देश के कई हिस्सों में ठंड का सितम बढ़ते जा रहा है. वहीं देश किसान अपनी फसल की अच्छी पैदावार के लिए काफी मेहनत करते हैं. इसके लिए वह सिंचाई के साथ-साथ फसलों में समय पर खाद भी देते हैं. लेकिन किसानों को बहुत बार कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है. इसमें फसलों में कीट लगने के साथ ही दिसंबर से फरवरी महीने तक ठंड के प्रकोप से फसलों पर पाले का भी खतरा रहता है. दरअसल सरसों की फसल का सबसे बड़ा दुश्मन पाला को माना जाता है.
वहीं अब धीरे-धीरे देश में शीतलहर को दौर जारी हो गया है, क्योंकि पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी के चलते मैदानी इलाकों में ठंड तेजी से बढ़ने लगी है. जो सरसों की खेती करने वाले किसानों के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है. ऐसे में किसानों को अपनी फसल को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है. आइए आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताते हैं, जिससे आप अपनी सरसों की फसल को पाला से सुरक्षित रख सकते हैं.
किसानों को सरसों की बुवाई के समय ध्यान रखना चाहिए कि बीज उन्नत प्रजातियों के होने के साथ ही स्वस्थ हों. क्योंकि शीतलहर और पाले से सर्दी के मौसम में रबी की सभी फसलों को नुकसान होता है. इसमें रबी की सबसे प्रमुख फसल गेहूं के अलावा तिलहन फसलों को सबसे अधिक 80 से 90 फीसदी तक नुकसान हो सकता है.
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पाला से सरसों को बचाने के लिए सल्फर युक्त रसायनों का इस्तेमाल फायदेमंद होता है. डाइमिथाइल सफ्लो ऑक्साइड का 0.2 फीसदी या 0.1 फीसदी थायो यूरिया का छिड़काव करें वहीं ये छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर फिर दोहराएं. इसके अलावा जब शीतलहर चलने लगे तब फसल में हल्की सिंचाई करें.
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