जामुन एक बहुत गुणकारी फल माना जाता है. जामुन को काला जामुन, ब्लैक प्लम या भारतीय ब्लैक बैरी नाम से भी जाना जाता है. मधुनाशिनी जामुन का शर्करा सूचकांक 25 होता है. यह कम शर्करा सूचकांकयुक्त फल है. कम शर्करा सूचकांक, पाचन के दौरान धीरे-धीरे टूटता है. इससे रक्त में शर्करा की मात्रा धीरे-धीरे जाती रहती है और रक्त शर्करा का स्तर स्थिर रहता है. ऐसा होने से मधुमेह रोगियों के खून में शर्करा की मात्रा एकाएक नहीं बढ़ पाती है. यह मधुमेह रोगियों में इंसुलिन की आवश्यकता की पूर्ति करता है. साथ ही यह दिमाग को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है. इसके गुणों को देखते हुए इसे एक औषधीय फल कह सकते हैं.
कृषि वैज्ञानिक जितेन्द्र सिंह, योगेन्द्र कुमार शर्मा, प्रेरक भटनागर, लाधूराम और योगेन्द्र सिंह ने बताया है कि देश में दक्षिण में मद्रास से लेकर उत्तर में गंगा-सिंधु के मैदानों तक इसका उत्पादन किया जाता है. इसका उत्पत्ति स्थान भारत ही है. इसके वृक्ष हिमालय के निकट तराई प्रदेश में लगभग 3000 फीट की ऊंचाई तक तथा कुमाऊं की पहाड़ियों पर 5000 फीट की ऊंचाई तक देखे जा सकते हैं. अब हम इसके गुणों के बारे में जानते हैं, जिसके लिए जामुन फलों में बेहद खास है.
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कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जामुन के फलों में एन्थोसायनीन रंजक की बहुलता होती है. रंग के गाढ़ेपन के कारण जामुन बतौर प्रति ऑक्सीकारक का काम करता है. प्रति ऑक्सीकारक स्फूर्ति बढ़ाने व शरीर को निरोगी रखने के लिए भी जरूरी है. ये शरीर को प्राकृतिक तरीके से विषरहित करने का कार्य करते हैं. जामुन के फलों में जम्बोलीन, जम्बोशीन, इलागिक अम्ल आदि पाए जाते हैं. इनके कारण यह शरीर में मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) एवं अणुओं (मोलिक्यूल) की हानि को बचाता है. प्रति ऑक्सीकारक से रक्त शर्करा नियंत्रण में रहती है. इससे अल्जाइमर, मनोभ्रम, अवसाद, मस्तिष्क को तंत्रिका तंत्र को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है. दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए प्रति ऑक्सीकारक लाभकर है.
जामुन की गुठली में जम्बोलिन नामक ग्लूकोसाइड रसायन होता है. यह स्टार्च को शर्करा के रूप में परिवर्तित नहीं होने देता है. बताया गया है कि 100 ग्राम जामुन में कार्बोहाइड्रेट 6.4 प्रतिशत, शर्करा 2.82 प्रतिशत, पेक्टिन 3.00 प्रतिशत, एंथोसायनीन 1.8 प्रतिशत, कैलोरी मान 83.00 प्रतिशत होता है.
वर्तमान समय में दिनचर्या, रहन-सहन शैली, आहार-विहार में परिवर्तन, पारिस्थितिकी परिवेश में बदलाव आदि अनेकानेक कारणों से हमारे देश में मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है. वर्ष 2022 के आंकड़ों के अनुसार भारत में मधुमेह के रोगियों की संख्या 7.7 करोड़ थी. इस रोग का प्रसार इतना अधिक हो रहा है कि देश में 100 व्यक्तियों में से 5 व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित हैं. जामुन, मधुमेह के रोगियों के लिए रामबाण औषधि है. इसकी गुठली का रस व काढ़ा मधुमेह को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है. जामुन के तने के रस व बकरी के दूध से शिशुओं को पेचिश की समस्या से निजात मिलती है.
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