खरीफ सीजन में सबसे प्रमुख फसल है धान. पर धान की खेती के लिए किसानों को काफी अधिक मेहनत और पानी की जरूरत होती है. इसमें पारंपरिक धान की खेती के तरीकों में धान की सीधी बुवाई (डीएसआर) तकनीक काफी महत्वपूर्ण है. धान की सीधी बुआई एक ऐसी तकनीक है, जिसमें धान के पौधे को बिना नर्सरी तैयार किए हुए सीधा खेत में लगाया जाता है. इस प्रक्रिया में धान की रोपाई की जरूरत नहीं होती है. किसान धान के बीज को सीधे खेत में छिड़काव करके सीड ड्रिल यानी डीसीआर मशीनों से बुवाई करते हैं.
इसमें सबसे खास बात यह है कि किसानों को धान की रोपाई में आने वाले खर्च, समय और मेहनत तीनों की बचत होती है. इसके अलावा किसान इस तकनीक से खेती करके एक हेक्टेयर में 6000 रुपये तक बचा सकते हैं. वहीं इस तकनीक के कई फायदे भी हैं. आइए जानते हैं धान की सीधी बुवाई के 10 फायदे.
धान की सीधी बिजाई के लिए किसान सबसे पहले लेजर लेवलर द्वारा खेत को समतल कर दें. यह खेत में बीज की समान गहराई, फसल के अच्छे जमाव, विकास, खरपतवार नियंत्रण और पानी के एक समान जमाव के लिए जरूरी होता है. वहीं धान की सीधी बुवाई में बीज की गहराई महत्वपूर्ण है. इसलिए बीज की गहराई 2-3 सें.मी. रखें. अधिक गहरी बुवाई से फसल का जमाव प्रभावित होता है. अगर खेत में पहले से फसल का खरपतवार है, तो अनुशंसित खरपतवारनाशक का छिड़काव करें. इसके अलावा बीज उपचार जरूर करें.
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रिपोर्ट से पता चलता है कि सीधी बिजाई (DSR Technique) से अभी तक 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुवाई हुई है. इसमें छह से साढ़े छह लाख हेक्टेयर केलव पंजाब में है जबकि तेलंगाना में एक लाख हेक्टेयर का रकबा इसके तहत आता है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और ओडिशा के कुछ हिस्सों में भी सीधी बिजाई से धान की खेती हो रही है.
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