
तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार ने भी रबी सीजन में तिलहन का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया था, जिसके तहत किसानों को सरसों के मिनी किट दिए गए थे, जिसका सकारात्मक परिणाम भी दिखाई दिया है. इस वर्ष सरसों की पैदावार अच्छी हुई है तो वहीं किसानों को इसका मुनाफा भी मिला है. मसलन, किसानों ने सरसों भी बेची तो वहीं किसानों ने सरसों के डंठल बेचकर भी मुनाफा कमाया. पूर्वांचल में सरसों के डंठल से किसानों ने प्रति हेक्टेयर 40 से 50 हजार रुपये तक की अतिरिक्त कमाई की, जबकि पहले यह डंठल बेकार चली जाती थी.
किसान के द्वारा अब तक सरसों की खेती करने के बाद डंठल को खेत में ही छोड़ दिया जाता था. बाद में इसे खेत में ही किसानों के द्वारा जला भी दिया जाता था, लेकिन अब इसके भी फायदे हैं. किसानों को डंठल (Mustard stalk) को इकट्ठा करके बेचने से अच्छी आए हो रही है. चंदौली जनपद के किसान रामकेवल बताते हैं कि उन्होंने इस साल 8 बीघे सरसों की खेती की थी, जिसमें खूब उत्पादन हुआ. वहीं उन्होंने सरसों के डंठल को बेचकर भी 50,000 से ज्यादा की रकम कमाई है. सरसों के डंठल को ईट भट्टे के संचालक 500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से खरीदते हैं. यह ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए अब किसानों के लिए डंठल भी मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है.
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सरसों की खेती करने वाले किसान नरेश चंद बताते हैं कि यह कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है. आजकल छुट्टा पशुओं के चलते सरसों की खेती करने वाले किसानों को ज्यादा फायदा हो रहा है क्योंकि सरसों की फसल को छुट्टा जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं जबकि गेहूं या दूसरी फसलों को जानवरों से बचाना मुश्किल हो रहा है. इसी के साथ सरसों की फसल को तैयार होने में एक सिंचाई की जरूरत होती है जबकि इसमें उर्वरक की मात्रा का प्रयोग भी अन्य फसलों के मुकाबले कम होता है. वही पैदावार होने के बाद सरसों की फसल का नाम दूसरी फसलों के मुकाबले अच्छा मिल रहा है. इसी से किसानों का मुनाफा भी अब बढ़ रहा है.
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