती है. यूरिया उपचारित धान की पराली खिलाने से छोटे पशुओं की वृद्धि होती है और दुधारू पशुओं का दूध उत्पादन भी बढ़ता है. धान की पराली को खेत में न जलाने से पर्यावरण स्वच्छ रहता है.

जेएस लांबा ने किसानों को कुछ सावधानियां बरतने के लिए भी आगाह किया. उन्होंने बताया कि 6 महीने से कम उम्र के बछड़ों को कभी भी यूरिया उपचारित धान की पराली न खिलाएं. पशु आहार में यूरिया उपचारित धान की पराली का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें कि सांद्रित राशन में यूरिया की मात्रा अधिक न हो. अगर उपचारित धान की पराली फफूंद से संक्रमित है तो उसे पशु आहार में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. घोड़ों और सूअरों को खिलाने के लिए यूरिया उपचारित धान की पराली नहीं देनी चाहिए. यूरिया उपचारित धान की पराली को अधिक दिनों तक उपयोग के लिए सिफारिश के अनुसार राशन में खनिज मिश्रण मिलाएं.

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