पपीता की खेती से कम लागत में पाएं लाखों का मुनाफा कमाने के टिप्स

पपीता की खेती से कम लागत में पाएं लाखों का मुनाफा कमाने के टिप्स

पपीता की खेती कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है. इसमें पौध रोपण के 7-9 महीने बाद फल आने लगते हैं. अगर सही तरीके से पपीते की खेती की जाए तो एक एकड़ में 800-900 पौधे लगते हैं. साल भर में प्रति एकड़ 4 लाख तक की आमदनी हो सकती है. पपीता की सफल खेती के टिप्स विशेषज्ञ ने दिए हैं.

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पपीता की खेती से कम लागत में पाएं लाखों का मुनाफा कमाने के टिप्स पपीते की खेती की विशेष टिप्स

भारत में पपीता एक ऐसा फल है, जिसकी मांग शहरों से लेकर गांवों तक हमेशा बनी रहती है. अपने स्वाद, रस और औषधीय गुणों के कारण पपीता न केवल फल के रूप में खाया जाता है, बल्कि सलाद, सब्जी, कोफ्ते, जैम और अचार के रूप में भी इसका खूब उपयोग होता है. पेट, लीवर और हृदय संबंधी बीमारियों में यह अत्यंत लाभकारी माना जाता है. इसके कारण पपीता की खेती किसानों के लिए एक फायदेमंद विकल्प बन चुकी है. खासकर अप्रैल महीने में इसकी शुरुआत करने से अच्छी पैदावार और मुनाफा मिल सकता है. पपीते की खेती में पानी और देखरेख की अपेक्षाकृत कम जरूरत होती है, जिससे यह कम लागत में अधिक लाभ देने वाली फसल बन जाती है. पपीता की एक और खासियत यह है कि एक बार पौधे लगने के बाद लगभग दो सालों तक लगातार फल मिलते रहते हैं.

नर्सरी से पौध तैयार करना

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, बिहार के पौध सुरक्षा विभाग के हेड सुनील कुमार सिंह के अनुसार, पपीते की खेती के लिए सबसे पहले नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते हैं. इन्हें पॉलीथीन की थैलियों में भी उगाया जा सकता है. उत्तर-भारत में अप्रैल और मई के महीने पपीते की रोपाई के लिए आदर्श माने जाते हैं. जिन क्षेत्रों में सिंचाई की अच्छी सुविधा हो, वहां सितंबर-अक्टूबर या फरवरी-मार्च में भी रोपण किया जा सकता है.

खेत का चयन और तैयारी

उत्तर भारत में पपीते के लिए दोमट मिट्टी, अच्छी धूप और जल निकासी वाली जमीन उपयुक्त रहती है. खेत में जलभराव न हो, यह बेहद जरूरी है क्योंकि जड़ें सड़ सकती हैं. तेज हवाओं से सुरक्षित स्थान चुनना भी आवश्यक है क्योंकि पपीते की जड़ें उथली होती हैं. मिट्टी परीक्षण कराकर उसमें जैविक खाद या सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं. खेत की मिट्टी को 1 फीट गहराई तक जोतें ताकि अच्छी तरह से वातन हो सके. 1 फीट x 1 फीट x 1 फीट आकार के गड्ढे खोदें और 15 दिन तक धूप में छोड़ दें. इसके बाद हर गड्ढे में 5 ग्राम कार्बोफ्यूरान और 25-30 ग्राम डीएपी मिलाकर आधा भर दें.

ऐसे करें रोपाई

स्वस्थ, रोगमुक्त और 6-8 इंच ऊंचे पौधों का चुनाव करें जिनमें 3-4 पत्ते हों. रोपाई से एक दिन पहले पौधों को पानी दें और फिर पॉलीथीन हटाकर गड्ढे के केंद्र में लगाएं. बाकी मिट्टी से गड्ढा भरकर हल्की सिंचाई करें. पौधों के बीच 1.8 मीटर की दूरी रखें ताकि उन्हें पर्याप्त जगह मिले. रोपाई सुबह या शाम के समय करें ताकि पौधों को तापमान का झटका न लगे.

कितना और कब दे खाद- पानी

शुरुआती दिनों में पौधों को पर्याप्त पानी देना जरूरी है लेकिन अधिक पानी देने से बचें. ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाना लाभकारी रहेगा. पौधों के चारों ओर मल्च पुआल या सूखे पत्ते बिछाकर नमी बनाए रखें और खरपतवारों से बचाव करें. प्रति पौधा 25-30 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद और 1-2 किलो नीम केक या वर्मीकम्पोस्ट दें. इसके अलावा, 200-250 ग्राम नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम हर 2 या 3 महीने पर दें. कीटों जैसे - एफिड्स, व्हाइटफ्लाइज और फ्रूट फ्लाइज से बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें और नियमित निरीक्षण करें.

पैदावार और मुनाफा का गणित

पपीते की रोपाई के 9-10 महीने बाद पहली तुड़ाई की जा सकती है और 2 साल तक फल मिलते रहते हैं. एक पौधा 80 किलो से 1.5 क्विंटल तक फल दे सकता है. खंडवा (मध्य प्रदेश) के बोरगांव निवासी पवन चौहान ने एक एकड़ में 700-750 पौधे लगाकर पपीते की खेती से लाखों का मुनाफा कमाया है. अगर किसान पूसा डिलीशियस, पूसा ड्वार्फ, पूसा नन्हा जैसी परंपरागत किस्में या सूर्या और मयूरी जैसी संकर किस्में अपनाएं, तो लगभग ₹1.5 लाख की लागत में दो सालों में ₹10-12 लाख का शुद्ध लाभ कमाया जा सकता है.

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