scorecardresearch
चेन्‍नई में दादाजी के इन सीक्रेट्स से डॉक्‍टर ने छत पर उगाईं सब्जियां और फल 

चेन्‍नई में दादाजी के इन सीक्रेट्स से डॉक्‍टर ने छत पर उगाईं सब्जियां और फल 

ऑर्गेनिक सब्जियां और फल आजकल सबके पसंदीदा हैं और कुछ लोग तो अब अपने घर की छत पर ही इन्‍हें उगाने लगे हैं. आज हम आपको एक ऐसे डॉक्‍टर की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्‍होंने अपने दादाजी के एक सीक्रेट से इन सब्जियों और फलों को किचन गार्डेन में नहीं बल्कि टैरेस गार्डन पर उगाया. इसकी वजह से आज उनके चर्चे हर जगह हैं.

advertisement
चेन्‍नई के डॉक्‍टर ने किया कमाल चेन्‍नई के डॉक्‍टर ने किया कमाल

ऑर्गेनिक सब्जियां और फल आजकल सबके पसंदीदा हैं और कुछ लोग तो अब अपने घर की छत पर ही इन्‍हें उगाने लगे हैं. आज हम आपको एक ऐसे डॉक्‍टर की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्‍होंने अपने दादाजी के एक सीक्रेट से इन सब्जियों और फलों को किचन गार्डेन में नहीं बल्कि टैरेस गार्डन पर उगाया. इसकी वजह से आज उनके चर्चे हर जगह हैं और हर कोई बस उस सीक्रेट को ही जानना चाहता है. 

क्‍यों घर पर उगाते सब्जियां 

चेन्नई के रहने वाले डॉक्‍टर नवीन कुमार, मिलावटी भोजन की वजह से स्वास्‍थ्‍य संबंधी समस्‍याओं को खत्‍म करने के मिशन पर निकले हैं. बतौर डॉक्‍टर वह इसके लिए अपने मरीजों को तो प्रोत्‍साहित करते ही हैं लेकिन साथ ही वह खुद भी इस प्रयोग को आगे बढ़ा रहे हैं. डॉक्‍टर नवीन घर की छत पर ऑर्गेनिक सब्जियों के देसी बीज उगाते हैं और उन्हें मरीजों के साथ ही साथ बाकी लोगों को भी बांटते हैं. इस तरह से वह उन्हें घर पर फल और सब्जियां उगाने के लिए प्रेरित करते हैं. 

यह भी पढ़ें- यूपी के इस किसान ने सिरका को दिलाई देश में एक अलग पहचान, जानिए कौन हैं शुक्ला जी...

जेनेटेकिली बीज से बड़ा नुकसान 

बेटर इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार डॉक्‍टर नवीन कुमार को मिट्टी से खेलना, पौधों पर पानी छिड़कना और अपने छत के बगीचे से ताजी सब्जियों को चुनना, ऐसी कुछ बचपन की यादें हैं. साल 2016 तक सब्जियां उगाना उनका सिर्फ एक शौक था. इसके बाद वह एक फिजियोथैरेपिस्‍ट बन गए. उन्‍होंने वेबसाइट से बातचीत में कहा, 'मुझे ऐसे कई मरीज मिले जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं की शिकायत करते थे. इस तरह की बढ़ती बीमारी की असल वजह वह मिलावटी भोजन का सेवन है जो जेनेटेकिली बीजों में बदलाव करके तैयार किया जाता है. उनकी मानें तो ऐसे भोजन में  इस तरह के तत्‍व होते हैं जो स्‍वास्‍थ्‍य पर निगेटिव असर तो डालते ही हैं साथ ही साथ कैंसर की वजह तक बन सकते हैं. 

यह भी पढ़ें-इस युवक ने गन्ने के वेस्ट से बना दिए सुंदर सामान, देशभर में हो रही इनकी मांग, देखें वीडियो

दादा जी के सीक्रेट्स आए काम  

तब से ही डॉक्‍टर नवीन लोगों को घर पर ही ऑर्गेनिक खेती करने के लिए प्रोत्‍साहित करना चाहते थे. पिछले 10 सालों में 29 साल के डॉक्‍टर नवीन ने अपनी 350 वर्ग फुट की छत को हरे-भरे स्वर्ग में बदल दिया है. उन्‍होंने अपने दादा के बागवानी सीक्रेट्स को आजमाया. आज छोटी सी जगह में पालक, टमाटर, बैंगन, कस्टर्ड सेब, नींबू, शहतूत और ड्रैगन फलों सहित 250 से अधिक प्रकार के फल और सब्जियां उगाते हैं.  नवीन ने अपने दादा से जिन बागवानी रहस्‍यों को सीखा, वो कुछ इस तरह से हैं- 

  • अगले सीजन के लिए बीजों को ठीक तरह से स्‍टोर करना 
  • कीड़ों के हमलों को नियंत्रित करना 
  • मछली से सही तरह की खाद हासिल करना 
  • बुआई से पहले बीज का सही ट्रीटमेंट 

यह भी पढ़ें-UP के गन्ना किसानों के खातों में 30,000 करोड़ रुपये का भुगतान, जानें कितना हुआ चीनी का उत्पादन

लेकिन करनी पड़ती है मेहनत 

हर दो साल में एक बार वह उस क्षेत्र के आदिवासी लोगों से देसी किस्मों के बीज इकट्ठा करने के लिए अपने घर से करीब 400 किमी दूर कोल्ली पहाड़ियों तक जाते हैं. उनका कहना है कि उनके पास जो बीज होते हैं, वो सीमित संख्या में होते हैं. इसलिए वह उनका उपयोग घर पर सब्जियां को उगाने के लिए करते हैं. कटाई के बाद, वह बड़ी मात्रा में बीज निकालते हैं और फिर उन्हें लोगों में बांट देते हैं. उनकी मानें तो देसी बीजों के प्रयोग से  किसानों और बागवानों को अगले सीजन के लिए बीज खरीदने की जरूरत नहीं होती .