देश की 30 फीसदी मिट्टी खराब हो गई है, जो फसलों के उत्पादन को प्रभावित कर सकती है. कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि में किसानों को बुवाई से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना जरूरी है. जबकि, मौजूदा मिट्टी की गिरती उर्वरता की चुनौती को देखते हुए समय पर बुवाई अहम भूमिका निभाने वाला साबित हो सकता है. वहीं, किसानों को खेत की मिट्टी की जांच के लिए केंद्र सरकार सॉइल टेस्टिंग लैब बढ़ाने का फैसला ले सकती है. गांव स्तर पर भी लैब की संख्या बढ़ाई जा सकती है. जबकि, मिट्टी की उर्वरता सुधार के प्रयासों के तहत कई और बड़े निर्णय आने वाले दिनों में देखने को मिल सकते हैं.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते दिन 19 नवंबर को नई दिल्ली पूसा में वैश्विक मृदा कॉफ्रेंस 2024 में कहा कि कई अध्ययनों के अनुसार हमारी 30 फीसदी माटी खराब हो चुकी है. मिट्टी का कटाव, उसमें लवणता, प्रदूषण, मिट्टी में आवश्यक नाइट्रो और माइक्रो न्यूट्ररेंट का स्तर कम कर रहा है. मिट्टी में जैविक कार्बन की कमी ने उसकी उर्वरकता और लचीलेपन को कमजोर किया है. यह चुनौतियां न केवल उत्पादन को प्रभावित करती हैं बल्कि आने वाले समय में किसानों की आजीविका और खाद्य संकट भी पैदा करेगी, इसलिए यह जरूरी है कि इस पर गंभीरता से इस पर विचार करें. हमारी सरकार ने इसके लिए कई पहल की हैं.
खराब होती मिट्टी के आंकड़ों ने चिंताओं को बढ़ा दिया है. कहा जा रहा है कि मिट्टी सुधार की दिशा में केंद्र सरकार देशभर में सॉइल टेस्टिंग लैब की संख्या को बढ़ा सकती है. मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन यानी सॉइल हेल्थ मैनेजमेंट और मृदा स्वास्थ्य कार्ड यानी सॉइल हेल्थ कार्ड योजनाओं को और विस्तार दिया जा सकता है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के दिसंबर 2023 के आंकड़े बताते हैं कि खेतों की मिट्टी की जांच के लिए गांव स्तर पर सॉइल टेस्ट लैब (Soil Test Lab) देशभर में 665 हैं. इन लैब की सर्वाधिक संख्या कर्नाटक में 291 हैं. इसके बाद नागालैंड में 74 और बिहार में 72 गांव स्तरीय सॉइल टेस्ट लैब हैं. वहीं, मिनी लैब सबसे ज्यादा 2050 तेलंगाना में हैं. इसके बाद आंध्र प्रदेश में 1328 और झारखंड में 1300 मिनी सॉइल टेस्ट लैब हैं. जबकि, राज्य स्तरीय स्टेटिक लैब की संख्या सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 213 हैं.
देशभर में कुल सॉइल टेस्टिंग लैब की संख्या 8272 है. इस संख्या को बढ़ाकर 10 हजार के पार ले जाने की तैयारी है. सर्वाधिक लैब की संख्या ग्राम स्तर पर बढ़ाई जा सकती हैं. ताकि, किसानों को टेस्टिंग के लिए जिला मुख्यालय या दूर कृषि विभाग के केंद्र में नहीं जाना पड़े. उन्हें अपने घर के नजदीक गांव में ही खेत की मिट्टी जांच कराने का लाभ मिल सके. सॉइल टेस्टिंग लैब बढ़ाने को लेकर अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन कृषि मंत्री की मिट्टी को लेकर चिंताओं को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस पर जल्द फैसला आ सकता है.
भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC) देहरादून केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक एम. मुरुगानंदम ने मिट्टी की खराब होती सेहत को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि लैब की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए. ऐसा करना अच्छा कदम होगा. हालांकि, ऐसे निर्णय की जानकारी उन्हें नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार सॉइल टेस्टिंग लैब की संख्या बढ़ाने का फैसला लेती है तो यह कृषि क्षेत्र के लिए काफी लाभदायक हो सकता है. इससे मिट्टी के स्वास्थ्य की जानकारी पाना किसानों के लिए और आसान हो जाएगा.
प्रधान वैज्ञानिक एम. मुरुगानंदम ने कहा कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति घटने से फसलों का उत्पादन प्रभावित होता है. उन्होंने कहा कि वर्तमान चुनौतियों को देखते हुए किसानों को फसल की बुवाई से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना जरूरी है. जबकि, मौजूदा मिट्टी की गिरती उर्वरता की चुनौती से निपटने के लिए समय पर बुवाई अहम भूमिका निभाने वाली साबित हो सकती है. इसके साथ ही किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के जरिए बताई गई जानकारी के हिसाब से उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए.
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