कोहरा और पाला है फसलों का दुश्मन, नुकसान से बचने के लिए अपनाएं ये देसी उपाय

कोहरा और पाला है फसलों का दुश्मन, नुकसान से बचने के लिए अपनाएं ये देसी उपाय

सर्दी के मौसम में शीतलहर से आलू, टमाटर, मिर्च और बैंगन जैसी बागवानी फसलों में झुलसा रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है. यदि समय से पहले फसलों को बचाने का उपाय नहीं किया गया तो उत्पादन प्रभावित हो सकता है. ऐसे में किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए इन देसी उपाय को अपना सकते हैं.

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कोहरा और पाला है फसलों का दुश्मन, नुकसान से बचने के लिए अपनाएं ये देसी उपायपाला है फसलों का दुश्मन

देश के लगभग सभी राज्यों में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. इस बीच तापमान गिरने के साथ ही मौसम में धीरे-धीरे बदलाव हो रहा है, जिस कारण ओस, कोहरा, ठंड, पाले और धुंध का भी असर दिखाई दे रहा है. ऐसे में बदलते मौसम का असर सबसे ज्यादा फसलों पर देखा जा रहा है, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है. दरअसल, दिसंबर और जनवरी के महीने में शीतलहर और पाला पड़ने की संभावना सबसे ज्यादा रहती है. पाला लगभग सभी तरह की फसलों के लिए हानिकारक होता है क्योंकि पाले के प्रभाव से फसल सड़ गलकर बर्बाद हो जाती है. जिससे रबी और बागवानी फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है. ऐसे में किसानों को अपनी फसलों को पाले से बचाने के लिए देसी उपाय अपनाना चाहिए. इन उपायों को अपनाकर किसान अपनी फसलों को नुकसान होने से बचा सकते हैं.

पाले का फसलों पर इतना असर

रबी की प्रमुख फसलें जैसे, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ, चना, मटर, गन्ना आदि में लगभग 30 से 40 फीसदी तक नुकसान होता है. वहीं, सब्जियों में आलू, मिर्च, टमाटर, बैंगन आदि फसल को पाले और शीतलहर से 40 से 60 फीसदी हानि होती है. इसके अलावा पाले और शीतलहर का सबसे ज्यादा असर सरसों, आलू और नई रोपी गई फसलों को होता है. साथ ही पाला गिरने के बाद आलू और सरसों की फसल में झुलसा रोग लग जाता है जिससे फसल सड़ और सूख कर बर्बाद हो जाती है.

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फसलों को बचाने के लिए करें धुआं

जब ठंड का असर बहुत अधिक हो और तापमान बहुत कम हो जाए या कोहरा पड़ने लगे तब सब्जी वाली फसलों में पाले का प्रकोप बहुत तेजी से बढ़ता है. ऐसी परिस्थिति में किसानों को अपने खेत की मेड़ पर 2 से 3 जगह शाम के समय और रात में खरपतारों को रखकर उसमें धुआं करना चाहिए. खेतों में धुआं करने से फसलों में कोहरे और पाले का असर नहीं होता है. इस घरेलू विधि से फसलों को कोहरे और पाले से बचाया जा सकता है.

फसलों पर गंधक तेजाब का छिड़काव

रबी फसल में जब पाला पड़ने की आशंका हो तो उस दिन फसल पर गंधक के तेजाब का छिड़काव करें. इस प्रकार छिड़काव से फसल के आसपास के वातावरण में तापमान बढ़ जाता है. इससे पाले से होने वाले नुकसान से फसल को बचाया जा सकता है.

पुआल का भी कर सकते हैं इस्तेमाल

पाले से सबसे अधिक नुकसान नर्सरी वाले पौधों को होता है. ऐसे में पौधों को बचाने के लिए नर्सरी में पुआल का इस्तेमाल पौधों को ढकने के लिए किया जा सकता है. ऐसा करने से पुआल के अंदर का तापमान बढ़ जाता है, जिससे पाले का असर कम हो जाता है.

सिंचाई से भी नहीं पड़ता है पाला

सर्दी के मौसम में कोहरा और पाला पड़ने की स्थिति में फसलों को पाले से बचाने के लिए इसकी सिंचाई करनी चाहिए.  इससे नमीयुक्त जमीन में काफी देर तक गर्मी रहती है और भूमि का तापमान एकदम कम नहीं होता है, जिससे तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है.

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