दिसंबर के अंतिम सप्ताह में बारिश और ओले गिरने से ठंड में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. बीते दो सप्ताह के दौरान शीतलहर और पाले का प्रकोप फसलों पर बुरा असर डाल रहा है. रबी फसलों सरसों, गेहूं, चना, आलू और मटर समेत अन्य सब्जी फसलों के पौधों की पत्तियां और फल सिकुड़ रहे हैं. जबकि, पौधों में लगने वाले फूल झड़ रहे हैं. इससे उपज और क्वालिटी पर बुरा असर दिखेगा. किसानों को अपनी फसलों को नुकसान से बचाने के लिए राजस्थान कृषि विभाग की ओर से गाइडलाइन जारी की गई है, जिसमें शीतलहर और पाला से फसलों को बचाने के उपाय बताए गए हैं.
राजस्थान सरकार के कृषि विभाग की ओर से किसानों के हित में फसलों को मौसम जनित समस्या से होने वाले संभावित नुकसान से बचाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. कहा गया है कि सर्दी के मौसम में शीतलहर और पाले से सभी फसलों को नुकसान होता है. पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां और फूल झुलस कर झड़ जाते है. इसके अलावा बढ़ रहे या पके फल भी सिकुड़ जाते है. फलियों और बालियों में दाने नहीं बनते हैं या फिर वह सिकुड़ते देखे जा रहे हैं.
पौधशालाओं के पौधों और सीमित क्षेत्र वाले उद्यानों, नगदी सब्जी वाली फसलों में जमीन के ताप को कम न होने देने के लिये फसलों को टाट, पॉलीथिन अथवा भूसे से ढक कर रखें. हवा रोकने वाली टाटियां, हवा आने वाली दिशा की तरफ यानि उत्तर-पश्चिम की तरफ बांधे. नर्सरी, किचनगार्डन और कीमती फसल वाले खेतों में उत्तर-पश्चिम की तरफ टाटियां बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगायें और दिन में उसे हटाएं.
जब पाला पड़ने की सम्भावना हो तब किसान फसलों में हल्की सिंचाई कर दें. नमीयुक्त जमीन में काफी देरी तक गर्मी रहती है और जमीन का तापक्रम एकदम से कम नहीं होता है. इससे तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे नही गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है.
जिन दिनों में पाला पड़ने की सम्भावना हो उन दिनों में फसलों पर घुलनशील गन्धक 0.2 फीसदी 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे. छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है. अगर इस अवधि के बाद भी शीत लहर व पाले की सम्भावना बनी रहे तो छिड़काव को 15-15 दिन के अंतर में दोहरातें रहें या फिर थायो यूरिया 500 पीपीएम आधा ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें.
सरसों, गेहूं, चना, आलू और मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने में गन्धक का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है, बल्कि पौधों में लौह तत्व की जैविक और रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है जो पौधों में रोग से लड़ने की क्षमता को बढ़ती है और फसल को जल्दी पकाने में मदद करती है.
लंबे समय के लिए उपाय के रूप में फसलों को बचाने के लिये खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर और बीच-बीच में उचित स्थानों पर हवा रोकने वाले पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी, अरडू लगा दिये जायें तो पाले और ठंडी हवा के झोंकों से फसल का बचाव हो सकता है.
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