भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर किसान खेती के साथ-साथ मछली पालन भी बड़े स्तर पर करते हैं. इससे किसानों की अच्छी कमाई होती है. वहीं, कई राज्यों में मछली पालन किसानों के लिए मुख्य बिजनेस बन गया है. यही वजह है कि केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को समय-समय पर सब्सिडी देती हैं. लेकिन मछली पालन शुरू करने से पहले किसानों को मछिलयों को खिलाए जाने वाले आहार के बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिए. यदि वे मछलियों को हेल्दी आहार नहीं देंगे, तो उन्हें बिजनेस में नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. क्योंकि मछलियों का वजन उतनी तेजी के साथ नहीं बढ़ेगा. इससे मार्केट में किसानों को अच्छा रेट नहीं मिलेगा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मछलियों को हमेशा पोषक आहार देना चाहिए. इससे उनका विकास तेजी से होता है. साथ ही वे हेल्दी भी रहती हैं. प्राकृतिक जल में रहने वाली मछलियों को कई प्रकार के प्राकृतिक खाद्य पदार्थ मिलते हैं. इससे उनको भरपूर मात्रा में पोषण मिलता रहता है. लेकिन कृत्रिम तालाब में पाले जाने वाली मछलियों को प्राकृतिक जल की मछलियों के मुकाबले कम पोशक तत्व मिलते हैं. ऐसे में उस कमी को पूरा करने के लिए किसानों को पालतू मछलियों को पूरक आहार देना चाहिए. इससे मछलियां तेजी से वजन बढ़ाती हैं.
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नर्सरी या तालाब की पालतू मछलियों को उपलब्ध प्राकृतिक भोजन के अलावा अलग से भी पूरक आहार देना चाहिए. पूरक आहार देने के लिए आप बारीक पीसा हुआ सरसों की खल्ली और चावल का कुण्डा का मिश्रण बारीक कपड़े में छान लें. इसके बाद उसे आहार के रूप में उसका प्रयोग कर सकते हैं. यदि पीसा हुआ खल्ली उपलब्ध नहीं है, तो इस मिश्रण की आवश्यक मात्रा को रात भर फुला कर सुबह पानी में पतला घोल तैयार कर लें. इसके बाद तालाब में इसका छिड़काव करें. आप पूरक आहार सुबह में या सुबह और शाम में दोनों समय दे सकते हैं.
अगर आप ज्यादा मात्रा में मछली बीज का उत्पादन करना चाहते हैं, तो इसके लिए मछली के बीज को शुरुआती दो से चार दिन तक बेसन, सरसों का तेल, अंडा, गुड़ आदि का मिश्रण भी पूरक आहार के रूप में दिया जा सकता है. एक लाख स्पान के लिए संचयन की तिथि से सात दिनों तक 600 ग्राम, दूसरे सप्ताह में 1200 ग्राम और तीसरे सप्ताह में 1800 ग्राम पूरक आहार प्रतिदिन की दर से प्रयोग किया जाना चाहिए. पूरक आहार में कुल मात्रा का एक प्रतिशत खनिज लवण (एग्रिमीन, फीशमीन आदि) का प्रयोग फायदेमंद रहता है.
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20वें दिन मछली के बीज का आकार 1 इंच से 1.5 इंच हो जाता है और यह बड़े तालाब में या अंगुलिकाओं को तैयार करने वाले तालाब में (रियारिंग तालाब) छोड़ने लायक हो जाती है. यदि नर्सरी में उपलब्ध मछली के बीज को आप बड़े तालाब में छोड़ने में देरी करते हैं, तो बीज के अनुमानित वजन का 2 प्रतिशत वजन के बराबर (2 से 2.5 किलोग्राम) पूरक आहार का प्रयोग तब तक करते रहना चाहिये जब तक मत्स्य बीज का उठाव न हो जाए.
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