ऐसे करें चने की खेती तो बोरी भर के मिलेगी पैदावार, इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान
चने की बुवाई से पहले बीजों को कवकनाशी (जैसे बीटावैक्स 20 ग्राम/किलोग्राम या थीरम या कैप्टॉन 2-5 ग्राम/किग्रा) से बीज की दर से उपचारित करें. बुवाई के समय की बात करें तो असिंचित क्षेत्रों में अक्टूबर के दूसरे या तीसरे हफ्ते, सिंचित क्षेत्रों में नवंबर के दूसरे हफ्ते तक बुवाई करें.
आज हम आपको चने की लाभकारी खेती के बारे में बताएंगे. चने की खेती किसानों को अच्छा लाभ देती है, वह भी कम लागत में. दलहन में चने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है क्योंकि सरकार इसे समर्थन मूल्य पर खरीद करती है. इसका समर्थन मूल्य यानी कि MSP पहले ही घोषित कर दिया जाता है ताकि किसान लाभ की उम्मीद में अधिक से अधिक खेती कर सकें. खाने की कई चीजों में चने की मांग को देखते हुए बाजार में इसकी डिमांड हमेशा बनी रहती है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हम आपको चने की लाभकारी खेती के बारे में बताएंगे, वह भी 5 पॉइंट्स में.
चने की लाभकारी खेती
बीज उपचार- बुवाई से पहले बीजों को कवकनाशी (जैसे बीटावैक्स 20 ग्राम/किलोग्राम या थीरम या कैप्टॉन 2-5 ग्राम/किग्रा) से बीज की दर से उपचारित करें.
बुवाई का समय- असिंचित क्षेत्रों में अक्टूबर के दूसरे या तीसरे हफ्ते, सिंचित क्षेत्रों में नवंबर के दूसरे हफ्ते तक बुवाई करें.
बीज दर और दूरी- छोटे दाने वाली किस्मों के लिए 75-60 किग्रा/हेक्टेयर, बड़े दाने वाली किस्मों के लिए 90-100 किग्रा/हेक्टेयर बीज का उपयोग करें.
उर्वरक प्रबंधन- नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और गंधक का 20:45:20:20 किग्रा अनुपात में उर्वरक का उपयोग करें.
खरपतवार और कीट प्रबंधन- बुवाई के 20-30 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें. दीमक से बचाव के लिए क्लोरोपाइरीफॉस घोल (25 किग्रा/हेक्टेयर) का उपयोग करें.
बीजीडी 72- यह किस्म 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है. इसकी खेती मध्य प्रदेस, महाराष्ट्र और गुजरात में की जाती है. इस किस्म के दानों का आकार बड़ा होता है. विल्ट, एस्कोकाइटा, ब्लाइट और जड़ सड़न रोग से प्रतिरोधक है.
आईसीसीवी-2- इस किस्म की खेती महाराष्ट्र में होती है. यह काबुली चने की किस्म है और जल्दी पकने वाली वैरायटी है.
जेजी-1- यह किस्म 15-18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है. यह 100 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है. इसकी खेती आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में होती है. यह किस्म फ्यूजेरियम विल्ट, जड़ सड़न रोग से प्रतिरोधी है. हेलीकोर्वा रोग से भी प्रतिरोधी है.
केएके-2- चने की यह किस्म 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है. इसकी खेती मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में होती है. यह बड़ा काबुली चना है जो जल्द पक जाता है. इसकी पत्तियां हल्के रंग की होती हैं. यह सिंचित और वर्षा आधारित किस्म है.
सीओ-3- यह किस्म 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है. इसकी खेती मुख्य तौर पर तमिलनाडु में होती है. यह किस्म जड़ सड़न से प्रतिरोधी है. इसके बीज का आकार बड़ा होता है.