पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस मौसम में आलू तथा टमाटर में झुलसा रोग लगने की संभावना प्रबल है. इसलिए दोनों फसनों में इसकी निरंतर निगरानी करते रहें. अगर लक्षण दिखाई दे तो कार्बंडिजम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाईथेन-एम-45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर उसका छिड़काव कर दें. इस मौसम में प्याज की फसल पर भी खतरा रहता है. यह खतरा रहता है कीटों के अटैक और रोगों का. वैज्ञानिकों ने कहा कि समय से बोई गई फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें. प्याज में परपल ब्लोस रोग भी लगने की संभावना होती है. इसकी भी निगरानी करते रहें. अगर रोग के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो डाएथेन- एम-45 @ 3 ग्राम प्रति लीटर पानी किसी चिपकने वाले पदार्थ जैसे टीपोल आदि (1 ग्रा. प्रति एक लीटर घोल) में मिलाकर छिड़काव करें.
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया इस समय गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक तथा टमाटर में फल छेदक कीट लगने का खतरा है. इसकी निगरानी के लिए फीरोमोन ट्रैप लगाएं. प्रति एकड़ 3 से 4 ट्रैप लगाने से काम चल जाएगा. इस मौसम में तैयार बंदगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि के पौधों की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं. इस मौसम में पालक, धनिया, मेथी की बुवाई कर सकते हैं. पत्तों के बढ़वार के लिए 20 किलोग्राम यूरिया का प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं.
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अब आते हैं गेहूं की फसल पर, जो रबी सीजन की मुख्य फसल है. यदि दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो बचाव के लिए किसान क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी@ 2 लीटर प्रति एकड़ 20 किलोग्राम बालू में मिलाकर खेत में शाम को छिड़क दे, और सिंचाई करें. रतुआ के लिए अनुकूल मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह दी गई है कि पीला रतुआ की घटनाओं को देखने के लिए नियमित रूप से अपनी फसल का निरीक्षण करें. यदि किसान अपने गेहूं के खेतों में पीला रतुआ देखते हैं तो उसके समाधान के लिए संक्रमण क्षेत्र पर प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी @ 0.1 प्रतिशत या टेबुकोनाजोल 50% + ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 25% डब्ल्यूजी @ 0.06% का एक स्प्रे दिया जाना चाहिए.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि मौसम को ध्यान में रखते हुए सरसों की फसल में सफेद रतुआ रोग एवं चेपा कीट की नियमित रूप से निगरानी करें. जबकि चने की फसल में फली छेदक कीट के निगरानी के लिए फीरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ 3-4 की दर से लगाएं. यह ट्रैप उन खेतों में लगाएं जहां पर पौधों में 10-15 फीसदी फूल खिल गए हों. कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि किसान मटर की फसल पर 2 फीसदी यूरिया के घोल का छिड़काव करें. जिससे मटर की फलियों की संख्यामें वृद्धि होती है. कद्दूवर्गीय सब्जियों के अगेती फसल के पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पालीथीन के थैलों में भर कर पाली घरों में रखें.
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