हरियाणा के कपास उत्पादक किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. अब हरियाणा सरकार जल्द ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत लंबित दावों की समस्या को सुलझाएगी. इसके लिए सरकार ने सारी तैयारी कर ली है. कहा जा रहा है कि लंबित दावों की समस्या का निदान करने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार हरियाणा स्पेस एप्लिकेशन सेंटर की मदद लेगी. वह सैटेलाइट इमेज की मदद से हिसार जिले के 72 गांवों में कपास की फसल के क्षेत्र का सत्यापन करेगी. खास बात यह है कि इसके लिए सरकार हरियाणा स्पेस एप्लिकेशन सेंटर को आदेश भी दे दिया है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य तकनीकी सलाहकार समिति ने हाल ही में यह फैसला लिया है. तकनीकी सलाहकार समिति का कहना है कि हरियाणा स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के डेटा पर भरोसा किया जा सकता है. कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सत्यापन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. बीमा कंपनी जल्द ही उन 72 कपास उत्पादक गांवों के क्षेत्र के आधार पर दावे जारी करेगी. इसके बाद किसानों के खातों में बीमा की राशि पहुंचनी शुरू हो जाएगी.
वहीं, मिनी सचिवालय पर धरने पर बैठे इन 72 गांवों के किसानों ने समस्या का समाधान नहीं होने पर 26 जनवरी से पगड़ी संभाल जट्टा के बैनर तले मोर्चा शुरू करने की धमकी दी है. किसान कार्यकर्ता अनिल गोरची ने कहा कि साल 2022 में हिसार जिले के 72 गांवों में कपास की फसल को भारी नुकसान पहुंचा था. ऐसे में लगभग 20,000 किसानों के प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 146 करोड़ रुपये का दावा किया था, जो अभी तक लंबित है. हालांकि, एमएफएमबी पोर्टल पर डेटा और इन गांवों में कपास की फसल के क्षेत्र पर राजस्व विभाग की रिपोर्ट के बेमेल होने के बाद बीमा कंपनी सतर्क हो गई है.
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एक अधिकारी ने कहा कि विभाग के सत्यापान में 72 गांवों में 16,554 हेक्टेयर में लगी कपास की फसल को नुकसान पहुंचा है. ये नुकसान गुलाबी बॉलवर्म के हमले और अन्य कारकों के कारण हुआ है. हालांकि, फर्म ने खुलासा किया कि उन गांवों के किसानों ने पीएमएफबीवाई के तहत 30,873 हेक्टेयर से अधिक कपास की फसल का बीमा करवाया था. इसने भुगतान जारी करने से इनकार कर दिया गया, क्योंकि उसे अतिरिक्त 14,319 हेक्टेयर के लिए ऐसा करना होगा.
राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, कंपनी ने 72 गांवों के अलावा अन्य क्षेत्रों के किसानों को 396 करोड़ रुपये के दावे जारी किए और 72 गांवों के लिए 60 करोड़ रुपये की पेशकश की. गोरची ने तर्क दिया कि कंपनी इस मुद्दे को समय सीमा के भीतर उठा सकती थी. अगर कोई नुकसान नहीं हुआ होता, तो कंपनी 14,319 हेक्टेयर के प्रीमियम के कारण मुनाफा कमाती. एक अधिकारी ने कहा कि यह फसल के एक ही क्षेत्र के लिए कई बीमा का मामला था.
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