पराली की आग कैसे रोकी जाए, इसके लिए हर तरह के उपाय किए जा रहे हैं. पराली की समस्या से ग्रस्त जिन राज्यों के नाम सबसे पहले आते हैं, उनमें हरियाणा भी एक है. यह राज्य दिल्ली से सटा है, इसलिए यहां की पराली भी हमेशा चर्चा में रहती है. इस बार भी ऐसा ही हो रहा है. यही वजह है कि हरियाणा में पराली की आग को रोकने के लिए पूरा महकम लगा हुआ है. एक नए आदेश के मुताबिक, किसानों को सख्त हिदायत दी गई है कि अगर वे खेतों में बगैर स्ट्रॉ बेलर मशीन के कंबाइन हार्वेस्टर चलाएंगे तो इसका गंभीर खामियाजा भुगतना होगा. यहां तक कि प्रशासन के अधिकारी हार्वेस्टर को जब्त भी कर सकते हैं.
हिसार और फतेहाबाद जिले की बात करें तो यहां एक्टिव फायर लोकेशन यानी कि वैसे स्थान जहां पराली की आग की घटनाएं होती हैं, उनकी संख्या नगण्य है. इसके बावजूद इन जिलों में कृषि अधिकारी फुल एक्शन में हैं ताकि आग की कोई घटना सामने नहीं आने पाए. इसी को देखते हुए जो किसान आग लगाते पाए जाएंगे उनके हार्वेस्टर को सीज करने का आदेश दिया गया है.
हिसार के उपायुक्त (डिप्टी कमिश्नर या डीसी) प्रदीप दहिया ने धान पराली और खेतों में आग लगाने पर अंकुश लगाने के लिए जिले में स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) से लैस कंबाइन हार्वेस्टरों को चलाने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं. एसएमएस ऐसी मशीन होती है जो धान की पराली की गठरी बनाती है जिसे किसान बेचकर पैसा कमा सकते हैं. उन्हें खेत में इसे जलाने की जरूरत नहीं पड़ती.
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डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि बिना स्ट्रॉ मशीन यानी कि एसएमएस के चलने वाली किसी भी कंबाइन मशीन को तुरंत जब्त कर लिया जाएगा. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सुनिश्चित करें कि जिले में कोई भी कंबाइन मशीन बिना एसएमएस के न चले. उन्होंने मंगलवार को हिसार में जिला अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए कहा, "पर्यावरण की रक्षा और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए पराली का उचित प्रबंधन जरूरी है."
दहिया ने कहा कि कोई भी मशीन मालिक किसानों से तय रेट से ज्यादा पैसे न ले, वरना सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने सभी एसडीएम और संबंधित उपमंडल कृषि अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपने क्षेत्र में बेलर मशीनों (स्ट्रॉ बेलर मशीन) की जांच करें और यह भी सुनिश्चित करें कि हिसार जिले में सभी बेलर सही तरीके से काम कर रहे हैं. उन्होंने सहायक कृषि अभियंता को जिले में पराली के बंडल खरीदने वाले उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ तुरंत बैठक करने के भी निर्देश दिए.
इस बीच, जिला प्रशासन ने कृषि उपनिदेशक (डीडीए) को जिले में धान की खेती करने वाले सभी गांवों की मैपिंग करवाने को कहा है, ताकि संबंधित गांवों को समय पर इन-सीटू और एक्स-सीटू मशीनें उपलब्ध करवाई जा सकें. डीसी ने किसानों से अपील की कि वे सरकार की ओर से उपलब्ध करवाई गई मशीनों और तकनीकों का लाभ उठाएं और पराली प्रबंधन में सहयोग करें.
डीसी दहिया ने कहा कि खेतों में आग लगने की घटनाओं पर प्रशासन पूरी नजर रखे हुए है. सभी ग्राम सचिव, पटवारी, चौकीदार, नंबरदार और सरपंच इस पर नजर रखें और अपने-अपने गांवों में पराली जलाने पर रोक के बारे में गांव में मुनादी करवाकर जिला प्रशासन की बात लोगों तक पहुंचाएं.
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फतेहाबाद में पराली जलाने वाले किसानों के रिकॉर्ड में 40 रेड एंट्रीज हैं. जिला अधिकारियों ने बताया कि फतेहाबाद जिले में तीन कर्मचारियों को निलंबित किया गया है और किसानों के खिलाफ पांच एफआईआर दर्ज की गई हैं. फतेहाबाद जिले के टोहाना उपमंडल के एसडीएम प्रतीक हुड्डा ने भी मंगलवार को जमालपुर शेखा और टोहाना में छह कर्मचारियों और ग्राम स्तरीय सतर्कता समिति के सदस्यों को कारण बताओ नोटिस जारी किया. हिसार में जिला प्रशासन ने बुधवार तक पराली जलाने के मामले में 11 किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी थी.
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