घर पर बालकनी या छोटी जगह पर कैसे उगाएं तरबूज, जानें कुछ खास तरकीबें

घर पर बालकनी या छोटी जगह पर कैसे उगाएं तरबूज, जानें कुछ खास तरकीबें

तरबूज के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी सही मानी गई है. वहीं फलों को पकने के लिए उन्हें रोजाना आठ से 10 घंटे की धूप की जरूरत होती है. फल अच्‍छे से बढ़े और उसका साइज भी अच्‍छा हो इसके लिए का pH 6.0 और 7.0 के बीच होना चाहिए. बीज की बुवाई से पहले उर्वरता और जल निकासी में सुधार के लिए मिट्टी को खाद या पुरानी खाद से पोषण प्रदान करें.  

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घर पर बालकनी या छोटी जगह पर कैसे उगाएं तरबूज, जानें कुछ खास तरकीबेंबालकनी में भी उगाया जा सकता है तरबूज

गर्मी में तरबूज भला किसे पसंद नहीं होगा. चिलचिलाती धूप या फिर तेज लू में इस लाल रंग के पल्‍प वाले फल को खाते ही ठंडक का अहसास होने लगता है. तरबूज में पानी की मात्रा ज्‍यादा होने के कारण और इसकी तासीर ठंड होने की वजह से यह गर्मियों के मौसम में ज्‍यादातर लोगों का फेवरिट बन जाता है. अब जरा सोचिए कि अगर आपको इस मौसम में तरबूज खाना हो और आपकी बालकनी में ही यह फल मौजूद हो तो कैसा रहेगा. आपको भी सुनकर हैरानी होगी लेकिन आप अपनी बालकनी में आसानी से यह फल उगा सकते हैं. जाने बालकनी में या फिर घर के छोटे से हिस्‍से में इस रसीले फल को उगाने के कुछ खास टिप्‍स. 

कैसी हो मिट्टी और धूप  

तरबूज के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी सही मानी गई है. वहीं फलों को पकने के लिए उन्हें रोजाना आठ से 10 घंटे की धूप की जरूरत होती है. फल अच्‍छे से बढ़े और उसका साइज भी अच्‍छा हो इसके लिए का pH 6.0 और 7.0 के बीच होना चाहिए. बीज की बुवाई से पहले उर्वरता और जल निकासी में सुधार के लिए मिट्टी को खाद या पुरानी खाद से पोषण प्रदान करें. आप पुरानी या गोबर की खाद का प्रयोग कर सकते हैं. बीज बोने के दो से तीन हफ्ते पहले इसे मिट्टी में मिला सकते हैं. ताजी खाद से बचना चाहिए यह नई और कोमल जड़ों को जला सकती है. 

कब बोने चाहिए बीज 

ठंड के आखिरी दिनों से छह से आठ हफ्ते पहले घर के अंदर बीज बोना शुरू करें. आप सूरज की रोशनी के पास गमले को रख सकते हैं ओर मिट्टी को नम रखना न भूलें. लेकिन बहुत ज्‍यादा पानी का प्रयोग करने से बचना चाहिए. तरबूज को जिंदा रहने के लिए लगातार नमी चाहिए होती है खास तौर पर उनमें फूल लगने के चरण के दौरान. हर हफ्ते करीब एक से दो इंच पानी दें और मिट्टी को नम रखें लेकिन गीली न होने दें. 

कैसे दे पौधे को पानी 

ऊपर से पानी देने के बजाय बेल के निचले हिस्से में गहराई से पानी देना सबसे अच्छा है. इससे पानी जड़ों तक पहुंचता है जहां इसकी सबसे ज्‍यादा जरूरत होती है. ऐसा करने से पत्तियों पर नमी नहीं रहती है. इससे पाउडरी फफूंद जैसी फफूंद जनित बीमारियों को बढ़ावा नहीं मिल पाता है. तरबूज के पौधों में एक ही बेल पर नर और मादा दोनों फूल होते हैं. नर फूल पराग पैदा करते हैं जबकि मादा फूलों के आधार पर एक छोटी सी सूजन होती है जो परागण के बाद फल में विकसित हो जाती है. सफल फल उत्पादन के लिए परागण बहुत जरूरी होता है और इसके बिना मादा फूल फल नहीं दे पाएंगे. 

कैसे करें कीट और रोग नियंत्रण

तरबूज के पौधे एफिड्स, स्क्वैश बग्स और ककड़ी बीटल जैसे कीटों से ग्रस्त होते हैं, जो पौधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और बीमारी फैला सकते हैं. रो कवर्स कीटों को दूर रखकर पौधों की रक्षा करते हैं और पौधों के खिलने के बाद परागणकों को फूलों तक पहुंचने देते हैं. फसल चक्र से हर साल पौधों के स्थान को बदलकर कीटों को रोका जा सकता है. इसके अलावा नीम का तेल या कीटनाशक साबुन जैसे ऑर्गेनिक ट्रीटमेंट का प्रयोग करके भी कीटों को रोका जा सकता है. पौधों को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से फंगल रोगों के संकेतों की जांच करें और संक्रमित पत्तियों को हटा दें. 

कैसे पता करें फल पका या नहीं 

आमतौर पर फल को पूरी तरह से पकने में 60 से 90 दिन लगते हैं. किस्म और बढ़ती परिस्थितियों पर भी फल का पकना निर्भर करता है. अगर फल के नीचे पीले रंग का हिस्‍सा नजर आए जो समझ जाना चाहिए कि तरबूज पक गया है और कटाई के लिए तैयार है. इसके अलावा अगर तरबूज को टैप करने पर एक खास आवाज आती है तो मतलब होता है कि यह पानी से भरा हुआ है और पूरी तरह से पका गया है. फल के पास के तने की जांच करें. अगर वह सूखा और भूरा नजर आए तो भी इशारा है कि आप तरबूज को काट सकते हैं. 

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