अभय नागने, एक युवा किसान हैं जोकि वर्तमान में एमबीए कर रहे हैं और साथ में काजू प्रसंस्करण का भी काम करते हैं. अभय उच्च गुणवत्ता वाले काजू का उत्पादन करने के लिए रोजाना एक टन काजू को प्रोसेस कर रहे हैं. स्थानीय बाजार में उनके माल की भारी मांग है. अभय नागने ने पढ़ाई के दौरान ही कृषि प्रसंस्करण उद्योग की पढ़ाई शुरू कर दी थी. उन्होंने अपने ही खेत में दो से ढाई लाख रुपए निवेश कर छोटा काजू प्रसंस्करण उद्योग शुरू किया था जो प्लांट अभी सत्तर से अस्सी लाख रुपये का बन चुका है. यह उद्योग एक कमरे में से शुरू हुआ, जोकि अब दो साल में यह पूरी तरह से परिष्कृत हो गया है और वह रोजाना एक टन काजू प्रोसेस करते हैं.
उन्होंने काजू का गणित तैयार करते समय पहली बार कच्चे माल का अध्ययन किया. कोंकण में पैदा होने वाला कच्चा काजू सिर्फ दो महीने चलता है और वह भी उसी इलाके में ऊंचे दामों पर बिकता है. इस स्थिति को देखकर उन्होंने अफ्रीकी देशों से कच्चे काजू लाने पर ध्यान केंद्रित किया और अभय को कोंकण से कम कीमत पर अफ्रीकी देशों से बेहतर गुणवत्ता वाले कच्चे काजू मिलने लगे. अभय मैंगलोर में बंदरगाह से महीने में 30 टन कच्चा माल उठाते हैं और ओझेवाड़ी में अपने खेत में लाते हैं. यह कच्चा माल उन्हें करीब 100 से 120 रुपये में मिल जाता है. इसके बाद अभय ने जो शेड खेत में लगाया है, उसमें उन्हें प्रोसेस किया जाता है. अभय कहते हैं कि अगर हमारे किसान काजू की खेती करते हैं तो जो सामान हम देश के बाहर से बड़े पैमाने पर लाते हैं, उसका उत्पादन यहीं होगा और हमारा पैसा चला जाएगा.
हालांकि काजू खाने में स्वादिष्ट और देखने में मुलायम होते हैं, लेकिन इसकी प्रक्रिया बहुत जटिल है. शुरू में कच्चे काजू को एक ग्रेडिंग मशीन में घुमाया जाता है और मिट्टी और कचरे को हटा दिया जाता है. फिर इस नट को 12.5 बार की भाप वाले बॉयलर में गर्म किया जाता है. इसके बाद इसे 16 घंटे तक ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है. इसके बाद, शुरू में इसे काटने की मशीन में डाल दिया जाता है ताकि इसकी सख्त परत को तोड़ा जा सके. फिर इसे स्कूपिंग मशीन में डाला जाता है और इसके मेवे निकाले जाते हैं. इन मेवों को आठ घंटे तक भूना जाता है और फिर तीन घंटे के लिए फिर से ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है. इसके बाद पीलिंग मशीन से बची हुई पत्तियों और अन्य बेकार हिस्सों को निकाल दिया जाता है. इसके बाद फिर से डेढ़ घंटे भूनने के बाद तैयार काजू पैकिंग के लिए तैयार हैं.
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ये उत्पादित अच्छी गुणवत्ता वाले कच्चे काजू करीब 120 से 125 रुपये प्रति किलो के हिसाब से कारखाने में पहुंच जाते हैं. पूर्ण प्रसंस्करण के बाद अच्छी गुणवत्ता वाले काजू के उत्पादन की कुल लागत कच्चे माल सहित 550 रुपये प्रति किलोग्राम है. एक टन कच्चे काजू से लगभग 250 किलो उच्च गुणवत्ता वाले काजू बिक्री के लिए तैयार होते हैं. थोक बाजार में इसे 650 से 1100 रुपए तक में खरीदा जाता है. खुदरा बाजार में यह काजू 800 रुपये से 1300 रुपये प्रति किलो के भाव से बिक रहा है. यानी प्रति किलो न्यूनतम आय 100 रुपये और अधिकतम 650 रुपये प्रति किलोग्राम है.
काजू प्रसंस्करण के बाद उत्पन्न लगभग 750 किलोग्राम अपशिष्ट पदार्थ का उपयोग तेल निष्कर्षण, कृषि उर्वरक के लिए किया जाता है. इसे बॉयलर फ्यूल के तौर पर 13 से 15 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है.
इस काजू प्रसंस्करण उद्योग को सरकार से सब्सिडी मिल रही है और हम युवाओं को इस व्यवसाय में प्रवेश करने के लिए प्रशिक्षण देंगे, ताकि हमारे किसान और युवा सशक्त हो सकें. अभय इस उद्योग के लिए आवश्यक सभी कच्चे माल, प्रौद्योगिकी, बाजार में भाग लेने के लिए तैयार हैं और उन युवाओं से अपील करते हैं जो व्यवसाय करने में रुचि रखते हैं, उनसे संपर्क करें.
(रिपोर्ट:नितिन शिंदे)
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