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मछली के साथ बत्तख पालन करने से ये होता है फायदा, इन 6 पॉइंट्स में समझिए

मछली के साथ बत्तख पालन करने से ये होता है फायदा, इन 6 पॉइंट्स में समझिए

अगर आप मछली के साथ बत्तख पालन का व्यापार शुरू करना चाहते हैं, तो अच्छी नस्ल की बत्तख पालें. ऐसे खाकी कैम्पबेल, सिलहेट मेटे, नागेश्वरी और इंडियन रनर बत्तखों की बेतरीन प्रजातियां हैं. आप इनमें से किसी का भी पालन शुरू कर सकते हैं. साथ ही मछली के साथ बत्तख पालन के लिए ऐसे तालाब का चयन करें, जिसकी गहराई कम से कम 1.5 से 2 मीटर हो.

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मछली के साथ बत्तख पालन. (सांकेतिक फोटो) मछली के साथ बत्तख पालन. (सांकेतिक फोटो)

भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर 75 फीसदी से अधिक आबादी गांव में रहती है, जो खेती, पशुपालन, मुर्गी पालन, मछली पालन और बत्तख पालन से अपनी आजीविका चलाती है. लेकिन इन दिनों किसानों के बीच मछली पालन कुछ ज्यादा ही फेमस हो गया है. इससे किसानों की अच्छी कमाई भी हो रही है. खास बात यह है कि केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी मछली पालन करने वाले को प्रोत्साहित कर रही हैं. इसके लिए वे सब्सिडी भी दे रही हैं. इससे मछली पालन धीरे-धीरे बिजनेस में बदल गया है. लेकिन आज हम मछली पालक किसानों को ऐसी तकनीक बताएंगे, जिससे उनकी इनकम और बढ़ जाएगी. बस इसके लिए उन्हें थोड़ी मेहनत करनी होगी.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, किसान मछली पालन के साथ-साथ बत्तख पालन भी कर सकते हैं. इससे उन्हें कम लागत में ज्यादा मुनाफा होगा. दरअसल, बत्तख पानी और जमीन दोनों जगहों पर रहती है. लेकिन वह अपना पेट भरने के लिए तालाब में उतड़ती है. तालाब के कीड़े- मकोड़े खा कर वह अपना पेट भर लेती है. अगर मछली पालक किसान बत्तख पालन करता है, तो तलाब साफ तो रहेगा ही साथ में बत्तख के अंडे और मांस बेचकर वह कमाई भी कर सकता है. वहीं, बत्तखों के मलमूत्र को वह  मछलियों के आहार के रूप में भी इस्तेमाल कर सकता है.

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खर्चे में आएगी 60 फीसदी की कमी

जानकारों का कहना है कि मछली के साथ बत्तख पालन करने पर मछली पालन पर होने वाले खर्चे में करीब 60 फीसदी की कमी आ सकती है. साथ ही बत्तख, तालाब की गंदगी को खाकर उसकी साफ-सफाई कर देती है. इसके अलावा बत्तख को पानी में तैरने से तालाब में ऑक्सीजन का स्तर भी बढ़ जाता है. इससे मछलियों की ग्रोथ तेजी से होती है और वे लंब समय तक स्वस्थ्य भी रहती हैं. 

कितनी होगी तालाब की गहराई

अगर आप मछली के साथ बत्तख पालन का व्यापार शुरू करना चाहते हैं, तो अच्छी नस्ल की बत्तख पालें. ऐसे खाकी कैम्पबेल, सिलहेट मेटे, नागेश्वरी और इंडियन रनर बत्तखों की बेतरीन प्रजातियां हैं. आप इनमें से किसी का भी पालन शुरू कर सकते हैं. साथ ही मछली के साथ बत्तख पालन के लिए ऐसे तालाब का चयन करें, जिसकी गहराई कम से कम 1.5 से 2 मीटर हो. इसके अलावा आप तालाब में 250 से 350 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से चूने का इस्तेमाल करें. आप तालाब के ऊपर या किसी किनारे पर बत्तखों के लिए बाड़ा बना सकते हैं. एक हेक्टेयर एरिया में 250 से 300 बत्तख पाले जा सकते हैं.

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मछली के साथ बत्तख पालने के फायदे

  • अगर आप मछली पालन के साथ बत्तख पालन करते हैं, तो एक साल में 4000 किलोग्राम मछली का उत्पादन कर सकते हैं.
  • साल भर में आप 18000 अंडे 600 बत्तख के मांस भी बेच पाएंगे.
  • बत्तख को 120 ग्राम दाना रोज देना चाहिए. इससे उनकी ग्रोथ तेजी से होती है.
  • वहीं मछली के साथ बत्तख पालन से 60 से 70 ग्राम दाना देकर आप आहार की मात्रा पूरी कर सकते हैं.
  • बत्तख कीट, पतंगों, पौधे, मेढक के बच्चे को खा जाते हैं, जो कि मछलियों के लिए हानिकारक होते हैं.
  • साथ ही तालाब में बत्तख के तैरते रहने से पानी में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ जाता है. इससे मछलियां को सांस लेने में दिक्कत नहीं होती है.