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पपीते के लिए सबसे अच्छी खाद कौन सी है, कैसे ले सकते हैं अधिक पैदावार?

पपीते के लिए सबसे अच्छी खाद कौन सी है, कैसे ले सकते हैं अधिक पैदावार?

पपीते में खादों की पूर्ति के लिए 400 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फॉस्फोरस और 400 ग्राम पोटैशियम प्रति पौधा प्रति वर्ष देना चाहिए. खादों की यह मात्रा छह अलग-अलग हिस्से में देनी चाहिए. हर पौधे को साल में एक बार 20-25 किलो गोबर की खाद भी दी जानी चाहिए. साल में एक बार पपीते के पौधे में 20-25 किलोग्राम गोबर की खाद भी दी जानी चाहिए.

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पपीते की खेती पपीते की खेती

पपीते की खेती किसानों के लिए फायदा का सौदा है. कम लागत में अधिक कमाई के लिए पपीते की खेती कर सकते हैं. अच्छी बात ये है कि सरकार इसकी खेती के लिए सब्सिडी भी देती है. किसान सब्सिडी योजना का लाभ लेते हुए पपीते की खेती कर अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. ऐसे में आइए जान लेते हैं कि पपीते की खेती में अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को क्या करना चाहिए. यह बात जान लेना जरूरी है कि पपीते के पौधे को खाद और उर्वरकों की भारी मात्रा में जरूरत होती है. इसकी पूर्ति के लिए किसानों को अलग-अलग खाद देनी होती है.

पपीते में खादों की पूर्ति के लिए 400 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फॉस्फोरस और 400 ग्राम पोटैशियम प्रति पौधा प्रति वर्ष देना चाहिए. खादों की यह मात्रा छह अलग-अलग हिस्से में देनी चाहिए. हर पौधे को साल में एक बार 20-25 किलो गोबर की खाद भी दी जानी चाहिए. साल में एक बार पपीते के पौधे में 20-25 किलोग्राम गोबर की खाद भी दी जानी चाहिए. सूक्ष्म पोषक तत्व जिंक सल्फेट (0.5 परसेंट) और बोरेक्स (0.1 परसेंट) का छिड़काव वृद्धि और उपज को बढ़ाने के लिए किया जाता है.

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कैसे करें सिंचाई

आमतौर पर सर्दियों के मौसम में हर 2 हफ्ते में और गर्मियों में 9 से 10 दिनों में सिंचाई की जरूरत होती है. पानी की समस्या वाले क्षेत्रों में पानी के बेहतर उपयोग के लिए ड्रिप सिंचाई की जा सकती है. 

कैसे रोकें खरपतवार

पपीते के खेत में खरपतवार को रोकने के लिए रोपाई के पहले गहरी निराई-गुड़ाई करने की सिफारिश की जाती है. सघन खरपतवारों के प्रभावी नियंत्रण के लिए फ्लूक्लोरालिन 45 परसेंट का प्रयोग 1.5-2.0 लीटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से कम से कम 4-5 महीनों में किया जाना चाहिए.

इंटरक्रॉपिंग कैसे करें

पपीते का पौधा तेजी से बढ़ने वाला होता है और एक साल में फल देना शुरू कर देता है. इसलिए दलहन फसलों के बाद गैर-फलीदार फसलें, गहरी जड़ वाली फसल के बाद उथली जड़ वाली फसलें लाभकारी होती हैं. फूल आने के बाद कोई अंतर फसल नहीं लेनी चाहिए.

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फल की तुड़ाई और उपज

पपीते के छिलके का रंग गहरे हरे से हल्के हरे रंग में बदलने के बाद फल की तुड़ाई की सिफारिश की जाती है क्योंकि फल विकास के अंतिम चरण के दौरान शर्करा जमा करता है. व्यापार के लिए पपीते की कटाई तब की जाती है, जब छिलके का रंग एक चौथाई पीले रंग के बीच होता है, जो बाजारों की दूरी पर निर्भर करता है. पपीते की खेती से एक सीजन में 75-100 टन प्रति हेक्टेयर उपज पाई जा सकती है. बाजार में उचित मूल्य पर बेचने पर शुद्ध लाभ 12-15 लाख रुपये पाया जा सकता है.