बिहार के किसान ध्यान दें... प्याज पर हो सकता है थ्रिप्स का अटैक, स्प्रे के लिए तैयार रखें ये दवा

बिहार के किसान ध्यान दें... प्याज पर हो सकता है थ्रिप्स का अटैक, स्प्रे के लिए तैयार रखें ये दवा

प्याज की फसल में थ्रिप्स कीट की निगरानी करें. यह प्याज को नुकसान पहुंचाने वाला मुख्य कीट है. इस समय तापमान बढ़ने पर फसल में इस कीट की सक्रियता बढ़ जाती है. यह पत्तियों की सतह पर चिपक कर रस चूसता है, जिससे पत्तियों का ऊपरी किनारा टेढ़ा हो जाता है. पत्तियों पर धब्बे पड़ जाते हैं जो बाद में हल्के सफेद रंग के हो जाते हैं, जिससे पैदावार प्रभावित होती है. यदि फसल में इनकी संख्या बढ़ जाए तो प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 1.0 मिली प्रति लीटर पानी या इमिडाक्लोप्रिड 1.0 मिली प्रति 4 लीटर पानी की दर से आसमान साफ ​​होने पर छिड़काव करें.

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बिहार के किसान ध्यान दें... प्याज पर हो सकता है थ्रिप्स का अटैक, स्प्रे के लिए तैयार रखें ये दवाप्‍याज की खेती

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया है कि बिहार में 2 मार्च तक अधिकतम तापमान 27.9 डिग्री सेल्सियस से 33.6 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की उम्मीद है. न्यूनतम तापमान 15.9 डिग्री सेल्सियस से 18.2 डिग्री सेल्सियस रहने की उम्मीद है. सुबह में आर्द्रता 54 से 64 प्रतिशत के बीच और दोपहर में आर्द्रता 29 से 35 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है और सतही हवा की गति 1.6 किमी प्रति घंटे से 5.6 किमी प्रति घंटे रहने की उम्मीद है. हवा के ज्यादातर उत्तर से उत्तरपश्चिमी दिशा में चलने के आसार हैं और इस बार मौसम शुष्क रहेगा. मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी. इसलिए फसलों में नमी बनाए रखें. 

आईएमडी ने कहा है, बदलते मौसम में पशुओं का विशेष ध्यान रखें. पशुओं और उनके बाड़े को साफ सुथरा रखें. पशुओं को हमेशा दिन में कई बार साफ और ताजा पानी पिलाएं. पशुओं को सूर्योदय के बाद ही बाड़े से बाहर निकालें. और शाम को सूर्यास्त से पहले पशुशाला के अंदर बांध दें. किसान खुद भी मौसम परिवर्तन के दौरान प्रतिदिन 3-4 लीटर पानी पिएं. गर्म पानी में दालचीनी और लौंग डालकर पिएं, आप इसे चाय में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. यह एंटीऑक्सीडेंट और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर है. आधा नींबू का सेवन जरूर करें. इसी के साथ फसलों के लिए भी सलाह दी गई है.

गेहूं

गेहूं की बाली निकलने की अवस्था (75-80 दिन) पर नाइट्रोजन का दूसरा प्रयोग 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से करें. खेत में उचित नमी के लिए सिंचाई करें क्योंकि तापमान बढ़ने पर फसल की अच्छी वृद्धि के लिए खेत में नमी का होना बहुत जरूरी है.

मक्का

मक्के के खेत में खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई करें. फालआर्मी वर्म नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 0.5 मिली/लीटर की दर से छिड़काव करें. सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने पर मल्टीप्लेक्स 3 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव करना लाभकारी रहेगा.

सरसों

सरसों के खेतों में एफिड का प्रकोप होने पर इमिडाक्लोरप्रिड कीटनाशक 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. देरी से बोई गई फसलों में नाइट्रोजन (यूरिया) 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

लीची

लीची के पेड़ में टहनियों को काला होने से बचाने के लिए टहनियां निकलने से पहले हेक्साकोनाजोल 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. कलियां निकलते समय सिंचाई न करें वरना फूल गिर सकते हैं.

आम

आम के पेड़ में टहनियों को काला होने से बचाने के लिए टहनियां निकलने से पहले हेक्साकोनाजोल 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. कलियां निकलते समय सिंचाई न करें अन्यथा फूल गिर सकते हैं.

प्याज

प्याज की फसल में थ्रिप्स कीट की निगरानी करें. यह प्याज को नुकसान पहुंचाने वाला मुख्य कीट है. इस समय तापमान बढ़ने पर फसल में इस कीट की सक्रियता बढ़ जाती है. यह पत्तियों की सतह पर चिपक कर रस चूसता है, जिससे पत्तियों का ऊपरी किनारा टेढ़ा हो जाता है. पत्तियों पर धब्बे पड़ जाते हैं जो बाद में हल्के सफेद रंग के हो जाते हैं, जिससे पैदावार प्रभावित होती है. यदि फसल में इनकी संख्या बढ़ जाए तो प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 1.0 मिली प्रति लीटर पानी या इमिडाक्लोप्रिड 1.0 मिली प्रति 4 लीटर पानी की दर से आसमान साफ ​​होने पर छिड़काव करें.

आलू

जब अगेती आलू का डंठल पीला हो जाए तो उसे काटकर निकाल दें. और 10-15 दिन बाद कंदों को खोदकर निकाल लें और सुखाकर शेड में रख दें.

 

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