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Arhar Crop: अरहर की ये किस्में दिलाएंगी बंपर मुनाफा, बुवाई से पहले जान लें बीज उपचार का सही तरीका

Arhar Crop: अरहर की ये किस्में दिलाएंगी बंपर मुनाफा, बुवाई से पहले जान लें बीज उपचार का सही तरीका

अगर आप भी इस खरीफ सीजन में अरहर कि खेती करना चाहते हैं और जल्दी तैयार होने वाली किस्मों के बारे में जानना चाहते हैं तो इस ये खबर आपके लिए है. आप बताए गए अरहर तीन किस्मों की खेती करके बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.

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अरहर की खेती अरहर की खेती

अरहर की खेती हमेशा से किसानों के लिए फायदे का सौदा रही है. हालांकि बाजार के उतार-चढ़ाव में अरहर के दाम कम-ज्यादा होते रहते हैं. लेकिन अरहर की खेती करने वाले किसानों के सामने एक समस्या ये आती है कि ये फसल इतने लंबे समय की होती है कि किसान दूसरी फ़सलों की बुवाई नहीं कर पाता है. लेकिन वैज्ञानिकों ने अरहर की कुछ ऐसी भी किस्में विकसित की हैं, जो न केवल कम समय में तैयार होती हैं, बल्कि उत्पादन भी अच्छा देती हैं. इसके अलावा किसानों को अरहर कि खेती में कुछ सावधानियों की जरूरत होती है.

इसमें किसानों को अरहर की रोपाई से पहले उसके बीज का उपचार करना होता है. वहीं अरहर की बुवाई जून के महीने मे की जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं कम समय में तैयार होने वाली किस्मों की खासियत और खेती से पहले कैसे करते हैं बीज का उपचार.

इन तीन किस्मों की करें खेती

पूसा 992- भूरे रंग का, मोटा, गोल और चमकदार दाने वाली इस किस्म को वर्ष 2005 में विकसित किया गया था. ये किस्म अन्य किस्मों के मुकाबले कम दिनों में तैयार हो जाता है. इसे पकने में लगभग 140 से 145 दिन लगता है. ये किस्म प्रति एकड़ भूमि से 7 क्विंटल फसल प्राप्त हो सकता है. वहीं इस किस्म की खेती सबसे ज्यादा पंजाब , हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में की जाती है.

पूसा 16- पूसा 16 जल्दी तैयार होने वाली बेस्ट किस्म है. इसकी अवधि 120 दिन की होती हैं. इस फसल में छोटे आकार का पौधा 95 सेमी से 120 सेमी लंबा होता है, इस किस्म की औसत उपज 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है.

आईपीए 203- इस किस्म की खास बात ये है कि इस किस्म में बीमारियां नहीं लगती और इस किस्म की बुवाई करके फसल को कई रोगों से बचाया जा सकता है. साथ में अधिक पैदावार भी प्राप्त कर सकते हैं. इसकी औसत उपज 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की होती है. इस किस्म की अवधि 150 दिन की होती है. वहीं अन्य किस्मों को तैयार होने में 220 से 2040 दिन लगते हैं.

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किसान ऐसे करें बीज उपचार

किसी भी फसल उत्पादन से पहले बीज उपचार अति आवश्यक है. बीज उपचार करने से रोग कम लगती हैं. इसके लिए कार्बेंडाजिम नामक दवा को दो ग्राम प्रति किलो की दर से मिला लें. इसमें पानी मिलाकर बीज को किसी छाया वाले स्थान पर चार घंटे के लिए रख दें. इसके बाद इसकी बुआई करें. इससे बीज पर किसी भी तरह की रोग नहीं लगेगा.

इस विधि से करें अरहर की खेती

अमूमन किसान अरहर की खेती छींटा विधि से करते हैं, जिससे कहीं ज्यादा तो कहीं कम बीज जाते हैं. इससे कहीं घनी तो कहीं खाली फसल तैयार होती है. इससे फसल में कमी आती है क्योंकि घना हो जाने से पौधों को उचित धूप, पानी और खाद नहीं मिल पाती है, इसके लिए किसान को 20 सेंटीमीटर की दूरी पर बीज लगाने चाहिए. इससे बीज दर भी कम लगता है.