गर्मी का दिन आते मार्केट में मीठी और स्वादिष्ट लीची मिलने लगती है. अभी मार्केट में फल नहीं आ रहे हैं, लेकिन बिक्री जल्द शुरू हो जाएगी. अभी इसमें कुछ दिन का वक्त लगेगा. अभी लीची के पेड़ों में फल लगने लगे हैं. ऐसे समय में इन पेड़ों की विशेष देखभाल करनी पड़ती है क्योंकि अगर मंजर सही नहीं होगा तो पेड़ में फल सही से नहीं लगते हैं. साथ ही इस इस मौसम में लीची के फल गिर भी जाते हैं. इसकी कई वजहें होती हैं. इसमें एक वजह लीची के पेड़ों में कीट और रोग का प्रकोप भी है. इसलिए लीची की बागवानी करने वाले किसानों को इस मौसम में लीची के फलों को गिरने से रोकने के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए.
लीची के फलों को रोकने के लिए फल लगने के 7 से 10 दिनों के बाद प्लानोफिक्स एक मिली लीटर में 4.5 लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. इसके बाद किसानों को अगले 15 दिन के बाद भी इस छिड़काव को जारी रखें. इस छिड़काव के बाद फल के गिरने में कमी आएगी जिससे किसानों को नुकसान नहीं होगा.
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अगर लीची का फल रहा है तो किसान कुछ अन्य उपाय भी कर सकते हैं. इसके लिए जब लीची का फल लौंग के आकार का हो जाए तो बागान में हल्की सिंचाई कर दें. इससे पौधे को बेहतर सिंचाई मिलेगी जिससे फल नहीं गिरेगा. फल थोड़ा बड़ा हो गया हो तो 8 से 12 वर्ष के पौधों में 350 ग्राम यूरिया और 250 ग्राम पोटेशियम सल्फेट डालें. वहीं 15 वर्ष के ऊपर के पौधों में 450 से 500 ग्राम यूरिया और 300 से 350 ग्राम पोटेशियम सल्फेट डालें. इससे पौधों और फलों को पोषक तत्व मिलता रहेगा.
लीची में फल आ जाने के बाद फल और बीज छेदक कीट का भी प्रकोप बढ़ जाता है. यह कीट नए फलों में घुसकर उसे खाते हैं. इसके कारण फल गिर जाते हैं. ऐसे में इस कीट से फलों को बचाने के लिए बागान की नियमित तौर पर सफाई करनी चाहिए. इसके अलावा कीट पर डेल्टा मेथ्रीन एक मिली प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. ऐसा करने से फलों का गिरना कम हो जाता है. साथ ही फलों की क्वालिटी भी बेहतर होती है.
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