जहां महंगी और नामी दवाएं या स्प्रे काम करना बंद कर देते हैं, वहां अपना देसी नुस्खा कमाल कर जाता है. यह कहना है उन किसानों का जो घर की मामूली चीजों से कई फसलों की खेती को अंजाम दे रहे हैं. इन किसानों का कहना है कि जिस तरह हर मर्ज का इलाज घर के किचन में मौजूद है, उसी तरह हमारी फसलों को बचाने का इलाज भी घर में ही मौजूद है. बस जरूरत है कि हम मर्ज को पहचानें और उसके देसी इलाज का इंतजाम करें. इसी इलाज में शामिल है पाले से फसलों का बचाव और सब्जियों पर कीटों का नियंत्रण.
तो आइए किसान की जुबानी जानते हैं कि फसलों को बचाने के लिए हम घर की चीजों का कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं. ये वो चीजें हैं जो आपके-हमारे घर में मुफ्त में मौजूद हैं. ये चीजें या तो बेकार हैं या बिना किसी खर्च के आती हैं. इस बारे में हरियाणा के बहादुरगढ़ के किसान नरेंद्र सिंह बताते हैं कि वे चूल्हे की राख और फिटकरी से फसलों की कई गंभीर बीमारियों का इलाज कर लेते हैं.
किसान नरेंद्र सिंह ने बताया कि जब फसल पर पाले का अधिक असर हो तो उसके लिए किसी महंगे स्प्रे या दवा से ज्यादा काम घर के चूल्हे की राख करती है. किसान फसल पर राख का छिड़काव कर दें तो पाले से फसल को फुलप्रूफ सुरक्षा मिलती है. उन्होंने बताया कि जब ठंड बढ़े, शीतलहर का प्रकोप अधिक हो, फसल पर ओस अधिक गिरने लगे तो हमें चूल्हे की राख का छिड़काव करना चाहिए.
इस राख के दो फायदे होते हैं. पहला, फसल के पत्ते या टहनियों का तापमान बढ़ जाता है. दूसरा, पाले का असर पौधों पर सीधा नहीं पड़ता. यानी राख एक तरह से बचाव शील्ड का का काम करती है. इसलिए आने वाले दिनों में पाले का प्रकोप देखते हुए किसानों को राख का छिड़काव करना चाहिए. यह बिना खर्च का काम है और राख को कहीं फेंकने से बढ़िया है कि उसे छिड़काव में उपयोग कर लिया जाए.
इसी के साथ फिटकरी के पानी से भी सब्जियों को कीटों से बचाया जा सकता है. किसान नरेंद्र सिंह बताते हैं कि फिटकरी का चूरा बनाकर उसे पानी में घोल लेना चाहिए. फिर इस घोल को कीट से प्रभावित फसलों पर छिड़कना चाहिए. हालांकि यह काम लगातार नहीं करें क्योंकि इससे फसलों के जलने का भी खतरा रहेगा. दो-तीन छिड़काव करने के बाद फिटकरी के स्प्रे को रोक दें. फिर निगरानी करें कि कीटों का प्रकोप कम हुआ है या नहीं. अगर असर बाकी है तो फिर से उसके घोल का छिड़काव कर सकते हैं. इससे फसल से कीटों का समूल सफाया हो जाएगा.
किसान नरेंद्र सिंह पशुपालन भी करते हैं. वे बताते हैं कि पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए उनके बाड़े की बराबर सफाई करते रहें. सफाई करने के बाद फर्श पर चूने का छिड़काव कर दें. यह चूना कीटनाशक का काम करता है. चूने से कीटाणु-जीवाणु भी मरते हैं जिससे पशुओं की सुरक्षा होती है. किसान ने यह भी बताया कि अगर किसी दुधारू पशु का अधिक चाहिए तो उसे गुड़, चना, जई और जौ का मिश्रण मिलाकर पका कर देना चाहिए. इससे पशुओं के दूध की मात्रा बढ़ती है.
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