फरवरी में इन 6 फसलों की खेती दिलाएगी बेहतर कमाई, जल्दी में निपटा लें बुआई का काम

फरवरी में इन 6 फसलों की खेती दिलाएगी बेहतर कमाई, जल्दी में निपटा लें बुआई का काम

इस महीने में गन्ना, सब्जी फसलें, सूरजमुखी और मेंथा सहित कई फसलों की बुआई का सही समय होता है. इन फसलों की खेती से किसानों को अच्छे दाम मिलने की संभावना होती है, क्योंकि इनकी बाजार में अधिक मांग रहती है. इसके अलावा, गन्ना में इंटरक्रॉप और फसलों की बुआई से भी किसानों को अच्छा लाभ हो सकता है, क्योंकि इनकी उत्पादन लागत कम होती है और मुनाफा अधिक मिलता है.

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फरवरी में इन 6 फसलों की खेती दिलाएगी बेहतर कमाई, जल्दी में निपटा लें बुआई का कामफरवरी में गन्ना, सूरजमुखी और मेंथा की बुवाई करें

फरवरी का महीना उत्तर पश्चिमी भारतीय किसानों के लिए बहुत अहम होता है. इस महीने में मौसम में बदलाव आता है. ठंड की तीव्रता में कमी आती है और गर्मी की हल्की शुरुआत होती है. यह समय खेती-बाड़ी के लिए बेहद अनुकूल होता है. फरवरी महीना किसानों के लिए कृषि की नजरिये से सुनहरा अवसर लेकर आता है. इस समय विभिन्न फसलों की बुआई की जाती है, जो आगामी महीनों में बेहतर उपज देने का मौका प्रदान करती हैं.

इस महीने में गन्ना, सब्जी फसलें, सूरजमुखी और मेंथा सहित कई फसलों की बुआई का सही समय होता है. इन फसलों की खेती से किसानों को अच्छे दाम मिलने की संभावना होती है, क्योंकि इनकी बाजार में अधिक मांग रहती है. इसके अलावा, गन्ना में इंटरक्रॉप और फसलों की बुआई से भी किसानों को अच्छा लाभ हो सकता है, क्योंकि इनकी उत्पादन लागत कम होती है और मुनाफा अधिक मिलता है.

बसंतकालीन गन्ने की करें बुआई

इस महीने में मौसम में बदलाव होता है. ठंड कम होती है और गर्मी की शुरुआत होती है. यह समय किसानों के लिए विभिन्न फसलों की बुआई और देखभाल के लिए अनुकूल होता है. शुरुआत मिठास से करें, तो 15 फरवरी के बाद गन्ने की बुआई का सिलसिला शुरू किया जा सकता है. बुआई के लिए गन्ने की ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों का चुनाव करना चाहिए. किस्मों के चयन में अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से मदद ली जा सकती है. 

गन्ने का जो बीज इस्तेमाल करें, वो पक्के तौर पर बीमारी रहित होना चाहिए. इसके बावजूद बुआई से पहले बीजों को अच्छी किस्म के फफूंदीनाशक से उपचारित कर लेना चाहिए. गन्ने की फसल में इंटर क्रॉप फसलें जैसे उड़द मूंग , फ्रेंचचबीन, सब्जी फसलें, फूल वाली फसलें जैसे गेंदा, ग्लोडियेलस की खेती कर कम समय में अधिक लाभ ले सकते हैं.

जायद भिंडी की करें बुआई

साल का यह दूसरा महीना भिंडी की फसल की बुआई के लिए मुफीद होता है. अगर इसकी खेती का इरादा हो, तो इसकी बुआई निबटा लेनी चाहिए. बुआई के लिए पौधे से पौधे की दूरी 15 से 20 सेंमी रखें, जबकी कतार से कतार की दूरी 25 से 30 सेमी रखनी चाहिए.

सूरजमुखी लगाने का सही समय

मध्य फरवरी यानी 15 फरवरी के बाद तेल की फसल सूरजमुखी की बुआई करना मुनासिब रहता है. अगर यह फसल लगानी हो, तो 15 से 29 फरवरी के बीच इसकी बुआई कर देनी चाहिए. बुआई के लिए अपने इलाके के मुताबिक किस्मों का चयन करें. हां, सूरजमुखी के बीजों को बोने से पहले कार्बंडाजिम या थीरम से उपचारित करना न भूलें.

मुनाफे के लिए लगाएं टमाटर

अगर अभी तक टमाटर की गर्मी वाली फसल की रोपाई का काम बाकी पड़ा है, तो उसे फटाफट निबटाएं. टमाटर के पौधों की रोपाई 45 बाई 60 सेंटीमीटर के फासले पर करें. रोपाई धूप ढलने के बाद यानी शाम के वक्त करें. रोपाई के बाद बगैर चूके हल्की सिंचाई करें. जनवरी के दौरान लगाए गए टमाटर के पौधों को, नाइट्रोजन मुहैया कराने के लिए पर्याप्त मात्रा में यूरिया डालें.

बैंगन की रोपाई कैसे करें?

यह महीना बैंगन की रोपाई के लिहाज से भी मुफीद होता है. लिहाजा उम्दा नस्ल का चयन कर के बैंगन की रोपाई निबटा लें. बैंगन की बेहतर फसल के लिए रोपाई से पहले खेत की कई बार जुताई कर के उसमें गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद भरपूर मात्रा में मिलाएं. इसके अलावा खेत में 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फॉस्फोरस और 80 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से डाल कर अच्छी तरह खेत की मिट्टी में मिला दें. 

बैंगन के पौधों की रोपाई भी, सूरज ढलने के बाद, यानी शाम के वक्त ही करें, क्योंकि सुबह या दोपहर में रोपाई करने से धूप की वजह से पौधों के मुरझाने का डर रहता है. रोपाई करने के फ़ौरन बाद पौधों की हल्की सिंचाई करें.

अभी करें मेंथा की रोपाई 

फरवरी में ही मेंथा की बुआई भी निबटा लेनी चाहिए. इसके लिए 400-500 किलोग्राम जड़ों का प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. बुआई से पहले 30 किलोग्राम नाइट्रोजन, 75 किलोग्राम फॉस्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश का प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. मेंथा की बुआई करने से पहले, खेत के तमाम खरपतवार निकालना न भूलें, क्योंकि ये फसल की बढ़वार में रुकावट पैदा करते हैं. बुआई के बाद खेत की हल्की सिंचाई करना न भूलें.

 

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