Paddy Farming: इस विध‍ि से करें धान की रोपाई, कम पानी में ज्‍यादा पैदावार, खरपतवार का टेंशन भी खत्‍म!

Paddy Farming: इस विध‍ि से करें धान की रोपाई, कम पानी में ज्‍यादा पैदावार, खरपतवार का टेंशन भी खत्‍म!

Paddy Farming Tips: धान की खेती में श्री विधि या SRI तकनीक अपनाना ज्यादा फायदेमंद है, क्योंकि इससे कम पानी, कम बीज और कम खरपतवार में ज्यादा पैदावार होती है. परंपरागत विधि से 20-25 क्विंटल/हेक्टेयर उत्पादन होता है, जबकि श्री विधि से 35-50 क्विंटल तक पैदावार संभव है.

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इस विध‍ि से करें धान की रोपाई, कम पानी में ज्‍यादा पैदावार, खरपतवार का टेंशन भी खत्‍म!धान की नर्सरी (सांकेतिक तस्‍वीर)

खरीफ सीजन की शुरुआत के साथ ही कई राज्‍यों में इस समय किसान धान की खेती में जुटे हुए है. कई किसान नर्सरी में उगाई पौध की रोपाई कर धान की खेती करते हैं तो वहीं कई किसान डीएसआर तकनीक से सीधी ब‍िजाई से फसल उगाते हैं. अगर आप तैयार पौध का रोपण कर धान की खेती करने जा रहे हैं तो कृषि वै‍ज्ञानिकों की सुझाई गई मेडागास्‍कर विध‍ि या S.R.I. (श्री विध‍ि) को अपनाएं. ज्‍यादातर क्षेत्रों में किसान रोपा विध‍ि या पारंप‍रिक विध‍ि से धान की रोपाई करते हैं. लेकिन, श्री विध‍ि से धान की खेती ज्‍यादा फायदेमंद है. 

धान रोपाई के लिए क्‍यों फायदेमंद है श्री विधि‍?

कृषि‍ वैज्ञानिकों के मुताबिक, श्री विधि‍ से धान की रोपाई में कम पानी कम पानी, कम बीज लगते है और खरपतवार की समस्‍या भी नहीं आती. और तो और श्री विध‍ि से धान का उत्पादन भी बढ़‍िया होता है. एक्‍सपर्ट की मानें तो परंपरागत विधि से धान की रोपाई से प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल धान की पैदावार हासिल होती है. लेकिन वहीं, श्री विधि से धान की रोपाई से प्रति हेक्टेयर 35 से 50 क्विंटल धान की पैदावार संभव है.

कृषि वैज्ञानिक श्री विध‍ि तकनीक को किसानों के लिए वरदात बताते हैं. कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक, श्री विधि से रोपाई के लिए प्रति हेक्टेयर मात्र 6-8 किलो बीज की जरूरत पड़ती है. श्री विधि से रोपाई के लिए नर्सरी तैयार करने में खास तरह की प्लेट या पॉलीथीन की जरूरत होती है. नर्सरी के लिए भुरभुरी मिट्टी और राख बेहद जरूरी हैं. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे 10 मीटर लंबी और 5 से.मी. ऊंची क्यारी बनाकर 50 किलो नाडेप या गोबर की खाद मिलाकर बीजों को बोएं.

नसर्री लगाने से पहले करें बीजोपचार

किसानों को बुवाई से पहले थाईरम दवा से बीजों का उपचार करने की सलाह दी जाती है. अब किसान नर्सरी की हर क्यारी में 120 ग्राम बीज को बोएं, इन्हें ढंके और हल्की सिंचाई करें. वहीं, धान को रोपने के लिए खेत की गहरी जुताई कर खरपतवार उखाड़कर खत्‍म कर दें. अब खेत में पर्याप्त पानी देकर रोपण के लिए खेत तैयार करें और नर्सरी में तैयार धान के 15 से 21 दिन के पौधों का रोपण करें. 

पौधों और लाइन में रखें इतनी दूरी

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे तैयार खेत में मार्कर हल की मदद से 20-20 से.मी. की दूरी पर निशान बना लें और इन निशानों पर धान का सिर्फ एक पौधा ही रोपें. वहीं, पौधे से पौधे और लाइन से लाइन के बीच 2 से.मी. दूरी का पालन करें. एक्‍सपर्ट के अनुसार, पौधों के बीच में पर्याप्त गैप होने पर उन्हें पर्याप्त हवा और नमी मिलती है. बता दें कि श्री विधि से रोपाई करने पर लाइन में पर्याप्त दूरी होती है. ऐसे में अगर खरपतवार की समस्‍या होती है तो इसे आसानी से कोनावीडर की मदद से हटाकर इसकी खाद बनाई जा सकती है. 

खाद और यूरिया का ऐसे करें छिड़काव

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे सॉइल हेल्थ कार्ड में खेत की मिट्टी में पोषक तत्वों की जांच-परख के हिसाब से खाद का इस्‍तेमाल करें. किसान गोबर खाद नाडेप और वर्मी खाद का इस्‍तेमाल ज्‍यादा करें तो बेहतर होगा. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे धान की रोपाई के 15 दिन बाद कम मात्रा में यूरिया का छिड़काव कर सकते हैं.

इस विध‍ि से धान की रोपाई करने पर खेत को लबालब पानी से भरने की जरूरत नहीं पड़ती, सिर्फ नमी बनाए रखने जितने पानी की जरूरत होती है. किसानों इस बात का ध्‍यान रखें जब धान के पौधे बढ़ रहे हों, उस समय खेत को 2 से 3 दिनों के लिए सूखा छोड़ दें. इसके बाद फि‍र से हल्की सिंचाई कर फसल को नमी दें. 

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