सरसों में कितना दें डीएपी और यूरिया? तेल अधिक चाहिए तो जरूर डालें ये खाद

सरसों में कितना दें डीएपी और यूरिया? तेल अधिक चाहिए तो जरूर डालें ये खाद

सरसों में प्रति हेक्टेयर 100 किलो डीएपी और 100 किलो यूरिया पर्याप्त रहता है. इसमें गंधक का उपयोग भी बहुत लाभदायक होता है. गंधक के उपयोग से सरसों की फलियां और दाने पुष्ट होते हैं. प्रति हेक्टेयर फसल में 15 किलो ग्राम की दर से गंधक डालने पर सरसों की उपज और तेल की मात्रा अधिक मिलती है.

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सरसों में कितना दें डीएपी और यूरिया? तेल अधिक चाहिए तो जरूर डालें ये खादसरसों की खेती में डीएपी और यूरिया बड़ा रोल निभाते हैं

सरसों की बुवाई कर चुके हैं तो खेतों में नए-नए पौधे दिख रहे होंगे. पौधों को देखकर आपको पता चल जाएगा कि कहीं वे कुपोषण के शिकार तो नहीं. पौधे कुपोषण के शिकार तभी होते हैं जब उन्हें मिट्टी के जरिये पोषक तत्वों की सही मात्रा नहीं मिल पाती. पौधों के पत्तों और तनों की तंदुरुस्ती देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उसमें खाद देना कितना जरूरी है. ऐसे में आपको डीएपी और यूरिया खाद की जानकारी जरूरी होनी चाहिए जिससे सरसों को पोषक तत्व मिलते हैं. साथ ही सरसों के पौधे में गंधक का भी बड़ा रोल है. आइए दोनों खादों के बारे में जान लेते हैं.

सरसों में प्रति हेक्टेयर 100 किलो डीएपी और 100 किलो यूरिया पर्याप्त रहता है. इसमें गंधक का उपयोग भी बहुत लाभदायक होता है. गंधक के उपयोग से सरसों की फलियां और दाने पुष्ट होते हैं. प्रति हेक्टेयर फसल में 15 किलो ग्राम की दर से गंधक डालने पर सरसों की उपज और तेल की मात्रा अधिक मिलती है. खाद और गंधक के उपयोग में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि डीएपी की पूरी मात्रा और यूरिया, गंधक की एक तिहाई मात्रा फसल के लिए खेत तैयार करते समय, बीज बोने के पहले और अंतिम जुताई करते समय खेत में डालना चाहिए. बाकी बचे हुए यूरिया और गंधक की मात्रा फसल की पहली सिंचाई और फूल बनते समय सिंचाई के समय बराबर दो भाग में बांट कर देना चाहिए.

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खाद और सिंचाई का जानें हिसाब

अब सिंचाई का हिसाब भी जान लेते हैं. सरसों की खेती में सिंचाई का उचित प्रबंध करना बहुत जरूरी है. खेत में नमी की कमी होने पर बुवाई के 25-30 दिन बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए. इसके बाद 15 से 20 दिन के अंतराल से दूसरी और तीसरी सिंचाई करनी चाहिए. इसमें फूल और फली बनने के समय सिंचाई करना बहुत जरूरी है. उस समय मिट्टी में नमी की कमी होने से उपज घट जाती है. इसलिए इन दोनों अवस्थाओं में सिंचाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. सरसों की फसल में चार से अधिक सिंचाई करना जरूरी नहीं है.

सरसों की फसल में मक्खियों का अटैक अधिक होता है. इससे बचाव के लिए किसानों को जरूरी उपाय करने चाहिए. सरसों पर आरा मक्खी का प्रकोप अधिक होता है. यह नारंगी का कीड़ा होता है. इसका सिर काला होता है. यह फलियों और पत्तियों को खाकर उसमें छेद कर देता है जिससे पौधों और फलियों का विकास रुक जाता है और फसल से उपज कम मिलती है. इसका प्रकोप अक्टूबर से जनवरी माह तक होता है. इसकी रोकथाम के लिए बीएचसी 10 प्रतिशत या मिथाइल पेराथियान 2 प्रतिशत वाला 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह या शाम में डस्टर से छिड़काव करना चाहिए.

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