किसानों के लिए पशुपालन एक महत्वपूर्ण व्यवसाय है. वही किसानों को पशुपालन के दौरान कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उन्हीं समस्याओं में एक है पशुओं को चोट लगने के बाद उनके घाव का उपचार. कई बार पशुओं को चोट लगने पर घाव हो जाता है और उसमें कीड़े पड़ जाते हैं. यह समस्या पशुपालकों के लिए काफी बड़ी है. वहीं कई बार पशुओं में लगे कीड़े वाले घाव को ठीक होने में काफी लंबा वक्त लग जाता है. इससे पशुओं को असहनीय दर्द होता है और कीड़े धीरे-धीरे फैलने लगते हैं. कीड़ों के फैलने से कई बार पशुओं की मौत भी हो जाती है. जिससे पशुपालकों को काफी नुकसान होता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि पशुपालक पशुओं के शरीर में होने वाले घाव और उसमें लगने वाले कीड़ों जैसी समस्याओं से अपने पशुओं का कैसे बचाव कर सकते हैं-
पशुओं के चोट लग जाने पर घाव में गंदगी होने और उस पर मक्खियों के बैठने से घाव में कीड़े लगने शुरू हो जाते हैं. मक्खी पहले घाव पर अपना सफेद मल छोड़ती है. इसके बाद वो मल कुछ वक्त में कीड़े के रूप में बदल जाता है. साथ ही घाव में मिट्टी या गंदगी लग जाने से भी उसमें कीड़े लगने लगते हैं. ऐसे में पशुपालकों को उस घाव और उसमें होने वाले कीड़े से बचने के लिए जल्द से जल्द पशु चिकित्सक के पास जाकर इलाज करवा लेना चाहिए.
पशुपालकों को जानवरों में कीड़े पड़ने पर अधिक ध्यान देना जरूरी होता है. सबसे पहले घाव की सफाई जरूरी होती है. पशुओं के घाव वाले जगह पर लगे कीड़े को सुबह-शाम काली फिनाइल डाल कर छोड़ देनी चाहिए. फिनाइल डालने से कीड़े बाहर आ जाते हैं. तब इसे साफ कर देना चाहिए. उसके बाद अगर घाव वाले जगह पट्टी चिपक सकें, तो वहां चिपका देनी चाहिए. ऐसे उपाय अपनाने से एक सप्ताह में घाव ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है.
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अगर पशुओं के पैर के खुर में कीड़े पड़े हो तो फिनाइल, तारपीन का तेल और कपूर का घोल मिलाकर घाव वाले जगह पर लगाना चाहिए. इसके साथ ही आप चाहें तो फिनाइल और कपूर की गोली पीसकर खुर के घाव में भर सकते हैं और उस पर पट्टी लगा सकते हैं. इससे घाव को काफी आराम मिलता है. साथ ही आधा लीटर गर्म पानी को थोड़ा इसे ठंडा करके और उसमें आधा चम्मच पोटेशियम परमैंगनेट मिलाकर इसका घोल बनाकर पशुओं के खुर को दिन में एक बार धोने से घाव जल्दी सूखता है.
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