नींबू की खेती से किसान शानदार मुनाफा कमा सकते हैं. वहीं इसकी खेती अधिक मुनाफे वाली खेती के रूप में की जाती है. इसके पौधे एक बार बड़े हो जाने के बाद कई साल तक फल देते हैं. नींबू की खेती कम खर्च में अधिक मुनाफे वाली फसल है. इसके पौधों को केवल एक बार लगाने के बाद किसान कई सालों तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. नींबू को आम बोलचाल भाषा में कागजी नींबू के नाम से जाना जाता है. भारत में केले और आम के बाद नींबू की खेती सबसे अधिक की जाती है. वहीं हर मौसम में कागजी नींबू की मांग अधिक होने से मार्केट में उसके अच्छे रेट भी मिल रहे हैं. लेकिन अच्छा रेट तभी मिलेगा जब नींबू का फल अच्छा होगा. कई बार फल फटने लगते हैं जिसका बाजार भाव सही नहीं मिलता. आप अगर किसान हैं तो इसका तुरंत उपाय करना चाहिए.
नीबू में कई बार फल फटने की समस्या देखी जाती है. फल सबसे अधिक उस समय फटते हैं जब शुष्क मौसम में अचानक वातावरण में नमी आ जाती है. वहीं गर्मी और बरसात के समय भी यह समस्या बढ़ जाती है. ऐसे में फलों को फटने से रोकने के लिए किसानों को उचित समय पर सिंचाई करनी चाहिए. इसके अलावा जिब्रेलिक एसिड 10 मि.ग्रा. या पोटेशियम सल्फेट 4 मि.ग्रा. प्रति लीटर पानी में मिलाकर 3 बार मई से जून महीने के बीच छिड़काव करना चाहिए. इससे फल नहीं फटेंगे और उत्पादन भी बेहतर होगा.
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फलों के फटने के अलावा उसके गिरने का भी खतरा बना रहता है. कई बार यह देखा गया है कि फूल या फल काफी संख्या में पकने से पहले ही गिर जाते हैं. फलों के गिरने से पैदावार पर काफी असर पड़ता है. यह समस्या कई कारणों से आ सकती है जिसमे पोषक तत्वों की कमी, कीट बीमारियों का आक्रमण, मौसम में बदलाव, सिंचाई इत्यादि प्रमुख हो सकते है. ऐसे में फलों को गिरने से बचाने के लिए नींबू के पौधे में फूल बनते समय सिंचाई कभी ना करें. इसके अलावा संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का प्रयोग करें. वहीं, फलों को गिरने से रोकने के लिए आरियोफिन्जिन और जिंक सल्फेट का तीन बार छिड़काव करें. ये छिड़काव तब करें जब फल आने शुरू हो जाएं.
स्वास्थ्य की दृष्टि से नींबू हमारे लिए अत्यंत लाभदायक है. इसके फलों में विटामिन 'सी' के अलावा विटामिन 'ए', विटामिन 'बी' और कई खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. कागजी नींबू के फलों का छिलका काफी पतला होता है और फल अधिक खट्टे होते हैं. वहीं, कागजी नींबू से 42 से 50 प्रतिशत तक रस निकलता है. फलों का उपयोग अचार, अम्ल आदि बनाने के अलावा प्रतिदिन के खाने में भी प्रयोग किया जाता है, जिसके कारण फलों की मांग साल भर बनी रहती है.
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