अगर आप खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो हल्दी की खेती एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है. हल्दी में पाए जाने वाले औषधीय गुणों की वजह से मसालों में इसकी एक खास पहचान है. इसलिए लोग हल्दी का प्रयोग खाने पीने की सभी चीजों में करते हैं. इसी तरह हल्दी का प्रयोग सभी शुभ कार्यों में भी किया जाता है. इन्हीं सब कारणों से हल्दी की डिमांड हमेशा बनी रहती है. वहीं, मौजूदा समय में हल्दी की कुछ ऐसी भी किस्में हैं जिसकी खेती से अच्छी पैदावार मिलती है. ऐसे में किसान इसकी खेती करके बेहतर कमाई कर सकते हैं, लेकिन कई बार किसानों को इसकी खेती में पूरी जानकारी न होने के कारण अधिक उपज नहीं मिलती है. ऐसे में किसानों को हल्दी की खेती में ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर हल्दी की बुवाई करते समय पौधों से पौधों की कितनी दूरी होनी चाहिए. साथ ही बुवाई में गहराई का ध्यान रखना भी जरूरी होता है.
हल्दी की बुवाई के लिए सबसे पहले खेत की जुताई करके उसे तैयार कर लें. साथ ही हल्दी के लिए खेत की तैयारी के समय 75 क्विंटल नाडेप खाद या 200-250 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद के साथ 120 किलो नाइट्रोजन, 80 किलो फास्फोरस और 80 किलो पोटाश बुवाई से पहले अंतिम जुताई के समय प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिला लें. वहीं, की खेती के लिए 15-20 क्विंटल प्रकंदों की प्रति हैक्टर आवश्यकता होती है. अब बाद करें पौधों से पौधों की दूरी कि तो हल्दी की बुआई 40×20 सें.मी. की दूरी पर करनी चाहिए.
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इसके अलावा ये ध्यान रखें कि प्रकंद को 4 सेंमी. की गहराई में ही बुवाई करें. साथ ही बुवाई से पहले हल्दी के 20-25 ग्राम के टुकड़ों को कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के 0.3 प्रतिशत के घोल में उपचारित करने के बाद ही बुवाई करनी चाहिए. हल्दी की बेहतर उत्पादन के लिए कई बार अच्छी किस्मों का चयन करना भी जरूरी होता है. ऐसे में अगर आप हल्दी की खेती करना चाह रहे हैं तो हल्दी की कृष्णा, राजेन्द्र, अमलापुरम और मधुकर वैरायटी की खेती कर सकते हैं.
हल्दी की बुवाई अप्रैल से अगस्त महीने के बीच की जाती है. जिन क्षेत्रों में सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं होती, वहां मॉनसून की शुरुआत यानी जून के अंत में बुवाई की जाती है. यदि खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो, तो मध्य अगस्त तक भी रोपाई करें. साथ ही हल्दी की रोपाई के लिए 15 सेमी ऊंची, 1 मीटर चौड़ी और 3-4 मीटर लंबी क्यारियां बनाएं. फिर उसमें हल्दी की बुवाई करें. इस तरह से आपकी हल्दी की फसल 6-8 महीने में तैयार हो जाएगी.
खेत के अलावा आप बगीचे में भी हल्दी की खेती कर सकते हैं. इसके लिए आपको मेड़ बनाकर हल्दी की बुवाई करनी चाहिए. मेड़ तैयार होने के बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए. इसके बाद बीज या पौधे को थोड़ी दूरी पर लगाना चाहिए. वहीं, सीतापुर किस्म की हल्दी की खेती को छायादार जगह पर करना चाहिए. इसके लिए आप आम या अमरूद के बागानों में इंटर क्रॉप के तौर पर हल्दी की खेती कर सकते हैं. वहीं, किसान हल्दी की खेती करके अच्छी कमाई भी कर सकते हैं.
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