सरसों की खेती में लागत से 10-12 गुना कमाई का फंडा, इन ज़रूरी बातों का हमेशा रखें ध्यान

सरसों की खेती में लागत से 10-12 गुना कमाई का फंडा, इन ज़रूरी बातों का हमेशा रखें ध्यान

सरसों को बहुत अधिक पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन समय के साथ सही मात्रा में पानी देना जरूरी होता है. दिन के हिसाब से देखें तो पहली सिंचाई बुवाई के साथ, दूसरी सिंचाई बुवाई के 25-30 दिन बाद, तीसरी सिंचाई बुवाई के 45-50 दिन बाद और अंतिम सिंचाई बुवाई के 70-80 दिन बाद करनी चाहिए. इस तरह चार सिंचाई में सरसों की फसल निकल जाती है.

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सरसों की खेती में लागत से 10-12 गुना कमाई का फंडा, इन ज़रूरी बातों का हमेशा रखें ध्यानसरसों की उन्नत खेती

सरसों की खेती बंपर फायदे का सौदा है. यहां तक कि किसान लागत से कई गुना तक कमा सकते हैं. लेकिन उन्हें खेती इस ढंग से करनी होगी कि उत्पादन भर-भर के मिले. इस खेती में बुवाई से लेकर कटाई और फिर उपज की बिक्री तक शामिल है. बुवाई तो हालांकि निपट गई है, लेकिन किसान उसके आगे का काम सही ढंग से करें तो कमाई और मुनाफा बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता. आज हम इसी मुद्दे पर बात करेंगे.

खेती पर बात करें उससे पहले मुनाफे के बारे में ही जान लेते हैं. दरअसल, सरसों की खेती ऐसा काम है जिसे सही तरीके से करें तो 10-12 गुना मुनाफा पाया जा सकता है. सामान्य तौर पर देखें तो एक एकड़ सरसों की बिजाई में 4000 रुपये तक खर्च आता है. इससे आप प्रति एकड़ आराम से 14-15 क्विंटल सरसों पा सकते हैं.

अगर एक क्विंटल सरसों 4000-5000 रुपये तक बिक जाए तो यह रकम 60,000 रुपये तक जा सकती है. अगर सरसों के दाने पुष्ट और बड़े हों तो यह कमाई और भी बढ़ सकती है. इस तरह, आप 4,000 रुपये की लागत लगाकर 15 गुना तक कमाई कर सकते हैं. ऐसे कई किसान लाभ पा रहे हैं. इतनी कमाई पाने के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होगा. ये बातें क्या हैं, आइए जानें.

कितने दिन में पानी दें

सरसों को बहुत अधिक पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन समय के साथ सही मात्रा में पानी देना जरूरी होता है. दिन के हिसाब से देखें तो पहली सिंचाई बुवाई के साथ, दूसरी सिंचाई बुवाई के 25-30 दिन बाद, तीसरी सिंचाई बुवाई के 45-50 दिन बाद और अंतिम सिंचाई बुवाई के 70-80 दिन बाद करनी चाहिए. इस तरह चार सिंचाई में सरसों की फसल निकल जाती है.

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सरसों की ग्रोथ कैसे बढ़ाएं

सरसों की बढ़वार और फूल-फलियों के विकास का भी पूरा ध्यान रखना होता है. इसके लिए सरसों को पोषक तत्वों की मात्रा सही समय पर जरूर देनी चाहिए. इसमें सबसे जरूरी पोटाश और जिंक खाद का नाम है. पोटाश को सरसों बुवाई से पहले मिट्टी में मिलाते हैं. लेकिन जिंक को बाद में दिया जाता है. इसलिए आपको जिंक खाद पर अधिक फोकस करना चाहिए.

सरसों में जिंक कब डालें

सरसों के फूल और फलियों की ग्रोथ के लिए जिंक का इस्तेमाल करते हैं. जब सरसों में फूल और फलियां बनने लगें तो जिंक सल्फेट का घोल बनाकर पौधे पर छिड़काव करना चाहिए. इससे सरसों की पैदावार बढ़ती है. दाने बड़े होते हैं और उसमें तेल की मात्रा बढ़ती है. इसी तरह सरसों से अधिक उपज के लिए सल्फर का भी प्रयोग करते हैं.

सरसों में यूरिया कितनी दें

सरसों से अधिक पैदावार के लिए यूरिया का प्रयोग करते हैं. पहली सिंचाई के वक्त यूरिया देने का नियम है. पहली सिंचाई के बाद 100 लीटर पानी में 2 किलो यूरिया और आधा किलो जिंक का घोल बनाकर सरसों पर छिड़काव करना चाहिए. पहला छिड़काव बिजाई के 45 दिन बाद तो दूसरा छिड़काव इसके 20 दिनों बाद किया जाना चाहिए. इससे उपज अच्छी मिलती है.

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