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हाड़ कपाने वाली ठंड गेहूं की फसल के लिए है फायदेमंद, वैज्ञानिकों ने जताई इन राज्यों में बंपर पैदावार की उम्मीद

हाड़ कपाने वाली ठंड गेहूं की फसल के लिए है फायदेमंद, वैज्ञानिकों ने जताई इन राज्यों में बंपर पैदावार की उम्मीद

पश्चिमी यूपी में आलू और गन्ने की बुआई के कारण गेहूं की बुआई काफी देर से हुई. सिंह ने आगे कहा कि गेहूं की फसल को और बढ़ावा देने के लिए शीतकालीन वर्षा की आवश्यकता है. अगर सर्दियों में बारिश होती है, तो इससे सिंचाई में मदद मिलेगी और पौधों को प्राकृतिक वायुमंडलीय नाइट्रोजन प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

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शीतलहर और ठंड गेहूं की फसल के लिए है लाभदायक. (सांकेतिक फोटो) शीतलहर और ठंड गेहूं की फसल के लिए है लाभदायक. (सांकेतिक फोटो)

कोहरे के साथ हाड़ कंपा देने वाली ठंड से भले ही उत्तरी और पूर्वी भारत में सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, लेकिन इससे गेहूं की फसल को काफी फायदा हो रहा है. खास बात यह है कि अभी तक गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश से 'पीला रतुआ' रोग की कोई रिपोर्ट नहीं आई है. ऐसे में उन्मीद की जा रही है कि इस साल गेहूं की बंपर पैदावार होगी. ऐसे भी गेहूं का रकबा पिछले साल के आंकड़े को पार कर गया है. इस बार किसानों ने 340.08 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5.58 लाख हेक्टेयर अधिक है.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक,  मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में गेहूं का रकबा राष्ट्रीय औसत से ऊपर बढ़ गया है, जबकि राजस्थान और महाराष्ट्र में घट गया. लेकिन इस साल पंजाब और हरियाणा में रकबा औसत रहा. वहीं, भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा है कि पिछले तीन हफ्तों में, न्यूनतम और अधिकतम दोनों तापमान लगातार सामान्य से नीचे गिर रहे हैं, जिससे गर्म सर्दियों की शुरुआत से प्रभावित गेहूं की फसलें फिर से जीवंत हो गई हैं.

पीला रतुआ रोग का नहीं है कोई लक्षण

सिंह ने आगामी रबी सीजन में गेहूं की बंपर फसल की भविष्यवाणी की है. वर्तमान जलवायु परिस्थितियों के अलावा, उन्होंने अन्य अनुकूल कारकों जैसे धारीदार रतुआ (पीला रतुआ) रोग की अनुपस्थिति को भी रेखांकित किया है. सिंह ने कहा कि हमारे नए सर्वे से पता चलता है कि पंजाब और हरियाणा में गेहूं में पीला रतुआ रोग की कोई उपस्थिति नहीं है. उन्होंने कहा कि आईआईडब्ल्यूबीआर ने दिसंबर के अंत में इसका सर्वेक्षण किया था. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि हरियाणा और पंजाब ने 80 प्रतिशत 'समय पर' बुआई पूरी कर ली है, जिससे पिछले दो वर्षों की तरह तापमान में जल्दी वृद्धि की स्थिति में फसलों के नुकसान को रोका जा सकेगा.

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यूपी में इस वजह से हुई गेहूं बुवाई में देरी

रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिमी यूपी में आलू और गन्ने की बुआई के कारण गेहूं की बुआई काफी देर से हुई. सिंह ने आगे कहा कि गेहूं की फसल को और बढ़ावा देने के लिए शीतकालीन वर्षा की आवश्यकता है. अगर सर्दियों में बारिश होती है, तो इससे सिंचाई में मदद मिलेगी और पौधों को प्राकृतिक वायुमंडलीय नाइट्रोजन प्राप्त करने में मदद मिलेगी. वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि अगर गेहूं की बंपर पैदावार होती है, तो आटे की कीमत में गिरावट भी आएगी.

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