देश भर में खरीफ सीजन शुरू हो चुका है ऐसे में किसान फसलों की बुवाई भी शुरू कर चुके है. कई राज्यों में कपास की बुवाई हो रही है. इसका उपयोग कपड़ा बनाने में किया जाता है. साथ ही कपास के बीजों से तेल भी बनाया जाता हैं. यही वजह है कि बाजार में कपास की कीमतें अच्छी बनी रहती हैं. ऐसे में इसकी खेती कर किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं. हरियाणा में भी किसान इस सीजन में बड़े पैमाने पर कपास की खेती करते हैं वहीं हरियाणा के कृषि विभाग की तरफ से किसानों को कपास की खेती के लिए सुझाव जारी किया है. इस सुझाव में बताया गया है कि किसान जून महीने में कपास खेती से पहले मिट्टी की जोताई कर ले. इसके साथ ही बताया गया कि अच्छी बारिश के बाद ही किसान यूरिया का उचित उपयोग करें.
बता दें कि कपास की खेती करते समय ध्यान रखना बेहद जरूरी हैं कि खेतों में जलनिकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए. मटियार भूमि में की इसकी खेती की जाती है.इसके अलावा सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध हों वहां बलुई एवं बलुई दोमट मिटटी में भी कपास की खेती की जा सकती है. उत्तरी भारत में कपास की खेती सिंचाई आधारित होती है. कपास का खेत तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि खेत ठीक तरह से समतल हो और मिट्टी की जलधारण एवं जलनिकास क्षमता दोनों अच्छे हों. इसके अलावा समय-समय पर खेतों से खरपतवार हटाते रहे हैं, जिससे कपास के पौधे का विकास सही तरीके से हो सके.
हरियाणा कृषि विभाग की तरफ से ट्विटर पर किसानों को कपास की खेती को लेकर सुझाव दिया है इसमे बताया बताया गया है कि किसान जून महीने में कपास की बुवाई से पहले मिट्टी की जोताई ट्रैक्टर की सहायता से अवश्य करें. इसके आलावा कपास में पहला पानी 45 से 50 दिन बाद ही डाले. रेतीली मिट्टी में भी फव्वारा विधि से 4 से 5 दिन में ही पानी डाले लेकिन रोज फवारा ना चलाएं. इसके साथ ही टपक विधि के द्वारा भी 3-4 दिन में फसल को पानी दे. और अच्छी बरसात के बाद ही यूरिया का एक बैग प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें.अगर बिजाइ के समय आपने कुछ नहीं डाला है तो एक बैग यूरिया की जगह डी.ए. पी का छिड़काव करें.
‘कपास की खेती के लिए सुझाव’
— Dept. of Agriculture & Farmers Welfare, Haryana (@Agriculturehry) June 26, 2023
-जून माह में किसान भाई कपास की एक खोदी कसोले से या ट्रैक्टर की सहायता से अवश्य करें
- कपास में पहला पानी 45 से 50 दिन बाद ही लगाएं, रेतीली मिट्टी में भी फव्वारा विधि
से 4 से 5 दिन में ही पानी लगाएं रोज फवारा ना चलाएं! pic.twitter.com/dZDz9fbIBs
कपास की खेती में कृषि उत्पादन के लिए कम पानी और खेती के लिए कम भूमि का उपयोग होता है, लेकिन यह कपड़ा फाइबर प्रदान करता है जो दुनिया भर में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है. कपास प्राकृतिक रूप से कीटों और बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है, कीटनाशकों का कम उपयोग होता है किसान कपास की खेती से अच्छाई कमाई कर सकते हैं पिछले साल कपास का किसानों को 13 हज़ार रूपये प्रति क्विंटल का भाव मिला था.
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