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सरसों की बंपर उपज के लिए जरूरी है खेत की सही तैयारी, मिट्टी में पोषकता बढ़ाने के लिए इन 4 उपायों को अपनाएं

सरसों की बंपर उपज के लिए जरूरी है खेत की सही तैयारी, मिट्टी में पोषकता बढ़ाने के लिए इन 4 उपायों को अपनाएं

यूपी कृषि विभाग के प्रसार एवं प्रशिक्षण ब्यूरो की ओर से सरसों की बुवाई के लिए किसानों को मिट्टी की तैयारी (Land Preparation for Mustard) को लेकर सलाह दी गई है. किसानों को खेत तैयार करने के साथ ही मिट्टी की पोषकता बढ़ाने के तरीके बताए गए हैं.

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अच्छी उपज के लिए खेत में जिप्सम 5 टन प्रति हेक्टेयर की दर से मिलना चाहिए. अच्छी उपज के लिए खेत में जिप्सम 5 टन प्रति हेक्टेयर की दर से मिलना चाहिए.

रबी सीजन में मैदानी इलाकों के किसान सरसों की बुवाई की तैयारियों में जुटे हैं. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में सरसों की बंपर बुवाई की जाती है. सरसों की अच्छी पैदावार के लिए किसानों को सही विधि का इस्तेमाल करने के साथ ही खेत की मिट्टी को भी अच्छे से तैयार करने की जरूरत है. उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने किसानों को सरसों की खेती को लेकर सलाह जारी की है, जिसे अपनाकर किसान कम लागत में ज्यादा उपज हासिल कर सकते हैं. 

इस साल खरीफ सीजन में तिलहन फसलों की बंपर बुवाई की गई है. इसके चलते तिलहन फसलों का रकबा 3 लाख हेक्टेयर अधिक के साथ पिछले साल के 190.92 लाख हेक्टेयर की तुलना में 193.84 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है. तिलहन फसलों को लेकर किसानों के बढ़ते रुचि को देखते हुए इस बार सरसों की भी बंपर बुवाई होने की उम्मीद है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि सरसों के एमएसपी रेट में 2022-23 की तुलना में 2023-24 में 400 रुपये की बढ़ाकर 5450 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है. 

सरसों के लिए खेत तैयार करने का तरीका 

उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के प्रसार एवं प्रशिक्षण ब्यूरो की ओर से सरसों की बुवाई के लिए किसानों को मिट्टी की तैयारी (Land Preparation for Mustard) को लेकर सलाह दी है. नीचे कुछ उपाय बताए जा रहे हैं जिससे खेत को तैयार करने के साथ ही मिट्टी की पोषकता बढ़ाने में भी किसान मदद ले सकते है. 

  1. सलाह में कहा गया है कि किसान सरसों की फसल समतल खेत में करें और अच्छे जल निकासी वाली बलुई दोमट से दोमट मिट्टी में अच्छी उपज देती है. जहां की जमीन क्षारीय है वहां हर तीसरे वर्ष जिप्सम 5 टन प्रति हेक्टेयर की दर से मिलना चाहिए. 
  2. पर्याप्त सिंचाई वाले इलाकों में पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए और उसके बाद तीन-चार जुताई तवेदार हल यानी हैरो से करनी चाहिए. इससे खेत में मौजूद खरपतवार जड़ से खत्म करने में मदद मिलती है. 
  3. बाढ़ या बारिश के पानी वाले इलाकों में हर बरसात के बाद तवेदार हल से जुताई कर नमी को संरक्षित करना चाहिए. मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए हर बार जुताई के बाद पाटा लगाना चाहिए. इससे जमीन की भाप बन कर नहीं उड़ती है. 
  4. सरसों की बुवाई के लिए खेत की चौथी जुताई यानी अंतिम जुताई के समय 1.5 फीसदी क्यूनॉलफॉस 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिलाना चाहिए. इससे जमीन के नीचे मौजूद फसल के लिए खतरनाक कीटों की रोकथाम करने में मदद मिलती है. 

सरसों की इन किस्मों का चयन करें किसान 

पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 

भारतीय कृषि विज्ञान परिषद (ICAR) के IARI ने सरसों की नई किस्म पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 (पीडीजेड 14) (Pusa Double Zero Mustard 35 (PDZ 14)) विकसित की है. 132 दिन में यह किस्म तैयार हो जाती है. सरसों की यह उत्तम किस्म सफेद रतुआ रोग यानी व्हाइट रस्ट, अल्टरनेरिया ब्लाइट यानी फफूंदी रोग, स्केलेरोटिनिया स्टेम रॉट यानी फफूंदी रोग, डाउनी फफूंद और पाउडरी फफूंद रोग से लड़ने में सक्षम है और इन रोगों को पनपने नहीं देती है. 132 दिन में यह सरसों किस्म प्रति हेक्टेयर 21.48 क्विंटल से अधिक उपज देती है. 

भरतपुर सरसों 11

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अनुसार भरतपुर सरसों 11 किस्म कृषि जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल है. यह किस्म देरी से बोए जाने के बाद भी बंपर पैदावार देने में सक्षम है.  यह किस्म 123 दिन में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 19 क्विंटल तक की उपज देने में सक्षम है. जबकि, इस सरसों में तेल की मात्रा 37 फीसदी से अधिक रहती है. यह किस्म सफेद रतुआ के अलावा अल्टरनेरिया पत्ती झुलसा रोग, डाउनी फफूंद रोग और पाउडरी फफूंद रोग से लड़ने में सक्षम है और इन्हें पनपने नहीं देती है. 

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