धान में लग जाए तना छेदक कीट तो ये देसी जुगाड़ अपनाएं किसान, बिना दवा के मिलेगा छुटकारा

धान में लग जाए तना छेदक कीट तो ये देसी जुगाड़ अपनाएं किसान, बिना दवा के मिलेगा छुटकारा

कृष‍ि वैज्ञान‍िकों का कहना है क‍ि देसी जुगाड़ अपनाकर आप कीटों से अपनी फसल को बचा सकते हैं. हालांक‍ि बिना छिड़काव के कीट-पतगों को कैसे नियंत्रित क‍िया जाता है यह बड़ा सवाल है. दरअसल, इसके ल‍िए फसलों के बीच में लाइट ट्रैप टूल प्रयोग किया जाता है, ज‍िसमें कीट-पतंगें फंस जाते हैं. 

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धान में लग जाए तना छेदक कीट तो ये देसी जुगाड़ अपनाएं किसान, बिना दवा के मिलेगा छुटकाराधान की खेती

धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है. धान की खेती ज्यादार किसान इस उम्मीद में करते हैं क‍ि उन्हें अन्य फसलों के मुकाबले अच्छा मुनाफा मिल सके. कम लागत में धान अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है. लेकिन ऐसा तब संभव होता है जब धान रोगों से मुक्त हो. ऐसे कई कीट हैं जो धान की फसल को नष्ट कर देते हैं. इनमें सबसे ज्यादा खतरनाक कीट तना छेदक को माना जाता है. यह कीट धान की रोपाई के एक माह बाद किसी भी अवस्था में हानि पहुंचाते हैं. इसकी सुंडी मुख्य तने के भीतर घुसकर तने को खाती है. किसानों के लिए इनकी रोकथाम करना चुनौती भरा काम है. ऐसे में जानिए की कैसे देसी जुगाड़ अपनाकर आप इस इन कीटों से अपनी फसल को बचा सकते हैं.

अगर आप धान में पेस्ट‍िसाइड का इस्तेमाल करते हैं तब वो एक्सपोर्ट करने लायक नहीं रह जाएगा. वो क‍िसी स्तर पर जाकर पकड़ा जाएगा. इसल‍िए काफी कृष‍ि वैज्ञान‍िक इसका सामना देसी तरीके से करने की सलाह देते हैं, ज‍िसमें पेस्ट‍िसाइड न डालना पड़े. ऐसा होगा तो क‍िसानों को खेती पर लागत कम आएगी और चावल को एक्सपोर्ट करने में कोई परेशानी नहीं आएगी. बिना छिड़काव के कीट-पतगों को कैसे नियंत्रित क‍िया जाता है यह बड़ा सवाल है. दरअसल, इसके ल‍िए फसलों के बीच में लाइट ट्रैप टूल प्रयोग किया जाता है, ज‍िसमें कीट-पतंगें फंस जाते हैं. ये

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जाल के तरीके अपनाएं

कीट-पतंगों को आकर्षित करने और मारने के लिए प्रति हेक्टेयर में 5 लाइट ट्रैप लगाएं.

पक्षी शिकारियों को प्रोत्साहित करने के लिए पक्षियों के बैठने के स्थान स्थापित करें. 

धान के तना छेदक के नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग करें.

समय पर नियंत्रण उपायों के लिए फेरोमोन ट्रैप (@10 से 12/हेक्टेयर) के माध्यम से निगरानी करें. 

क्षति के क्या है लक्षण 

पत्ती की नोक के पास भूरे रंग के अंडे की उपस्थिति होती है. वानस्पतिक अवस्था में लार्वा तने में प्रवेश करता है और बढ़ते अंकुर को खाता है और केंद्रीय अंकुर को सूखने का कारण बनता है. जिसे "मृत हृदय" भी कहा जाता है. बड़े पौधे में पूरी बालियां सूख जाती हैं और भूरे दाने निकलते हैं. जिन्हें "सफेद बाली" कहा जाता है. वानस्पतिक चरण में पौधा पीले रंग में परिवर्तित होकर मर जाता है. सफेद रंग का (व्हाइट ईयर हेड) दिखाई देता है.  

तना छेदक कंट्रोल का दूसरा तरीका 

पौध सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार तना छेदक की निगरानी खेतों में करते रहें. इसकी रोकथाम के लिए धान के तना छेदक कीटों को नियंत्रित करने के लिए फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग करें.  एक एकड़ खेत के लिए 5 से 6 फेरोमेन ट्रैप लगाएं. इसके कीटों को आकर्षित करने एक लाइट ट्रैप लगाएं. जैविक नियंत्रण के लिए रोपाई के 28 दिनों के बाद एक साप्ताह के अंतराल पर तीन बार अंडा परजीवी ट्राइकोग्रामा जैपोनिकम 5 सीसी प्रयोग करें. इस कीट के अधिक प्रकोप होने पर कारटैप हाइड्रोक्लोराइड 4जी या फिप्रोनिल 0.3 जी 4 किलोग्राम प्रति एकड़ प्रयोग करें. या फ‍िर क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. या कारटैप हाइड्रोक्लोराइड 50 एस पी 1 मिली लीटर दवा प्रति लीटर पानी मिलाकर का छिड़काव करें.

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