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उत्तर भारत में पाला से आलू, सरसों और पालक फसल पर खतरा, किसानों को नुकसान की आशंका

उत्तर भारत में पाला से आलू, सरसों और पालक फसल पर खतरा, किसानों को नुकसान की आशंका

पहाड़ी राज्यों में रही बर्फबारी और लगातार चल रही शीतलहर से ठंड काफी बढ़ गई है, जिसका असर फसलों पर भी देखने को मिल रहा है. किसानों का कहना है कि पाले की वजह से सरसों, आलू और पालक की फसल बर्बाद हो सकती है.

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उत्तर भारत में पाला से आलू, सरसों और पालक फसल पर खतरा उत्तर भारत में पाला से आलू, सरसों और पालक फसल पर खतरा

देश के कई हिस्सों में ठंड का सितम बढ़ते जा रहा है. बढ़ती ठंड लोगों के साथ ही किसानों के लिए परेशानी का सबब बनते जा रही है क्योंकि इससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर जाता है. दरअसल पाले के असर से रबी सीजन की कई फसलें खराब होने लगती है. इसी बीच मौसम विभाग ने उत्तरी भारत के कई राज्यों में पाला पड़ने की चेतावनी जारी की है. इसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वी राजस्थान, हरियाणा और पंजाब शामिल है जहां पाला पड़ने से फसल को नुकसान हो सकता है.

पंजाब, हरियाणा के किसानों सावधानी बरतें 

मौसम विभाग का कहना है कि 14 जनवरी को पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली के कई हिस्सों में और अगले 03 दिनों तक कुछ हिस्सों में रात और सुबह में कुछ घंटों के लिए घने से बहुत घना कोहरा छाए रहने की संभावना है. मौसम विभाग के अनुसार 14 जनवरी को इन राज्यों में पाला पड़ने की संभावना है.  अगले कुछ दिनों तक उत्तर भारत में घना कोहरा छाया रहेगा, जिसकी वजह से नमी बनी रहेगी और इस कारण से फसलों को काफी नुकसान पहुंच सकता है. ऐसे में किसानों को फसल के रखरखाव में सावधानी बरतने की जरूरत है. 

सरसों, आलू और पालक फसल बर्बाद होने का खतरा  

पहाड़ी राज्यों में रही बर्फबारी और लगातार चल रही शीतलहर से ठंड काफी बढ़ गई है, जिसका असर फसलों पर भी देखने को मिल रहा है. किसानों का कहना है कि पाले की वजह से सरसों, आलू और पालक की फसल बर्बाद हो सकती है. हालांकि गेहूं की फसल को पाले से कोई नुकसान नहीं होगा. पाला पड़ने की संभावनाओं को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को फसलों पर दवा का छिड़काव करने की सलाह दी है.

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फसलों को कितना हो सकता है नुकसान    

पाला पड़ने से सरसों और आलू की फसलों को काफी नुकसान होता है. इसमें रबी की सबसे प्रमुख फसल गेहूं के अलावा तिलहन फसलों को सबसे अधिक 80 से 90 फीसदी तक नुकसान हो सकता है. साथ ही आलू की फसल को 40 से 50 फीसदी तक नुकसान हो सकता है. साथ ही सब्जियों पर भी पाला का प्रभाव देखने को मिलेगा.

फसलों में कीट नियंत्रण का उपाय

पाला पड़ने से फसलों पर कई रोग भी लगने लगते हैं. फसलों में कीट के नियंत्रण के लिए एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत को 400-500 लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करना चाहिए. रासायनिक नियंत्रण के लिए डाईमेथोएट 30 प्रतिशत मिथाइल 25 प्रतिशत और क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत को 600-750 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से स्प्रे करना चाहिए. इससे फसलों को कीट से छुटकारा मिलता है.

पाला से फसलों को बचाने के उपाय

पाला से सरसों और आलू को बचाने के लिए सल्फर युक्त रसायनों का इस्तेमाल फायदेमंद होता है. डाइमिथाइल सल्फर ऑक्साइड का 0.2 फीसदी या 0.1 फीसदी थायो यूरिया का छिड़काव करें. वहीं ये छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर फिर दोहराएं. वहीं जब शीतलहर का प्रकोप बढ़ने लगे तब फसल में हल्की सिंचाई करें. ऐसा करने से फसलों को पाले से बचाया जा सकता है.